कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें
देकर बीता साल जा रहा।
और समय की आकांक्षा ले,
देखो नूतन साल आ रहा।
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मन की डाली पर अब नित ही
कोमल कोंपल फूट रही है।
बीती बातों की यह श्रृंखला
खुद ही हमसे छूट रही है।
कोरोना का काला साया
दुनिया में बेचाल छा रहा।
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें
देकर बीता साल जा रहा।।
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आओ लिख लें गीत नया अब।
सबकी खबर रखेगा बस रब।।
अनुपम फूलों की खुशबू से
महक रहा है घर-उपवन भी।
कोना कोना हुआ उल्लसित,
हर्षित है अब मही-गगन भी।
नये वर्ष का करें स्वागतम,
मौसम भी नवगीत गा रहा।
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें
देकर बीता साल जा रहा।।
✍️ अटल मुरादाबादी, नौएडा
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