1--लोकतंत्र है
झूंठ बोलता रह
यही मंत्र है
2--रिश्ता टूटा है
गिर गये स्वार्थ में
साथ छूटा है
3--विचारो ज़रा
भीड़ में वहां कहीं
कौन है मरा
4--एक दो तीन
आचरण सुंदर
फिर भी दीन
5--हैं आस पास
तुम्हारी मेरी याद
क्यों हो उदास
✍️ अशोक विश्नोई
मुरादाबाद
झूंठ बोलता रह
यही मंत्र है
2--रिश्ता टूटा है
गिर गये स्वार्थ में
साथ छूटा है
3--विचारो ज़रा
भीड़ में वहां कहीं
कौन है मरा
4--एक दो तीन
आचरण सुंदर
फिर भी दीन
5--हैं आस पास
तुम्हारी मेरी याद
क्यों हो उदास
✍️ अशोक विश्नोई
मुरादाबाद
अरे
तुम फिर आ गये
गये नहीं अभी तक
मैं,
कहाँ जाऊँगा मालिक ?
मैं यहीं जन्मा हूँ
यहीं पला हूँ
यहीं आपकी छत्रछाया में
बड़ा हुआ हूँ।
तभी से यहीं खड़ा हुआ हूँ।।
मैं तो,
नीचे से, उपर से
दायें से, बायें से
हर दिशाओं से
हर परिस्थितियों में
उपस्थित रहता हूँ मालिक
आपके आशीष से
समय पर काम करता हूँ
मैं कहाँ जाऊँगा ?
यहीं जन्मा
यहीं मर जाऊँगा,
फिर
मेरी औलाद काम करेगी।
जन्मों जन्मों तक
आपकी सेवा करेगी।।
मैं तो
आपके आस - पास
ही रहता हूँ।
सत्य को भी
झूठ में बदलता हूँ।।
आप चाहें या न चाहें
मैं,
हर पल सेवा करुंगा।
जब पुकारोगे
हाज़िर रहूँगा।
मैं,
हर आदेश का पालन
करता हूँ।
यही तो मेरा श्रेष्ठ शिष्टाचार है ।
मेरा नाम भ्रष्टाचार है ।।
✍️ अशोक विश्नोई
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
देख रहा हूँ
उसका कद बड़ा होते हुए
मैं,
देख रहा हूँ-चुपचाप
दूसरों की मज़ाक बनाते हुए
मैं,
देख रहा हूँ
अपने को बड़ा साबित
करते हुए
मैं,
देख रहा हूँ
विनम्रता के साथ
कुटिलता की चौसर
खेलते हुए,
मैं,
देख रहा हूँ
चमचागिरी से उपर उठते हुए
मैं,
देख रहा हूँ
मठाधीशों की चरण रज
माथे पर लगाते हुए,
हाँ मैं,
देख रहा हूँ
गुटबाजी में सबसे आगे
जबकि,
मैनें, देखा था उसे
आयोजनों में मुरझाये
चेहरे के साथ
पीछे की पंक्ति में बैठे हुए
मैनें,देखा था
उसका वजूद जो
उस समय न के समान था
मैनें, देखा है
अपने हितों के लिए
धोखा देते हुए
आज
वो विद्वान है ।
जी हजूरी में महान है ।
वह
बड़ी चालाकी से
मीठे शब्दों की
बहाता है गंगा।
जबकि मैनें देखा है
उसको हम्माम में नँगा।।
✍️अशोक विश्नोई
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश ,भारत
मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर की आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा के तत्वावधान में कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह का आयोजन रविवार 21 नवम्बर 2021 को संस्था अध्यक्ष सुरेश अधीर की अध्यक्षता में आनंद कान्वेंट स्कूल ज्वाला नगर रामपुर में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई एवं उदय प्रकाश सक्सेना अस्त, रामपुर की साहित्यकार रागिनी गर्ग, हल्द्वानी की साहित्यकार डा गीता मिश्र" गीत", पीयूष प्रकाश सक्सेना जी, प्रबंधक आनंद कांवेंट स्कूल रामपुर को शाल ओढ़ाकर , अभिनन्दन पत्र,प्रतीक चिह्न प्रदान कर एवं मोती - माल्यार्पण कर काव्यधारा-साहित्य मनीषी" एवं काव्यधारा - गौरव" - सम्मान से सम्मानित किया गया।
माँ सरस्वती वंदना राजीव प्रखर ने और गुरु वंदना अनमोल रागिनी ने प्रस्तुत की। सम्मानित साहित्यकारों के अतिरिक्त राम रतन यादव रतन, अनमोल रागिनी, शायर सुरेंद्र अश्क रामपुर, पुष्पा जोशी प्राकाम्य जी , राम किशोर वर्मा जी, विपिन शर्मा, डॉ ० अरविंद धवल, रवि प्रकाश, ओंकार सिंह विवेक, जितेन्द्र नंदा, राजवीर 'राज', महाराज किशोर सक्सेना आदि ने भी काव्य पाठ किया। इस अवसर पर श्रीमती ऊषा सक्सेना, श्रीमती कुसुम लता वर्मा, श्रीमती रवि प्रकाश, आनंद प्रकाश वर्मा एवं अतुल वर्मा उर्फ पीयूष वर्मा आदि उपस्थित रहे । संस्थापक महा सचिव जितेन्द्र कमल आनंद एवं अध्यक्ष सुरेश अधीर जी ने सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया। संचालन राम किशोर वर्मा जी ने किया।
::::::प्रस्तुति:::::::
राम किशोर वर्मा
उपाध्यक्ष, आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उ०प्र०), भारत
खुशहालपुर गाँव के
उस छोर पर
झोपड़ी नुमा मकान में
एक दीप जल रहा था।
दरिद्रता का प्रकोप
झिलमिलाते दीप की
रोशनी में
स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था।
काम करती बुढ़िया की
थकी - झुकी कमर
जाड़ों की रात में
ठंड से कांपती हुई
मेरे मस्तिष्क में
एक सिरहन की भांति
कौंध गई, तभी
मैनें सुना
एक बच्चा कह रहा था
माँ-माँ
लोकतंत्र क्या होता है ?
माँ ने यह सुन
बच्चे को कलेजे से
लगाकर,पुचकार कर
एक लम्बी सांस ली
और
अपने उंगलियों के पोरवे
दीपक की
लौ पर रख दिये
तब
छा गया अंधकार
शेष रह गया,
उनके जीवन की भांति,
शून्य में तैरता
दीपक का धुआं ।।
✍️ अशोक विश्नोई, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
1--देखो हम
कहाँ से कहाँ
आ गये,
जो भी लगा हाथ
उसे खा गये।
2-- देश
प्रगति की ओर
बढ़ रहा है,
हर कोई
कुर्सी के लिए
लड़ रहा है।
✍️ अशोक विश्नोई, मुरादाबाद 244001,उत्तर प्रदेश, भारत
बगुलाभगत
इंजीनियर ने ठेकेदार से क्रोध जताते हुए कहा ," क्या ऐसी सड़क बनती है जो एक बरसात में उधड़ गई, तुम्हारा कोई भी बिल पास नहीं होगा।" बड़े साहब मुझ पर गरम हो रहे थे उन्हें क्या जवाब दूंगा ? ठेकेदार बोला ," सर आप मेरी भी सुनेंगे या अपनी ही कहे जाएंगे।" बोलो क्या कहना है।" इंजीनियर ने कहा।
" सर 40%में ,मैं रबड़ की सड़क तो बना नहीं सकता,ठेकेदार ने कहा ,फिर आपकी भी तो उसमें ---------? अब क्या था इंजीनियर का चेहरा देखने लायक था -------।
✍️ अशोक विश्नोई
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत
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ईमानदार का तोड़
क्या मैं अंदर आ सकता हूँ, आवाज सुनते ही सुरेश कुमार ने गरदन उठाकर देखा, दरवाजे पर एक अधेड़ किंतु आकर्षक व्यक्ति खड़े थे, हाँ हाँ आइए, वह बोले!
सर मेरा नाम श्याम बाबू है, मेरा सड़क के निर्माण की लागत का चैक आपके पास रुका हुआ है!
अच्छा तो वो सड़क आपने बनाई है, लेकिन उसमें तो आपने बहुत घटिया सामग्री लगाई है, मानक के अनुसार काम नहीं किया है, सुरेश कुमार बोले!
कोई बात नहीं साहब, हम कहीं भागे थोड़े ही जा रहे हैं, पच्चीस साल से आपके विभाग की ठेकेदारी कर रहे हैं, जो कमी आयेगी दूर कर देंगे, आप हमारा भुगतान पास कर दो, हम सेवा में कोई कमी नहीं रखेंगे!
आप गलत समझ रहे हो श्याम बाबू, पहले काम गुणवत्ता के अनुसार पूरा करो,तभी भुगतान होगा, कहते हुए सुरेश उठ गये और विभाग का चक्कर लगाने निकल गये!
श्याम बाबू चुपचाप वापस आ गये!
पत्नी ने पानी का ग्लास देते हुए पूछा: बड़े सुस्त हो, क्या हो गया तो बोल पड़े एक ईमानदार आदमी ने सारा सिस्टम बिगाड़ दिया है, कोई भी काम हो ही नहीं पा रहा है, सबके भुगतान रुके पड़े हैं, बड़ा अजीब आदमी है!
खैर इसकी भी कोई तोड़ तो निकलेगी!
कुछ ही दिनों बाद लेडीज क्लब का उत्सव था, श्याम बाबू की पत्नी उसकी अध्यक्ष थीं, श्याम बाबू के मन में तुरंत विचार कौंधा और बोले: सुनो इस बार नये अधिकारी सुरेश बाबू की पत्नी सुरेखा को मुख्य अतिथि बना दो और सम्मानित कर दो!
कार्यक्रम के दिन पूर्व योजनानुसार सुरेखा को मुख्य अतिथि बनाया गया, सम्मानित किया गया, उन्हें अत्यंत कीमती शाल ओढ़ाया गया और एक बड़ा सा गिफ्ट पैक भी दिया गया!
कार्यक्रम के बाद श्याम बाबू की पत्नी पूछ बैठी: आप तो बहुत बड़ा गिफ्ट पैक ले आये, क्या था उसमें!
कुछ ज्यादा नहीं, बस एक चार तोले की सोने की चेन,शानदार बनारसी साड़ी और कन्नौज के इत्र की शीशी थी, श्याम बाबू बोले!
इतना सब कुछ क्यों,
कुछ नहीं, ये ईमानदार लोगों को हैंडिल करने का तरीका है!
कहना न होगा, अगले ही दिन श्यामबाबू का भुगतान हो गया!
✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG - 69, रामगंगा विहार,
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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दर्द
"साहब ! हमारे इलाके की सड़कें बहुत खराब हैं। रोज़ कोई न कोई चोट खाता रहता है। ठीक करा दो साहब, बड़ी मेहरबानी होगी.......", पास की झोपड़पट्टी में रहने वाला भीखू नेताजी के सामने गिड़गिड़ाया।
"अरे हटो यहाँ से। आ जाते हैं रोज़ उल्टी-सीधी शिकायतें लेकर। सड़कें ठीक ही होंगी। उनमें अच्छा मेटेरियल लगाया है......."। भीखू को बुरी तरह डपटने के बाद सड़क पर आगे बढ़ चुके नेताजी को पता ही न चला कब उनका पाँव एक गड्डे में फँसकर उन्हें बुरी तरह चोटिल कर गया।
"उफ़ ! ये कमबख्त सड़कें बहुत जान लेवा हैं......", दर्द से बिलबिलाते हुए नेताजी अब सम्बंधित विभाग को फ़ोन मिलाते हुए हड़का रहे थे।
✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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वो तो सब बेईमान हैं
" अरे वाह चौधरी ! मुबारक हो आज तो तुम्हारे गाँव की सड़क बन गई है .. अब सरपट गाड़ी दौड़ेगी । " भीखन ने खूँटा गाड़ते चौधरी को देखते हुए कहा ।
" पर यह क्या कर रहे हो , खूँटा सड़क से सटा कर क्यों लगा रहे हो । " वो फिर बोला ।
" सड़क किनारे की पटरी चौड़ी हो गई है ना .. तो कल से भैंसे यही बाँधूँगा .. अंदर नहलाता हूँ तो बहुत कीच हो जाती है घर में .. I " चौधरी बेफिक्र होकर बोला ।
" पर पानी तो सड़क खराब कर देगा चौधरी " भीखू बोला ।
" मुझे क्या । ठीक कराएँगे विभाग वाले , सब डकार जाते हैं वरना । " हँसकर चौधरी बोला ।
भीखू आगे बढ़ा ही था कि देखा रामदीन ट्रेक्टर से खेत जोत रहा था .. वो असमंजस से बोला , " अरे रामदीन भाई ! यह क्या कर रहे हो . तुमने तो अपने खेत के साथ साथ सड़क के किनारे की पटरी तक जोत डाली .. बिना पटरी के तो सड़क कट जाएगी । "
रामदीन जोर से हँसा और बोला , " अरे बाबा , यह फसल अच्छी हो जाए फिर से मिट्टी लगा दूँगा । और रही बात सड़क कटने की तो फिर से ठीक करेगा ठेकेदार .. उसकी दो साल की गारंटी होती है ... और विभाग वाले .. हा हा हा ! वो तो सब बेईमान हैं ।"
✍️ अखिलेश वर्मा
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार एवं लघु फ़िल्म निर्माता-निर्देशक अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' द्वारा सम्पादित ग्रंथ 'अशोक विश्नोई : एक विलक्षण साधक ' का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह का आयोजन रविवार तीन अक्टूबर 2021 को एम.आई.टी. सभागार में हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद की ओर से आयोजित इस भव्य समारोह में अशोक विश्नोई को 'साहित्य सागर सम्मान' से सम्मानित भी किया गया। महानगर के रचनाकार राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता (ट्रस्टी एम. आई. टी., मुरादाबाद) ने कहा कि मुरादाबाद के साहित्यिक व सांस्कृतिक पटल पर आदरणीय अशोक विश्नोई जी का योगदान आने वाली रचनाकारों की पीढ़ियों को निरंतर प्रोत्साहित करेगा, ऐसा मेरा मानना है। मुख्य अतिथि डॉ. विशेष गुप्ता (अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग उ. प्र. सरकार) ने साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में श्री अशोक विश्नोई के योगदान की चर्चा करते हुए कहा - बहुमुखी प्रतिभा के धनी आदरणीय अशोक विश्नोई जी का मुरादाबाद सहित दूर-दूर के साहित्यिक पटलों पर योगदान किसी से छिपा नहीं है। उनका सतत साहित्यिक समर्पण व सक्रियता आज देश में दूर-दूर तक सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। निश्चित ही वह साहित्य जगत की अनमोल धरोहर हैं।
विशिष्ट अतिथि के रुप में मुम्बई से आये साहित्यकार प्रदीप गुप्ता ने कहा कि अशोक विश्नोई ने न केवल हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया है बल्कि अपने प्रकाशन के माध्यम से साहित्यकारों की रचनाओं से हिन्दी संसार को अवगत भी कराया है। वह मेरे रोल मॉडल रहे हैं ।
विशिष्ट अतिथि डॉ. बृजेश तिवारी के उद्गार थे - हिन्दी के अनन्य साधक श्री अशोक विश्नोई का संपूर्ण जीवन माँ वीणापाणि की सतत साधना में व्यतीत हुआ है। आप एक कवि, लेखक,पत्रकार व समाजसेवी एवं फिल्म निर्माता-निर्देशक के रूप में मुरादाबाद ही नहीं अपितु अखिल सॄजन संसार में चिरस्मणीय रहेंगे।
सम्मानित विभूति अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' का कहना था - "मुरादाबाद निवासी साहित्यकार श्री अशोक विश्नोई हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। अपने 75 वर्षीय जीवन में से पांच दशक आपने हिन्दी की सेवा में दिए। साहित्य सर्जक, पत्रकार और सागर तरंग प्रकाशन के स्वामी के रूप में साहित्य के क्षेत्र में मुरादाबाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करने वाले श्री अशोक विश्नोई का अकूत योगदान साहित्य जगत को सदैव प्रेरित करता रहेगा।"
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रचनाकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा कि अशोक विश्नोई ने मुरादाबाद की साहित्यिक पत्रकारिता की परंपरा को आगे बढ़ाया। छात्र जीवन में ही उनके भीतर साहित्य के अंकुर फूटने लगे थे। वर्ष 1967 में जब वह हिंदू महाविद्यालय में स्नातक के छात्र थे तब उन्होंने प्रख्यात साहित्यकार एवं संगीतज्ञ पंडित मदन मोहन व्यास और प्रोफेसर महेंद्र प्रताप जी के संरक्षण में मासिक पत्रिका 'हृदय-उद्गार' का प्रकाशन-संपादन शुरु किया। इस पत्रिका के परामर्शदाता थे साहित्यकार आमोद कुमार अग्रवाल जी। साहित्यिक पत्रकारिता की यह यात्रा फिल्म पत्रिका 'सिने पायल', 'चित्रक' साप्ताहिक, 'वसंत-विहार' साप्ताहिक, 'ज्योतिष पथ मासिक' एवं 'सागर-तरंग' मासिक के पड़ाव को पार करती हुई निरंतर गतिशील रही। वर्ष 1995 में उन्होंने वार्षिक पत्रिका 'आकार' का प्रकाशन- संपादन प्रारंभ किया। इस पत्रिका का उद्देश्य था-'समाज के लिए अज्ञात एवं अप्रत्यक्ष रचनात्मकता को ज्ञात एवं प्रत्यक्ष करना।'
वरिष्ठ साहित्यकार शिशुपाल सिंह मधुकर ने कहा कि विश्नोई जी जितने साधारण दिखाई देते हैं वे उतने ही असाधारण प्रतिभा अपने अन्दर समेटे हैं। वे न केवल कविता व साहित्य के क्षेत्र में अपनी धमक बनाए हुए हैं बल्कि प्रकाशन, पत्रकारिता, रंगमंच व फ़िल्म के क्षेत्र में भी अपनी सक्रियता से कई उपलब्धियां अपने खाते में दर्ज कराते हैं। उनका सारा लेखन आम जनता को समर्पित है । आम आदमी की समस्याएं, दुख-तकलीफें ही उनकी कविताओं का मूल केंद्र हैं। वह समाज में व्याप्त तमाम बुराइयों, विसंगतियों, कुरीतियों, अन्ध विश्वासों व गलत परम्पराओं के ख़िलाफ़ विद्रोह का स्वर बुलंद करते हैं। राजनीति की अस्वस्थ होती जा रही परम्पराओं पर भी उनकी पैनी नज़र रहती है। उनका समस्त रचना संसार का अस्तित्व इन्हीं यथार्थ परक भावनाओं और संवेदनाओं पर टिका है जो कि उन्हें एक सच्चे साहित्यकार होने का गौरव प्रदान करता है ।
वैदिक वानप्रस्थ आश्रम मुरादाबाद के व्यवस्थापक काले सिंह 'साल्टा' ने कहा कि अशोक विश्नोई से मेरे सम्बंध लगभग 60 वर्ष पुराने हैं। वह जैसे पहले थे आज भी वैसे ही हैं । वह एक अच्छे कवि, उत्कृष्ट लेखक हैं। उनके द्वारा अनेक पुस्तकें, सागर तरंग प्रकाशन, मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित की गई हैं।
रामपुर से आये वरिष्ठ कवि राम किशोर वर्मा ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर दोहे प्रस्तुत किये ---
निर्माता लेखक सभी, गुण रखें कवि अशोक । विश्नोई इच्छा सदा, कहीं नहीं हो शोक |
मेरे तो भ्राता बड़े, करें बहुत ही प्यार ।
जितना उनको मान दूँ, देते सभी उतार ।।
मुंह पर कहते साफ़ हैं, वह मन से ही साफ ।
ग़लती जो स्वीकार ले, कर देते हैं माफ़
अभिनेता फ़िल्मी सभी, देखे उनके साथ ।
लघु फ़िल्में होतीं सफल, जिन पर रखते हाथ ॥
काव्य कला में आपका, उच्च बहुत नाम ।
सभी कनिष्ठों में सदा, हित भी करते काम ।
कम शब्दों में हैं कही, गहरी गहरी बात ।
माला में चुनकर सभी छंद पिरोते आप |
नये लेखकों को सदा, मार्ग दिखाते आप |
आपके व्यक्तित्व की, यही अनोखी बात ॥
करे लेखनी आपकी, ऐसे उद्धत काज ।
जिनको पढ़ होता सदा, इस समाज को नाज़ ॥
उस व्यक्तित्व में भरा, इतना ज्ञान अपार ।
उनके मन में है भरा, परहित पर उपकार ।।
रामपुर से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार रवि प्रकाश ने अशोक विश्नोई को बधाई देते हुए कुण्डलिया प्रस्तुत की -----
विश्नोई जी को नमन ,प्रतिभा से संपन्न
वृद्ध हुआ है तन मगर ,मन से युवा प्रसन्न
मन से युवा प्रसन्न ,समीक्षा करते पाते
लिखे हायकू काव्य ,छटा अद्भुत फैलाते
कहते रवि कविराय ,क्षेत्र कब छूटा कोई
अभिनय के सम्राट , धन्य श्री श्री विश्नोई
गजरौला (अमरोहा) से पधारीं कवयित्री प्रीति चौधरी ने भी इस अवसर पर कुछ दोहे प्रस्तुत किये ----
कम शब्दों में हैं कही, गहरी गहरी बात ।
माला में चुनकर सभी, छंद पिरोते आप ॥
नये लेखकों को सदा, मार्ग दिखाते आप ।
आपके व्यक्तित्व की, यही अनोखी बात ॥
करे लेखनी आपकी, ऐसे उद्धत काज ।
जिनको पढ़ होता सदा, इस समाज को नाज़ ||
उस व्यक्तित्व में भरा, इतना ज्ञान अपार ।
उनके मन में है भरा, परहित पर उपकार ॥
वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने भी इस अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उन्हें सम्मानित किया।
लोकार्पण एवं सम्मान समारोह के पश्चात् श्री अशोक विश्नोई की प्रस्तुति में बनी लघु फ़िल्म 'शपथ' का प्रथम प्रदर्शन भी हुआ। बलात्कार जैसी जघन्य बुराई के विरुद्ध अधिवक्ताओं के उत्तरदायित्व पर आधारित इस लघु फ़िल्म उपस्थित जन समूह की ओर से भरपूर सराहना व समर्थन प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में योगेन्द्र वर्मा व्योम, डाॅ. कृष्ण कुमार नाज़, उमाकांत गुप्ता, डाॅ. मधु सक्सेना, डॉ. मीरा कश्यप, शलभ गुप्ता, अरविन्द आनंद, मयंक शर्मा, अतुल जौहरी, डाॅ. शीनुल इस्लाम, अनिल कांत बंसल, फक्कड़ मुरादाबादी, अशोक विद्रोही, एमपी बादल जायसी, रूप किशोर गुप्ता, ओंकार सिंह ओंकार आदि उपस्थित रहे।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद इकाई की अध्यक्ष डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अशोक विश्नोई को सम्मानित करते हुए संस्था गर्व का अनुभव कर रही है ।