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झूंठ बोलता रह
यही मंत्र है
2--रिश्ता टूटा है
गिर गये स्वार्थ में
साथ छूटा है
3--विचारो ज़रा
भीड़ में वहां कहीं
कौन है मरा
4--एक दो तीन
आचरण सुंदर
फिर भी दीन
5--हैं आस पास
तुम्हारी मेरी याद
क्यों हो उदास
✍️ अशोक विश्नोई
मुरादाबाद
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