मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से हिन्दी दिवस 14 सितंबर 2024, शनिवार को श्री जंभेश्वर धर्मशाला में आयोजित समारोह में साहित्यकार मनोज मनु को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें ग्यारह सौ रुपए की सम्मान राशि, रुद्राक्ष की माला, सम्मानपत्र और अंगवस्त्र प्रदान किया गया।
राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ कवि गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए योगेन्द्रपाल विश्नोई ने कहा ....
"लो पूर्ण हुई जीवन यात्रा इसमें कुछ शेष विशेष नहीं!
अब भगवान् के घर को जाना है,रहा ये अपना देश नहीं"।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ महेश दिवाकर का कहना था .....
हिन्दी जीवन प्राण है, भारत की पहचान।
हिन्दी हिन्दुस्तान की संस्कृति का सम्मान।।
विशिष्ट अतिथि रघुराज सिंह 'निश्चल' की व्यथा थी .....
"हिन्दी है हमारी माँ हिन्दी से पले हैं हम।
यह बात नहीं समझी हिन्दी के ही लालों ने।।
संचालक अशोक विद्रोही ने हिन्दी प्रेम के भाव इस प्रकार व्यक्त किये.....
राष्ट्रभाषा बन जाय हिन्दी,
भारत माँ का हो सम्मान।
सारे जग में फिर से गूंजे,
हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान!
सम्मानित साहित्यकार मनोज वर्मा 'मनु' ने अपने उदगार इस प्रकार व्यक्त किए .....
"हिन्दी यदि पाती रहे जन मन में आकार।
निज भाषा उत्थान के सपने हों साकार।।"
अशोक विश्नोई ने कहा-
भारत की भाषा हिन्दी है।
जन जन की आशा हिन्दी है।
यह नहीं मिटाए मिट सकती
यह जननी भाल की बिंदी है।
वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने पढा़.....
हिंदी की प्रशंसा करना कोई अनुचित बात नहीं ।
पर केवल प्रशंसा करने से ही बनती कुछ बात नहीं।।
ओंकार सिंह ओंकार ने इस प्रकार अपनी अभिव्यक्ति दी.....
"हिन्दी हिन्दुस्तान का गौरव है श्रीमान!
आओ! सब मिलकर करें हिन्दी का उत्थान।।
राम सिंह निशंक ने पढा़-
हिन्दी अपना प्राण है,
हृदय हिन्दी स्थान।
हिन्दी मुझको माँ लगे,
करता हूँ सम्मान।।
योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा.....
जीवन की परिभाषा हिन्दी,
जन मन की अभिलाषा हिन्दी।
रची बसी है सबमें फिर क्यों,
रही उपेक्षित भाषा हिन्दी।।
नकुल त्यागी ने पढा़-
हिन्दी भारत का गौरव है'
हिन्दी भविष्य की आशा है।
जन जन ने कर करके जतन
तन मन से इसे तराशा है।।
राजीव प्रखर ने कहा-
साहित्य-सृजन में मनभावन,
रचती सोपान रही हिन्दी।
भारत माता के मस्तक का,
अविचल अभिमान रही हिन्दी।
रविशंकर चतुर्वेदी ने ओज के भाव व्यक्त करते हुए कहा-,
मजलूम बेबस हिंदू की आवाज हूं,
तालिबानी सोच पर मैं गाज हूँ।
मौत से आंखें मिलाना छोड़ दो
और दरिंदों को मैं खूनी बाज हूँ।
इसके अतिरिक्त प्रशांत मिश्र, डॉ मनोज रस्तोगी आदि ने भी रचना पाठ किया। राम सिंह निशंक ने आभार अभिव्यक्त किया।
:::::::प्रस्तुति:::;;
अशोक विद्रोही
उपाध्यक्ष
राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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