कितना निर्मल कितना पावन,
रक्षाबंधन का त्यौहार,
भाई-बहन की प्रीत का दर्पण
रक्षाबंधन का त्यौहार,,
कब से रीत चली दुनिया में,
इस पावन त्यौहार की,
इतने कच्चे धागे द्वारा,
इतने पक्के प्यार की
युग युग का इतिहास पुरातन,
रक्षाबंधन का त्योहार,
कितना निर्मल कितना पावन,
रक्षाबंधन का त्योहार..
दानवेंद्र बलि से प्रसन्न हरि,
जब वैकुंठ नहीं आए,
माँ लक्ष्मी ने सूत्र बांध,
श्री हरि बलि से वापस पाए,
तभी से मनता यह मनभावन,
रक्षाबंधन का त्योहार,
कितना निर्मल कितना पावन,
रक्षाबंधन का त्यौहार..
भाई जब अपनी कलाई पे,
रक्षा सूत्र बंधाता है ,
रहते प्राण बहन की रक्षा ,
के प्रण को दोहराता है,,
करने आता रिश्ते पावन,
रक्षाबंधन का त्योहार,,
कितना निर्मल कितना पावन,
रक्षाबंधन का त्यौहार,, !
✍️ मनोज वर्मा 'मनु
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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