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सोमवार, 27 अप्रैल 2020
वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में प्रत्येक रविवार को वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाता है। रविवार 26 अप्रैल 2020 को आयोजित 199 वें वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में साहित्यकारों अशोक रस्तोगी , जितेंद्र कमल आनन्द, वीरेंद्र सिंह बृजवासी, राजीव प्रखर, रवि प्रकाश, डॉ कृष्ण कुमार बेदिल , अशोक विश्नोई, मीनाक्षी ठाकुर , संतोष कुमार शुक्ल , मुजाहिद चौधरी, श्री कृष्ण शुक्ल, हरि प्रकाश शर्मा, वहाज उल काशिफ, डॉ अनिल शर्मा अनिल, इंदु रानी , अमितोष शर्मा , प्रवीण राही, अरविंद कुमार शर्मा आनन्द, सीमा रानी, अखिलेश वर्मा, नृपेंद्र शर्मा सागर, शिशुपाल सिंह मधुकर, डॉ पुनीत कुमार , अशोक विद्रोही, राशिद मुरादाबादी ,डॉ मीरा कश्यप , मनोरमा शर्मा , डॉ प्रीति हुंकार, प्रीति चौधरी, हेमा तिवारी भट्ट, मनोज मनु, कंचन लता पांडेय , सूर्यकांत द्विवेदी और डॉ मनोज रस्तोगी द्वारा प्रस्तुत की गईं रचनाएं -----
रविवार, 26 अप्रैल 2020
मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार विपिन शर्मा के मुक्तक
🎤✍️ विपिन कुमार शर्मा
सीआरपीएफ गेट 3, ज्वालानगर
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9719046900
9458830001
मुरादाबाद के साहित्यकार ( वर्तमान में मुंबई निवासी) प्रदीप गुप्ता की कविता ----- अगर संगीत नहीं होता तो क्या होता
***प्रदीप गुप्ता
B-1006 Mantri Serene
Mantri Park, Film City Road , Mumbai 400065
शनिवार, 25 अप्रैल 2020
मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की कविता ------- गधे से इंटरव्यू
काफी दौड़ धूप के बाद
एक गधे से इंटरव्यू का चांस मिला
हमारा मुरझाया हुआ दिल खिला
हमने उसको चाय पर बुलाया
डनलप के शानदार गद्दो पर बैठाया
गधे महाशय के चेहरे से
रोष झलक रहा था
अंग प्रत्यंग से आक्रोश टपक रहा था
उसका उखड़ा मूड देख
मन घबरा गया
माथे पर पसीने का
समंदर लहरा गया
हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद
हमारा आत्मविश्वास जागा
हमने अपना पहला सवाल दागा
क्या कारण है
आजकल आप परेशान नजर आ रहे हैं
ना मुस्करा रहे हैं
ना खिलखिला पा रहे हैं
गधे ने हमारी ओर अचंभे से देखा
फिर दार्शनिक अंदाज में समझाया
भारत में इस समय भारी असंतोष है
कहीं पर हुए हैं सांप्रदायिक दंगे
कहीं लोगो में
विदेशियों के प्रति रोष है
कहीं मासूमों पर बलात्कार हो रहा है
कहीं हरिजनों पर अत्याचार हो रहा है
कहीं पर छात्र
आरक्षण के विरोध में चिल्ला रहे है
कहीं कुछ लोग
अलग राष्ट्र बनाने की बात उठा रहे हैं
कहीं पर डाकुओं का आतंक मचा है
कहीं बाढ़ आई है
कहीं सूखा पड़ा है
चारों तरफ मची है त्राहि त्राहि
बढ़ती ही जा रही है महंगाई
ऐसे माहौल में
कोई भी देशभक्त
खुश नहीं रह सकता है
और कोई पत्थर दिल आदमी ही
खुश रहने की बात कह सकता है
मैंने कहा
दुनिया में और भी बहुत से देश हैं
आप भारत की ही चिंता क्यों करते हैं
गधा बोला
भारत ही तो ऐसा देश है
जिसे हम अपना कह सकते है
भारतवासी हमसे
इतना अधिक प्यार जताते हैं
हर ऊंचे पद पर
हमारे ही किसी बंधु को बैठाते हैं
हर क्षेत्र में होती है हमारी पूजा
हमारे जैसा बुद्धिमान
यहां मिलता नहीं दूजा
यहां हमको
कोई भी असुविधा नहीं है
लेकिन बस एक ही बात
हमको मायूसी से भर देती है
यहां की पब्लिक
नेता तक की तुलना
हमसे कर देती है
✍️ डॉ पुनीत कुमार
मुरादाबाद-244001
मोबाइल फोन नंबर -9837189600
मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में मुंबई निवासी ) प्रदीप गुप्ता की कविता--- जिंदगी नदी का पुल है .....
***प्रदीप गुप्ता
B-1006 Mantri Serene
Mantri Park, Film City Road , Mumbai 400065
मुरादाबाद की साहित्यकार अस्मिता पाठक की कविता ------ क्या तुम रोक सकोगे
इस देश में
क्या तुम रोक सकोगे?
जवान झील के
पानी की तरह ठहरी,
कभी न खोने वाले
उबलते सच से भरी दृष्टि को
जिससे लोग,
तुम्हें निरंतर देख रहे हैं?
खोखले कानूनों की सुरक्षा
और स्याह हथकडियों के पीछे
शिकार करते हुए,
एक के बाद एक
आवाजों को दबाते हुए,
लोगों को ले जाते हुए,
लोग, जो दबाए हालातों को
ले आते हैं मिट्टी से उछालकर
सतहों तक,
उनके स्वरों से गूँजते,
संघर्ष करते, लड़ते,
घरों को
खाली करते हुए
नज़रें तुम्हें निरंतर देख रही हैं,
बोलो, जब
त्वरित झरनों की तरह
उमड़ने लगेगा
प्रतिरोध का सागर
हर कोने से
तो क्या तुम
इस बहाव को रोक सकोगे?
✍️ अस्मिता पाठक
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020
मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल निवासी साहित्यकार त्यागी अशोक कृष्णम की कविता ----- जमुना मौसी ने मारा है भारत माता के माथे पर पत्थर
देवराज इंद्र ने अकस्मात प्रकट हुए नारद जी से पूछा,
हे संसार दूत!आजकल पृथ्वी लोक पर यह क्या हो रहा है?
सुना है किसी कोरोना नामक राक्षस के समक्ष,हर कोई जोर-जोर से रो रहा है।
नारद जी ने कहा-आपने जितना सुना,उससे भी अधिक हो रहा है,
यमराज का कार्यक्रम डबल शिफ्ट में,थोक के भाव चल रहा है।
विश्व की कई महाशक्तियों को एक साथ पछाड़कर,उनकी छातियों पर अपनी विनाश लीला का झंडा गाड़ कर,
युद्ध के चौथे महीने में भारत में आ बैठा है,पांव पसार कर।
यह सभी छोटे-बड़े मॅझले शहरों में मारधाड़ मचा रहा है।
खून के आंसू रो रहा है,हर कोई करहा रहा है,
परंतु यहां कोरोना मोदी ब्रांड लॉक डाउन में फंसकर,कुछ-कुछ हताश,चिड़चिड़ा,उखड़ा-उखड़ा नजर आ रहा है।
यह लॉकडाऊन क्या होता है?देवर्षि,जरा खुल कर बताओ,
इसकी मारक क्षमता कितनी है?कार्यशैली के बारे में सुनाओ।
बड़े मजेदार आइटम का नाम लॉकडाऊन है,
इसके आगे बड़े-बड़े तीरंदाजाें का मोरल डाऊन है।
देखा जाए तो चारों ओर साफ-सफाई है,सुख शांति,
प्रत्येक ग्रहणी कर रही है नृत्य,गृह स्वामियों के मन में है भीषण क्रांति।
छुआ-छाई,छेड़छाड़ के कारोबार में आजकल भारी मंदी है,
चारदीवारी के अंदर हर छिछोरा बंद है,छिछोरी बंदी है।
घर के अंदर भी,सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पूरी ईमानदारी से हो रहा है,
हर दंपत्ति बच्चों की कड़ी निगरानी में,योग-वियोग कर रहा है
खाने से लेकर दवाई तक,सब कुछ सरकारी है
घर में रहें आप सब,सरकार आपकी आभारी है।
पुलिस-प्रशासन का अद्भुत आचरण,आजकल मन मस्तिष्क को हिला रहा है,
घर से निकलते ही जमकर लतियाता है,बाद में खाना प्रेम पूर्वक खिला रहा है।
और सुनो!इस भीषण युद्ध में यदि किसी समाज का सर्वाधिक योगदान है,
तो वह संभ्रांत उच्च स्तरीय शराबी मनुष्य प्रजाति का है,
जो घुट-घुट कर जी रहा है,घुल-घुल कर मर रहा है,
लॉक डाउन का पालन करते हुए,मिलावटी शराब तीन-गुने पैसों में माफिया से लेकर पी रहा है।
मानव की इस प्रजाति पर है संकट भारी,इससे किसी को कोई मतलब नहीं, किसी को क्या पड़ी है?
यह पूरी की पूरी नस्ल,विलुप्त होने के कगार पर खड़ी है।
भारी उपेक्षा का शिकार होकर भी चींख नहीं रहा है,नहीं रहा है चिल्ला,
किसी पर थूक रहा है नहीं पेशाब कर रहा है खुल्लम खुल्ला।
और ना ही मार रहा है किसी पर पत्थर,
मेरे मुंह में हैं 32 दांत,
जो बोलता हूं सच होता है,लो आ गया ऊपर से पत्थर।
अरे भाई किसने मारा पत्थर? किसको मारा यह पत्थर?
क्या कोरोना हो गया रक्त रंजित?
किसी देशभक्त ने क्या कोरोना को मारा पत्थर?
अरे नहीं देवराज!यह तो
देश की विधि पर आया है पत्थर,विधान पर पत्थर,
अस्तित्व पर पत्थर,संविधान पर पत्थर,
प्रभुता पर पत्थर,आया है संप्रभुता पर पत्थर,
यह तो जमुना मौसी ने मारा है,भारत माता के माथे पर पत्थर।
✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9719059703
मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी का गीत-----बेसहारों के लिए सोचें सभी, कामगारों के लिए सोचें अभी, भूख से मरते हुए बच्चों का हम, पेट भरने की भी तो सोचें कभी,
चाहकर भी सच नहीं कह पाएंगे?
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शांत मन से सोचना होगा हमें,
उद्दंडता को रोकना होगा हमें,
बस उजालों से सबक लेकरअभी,
स्वयं को भी टोकना होगा हमें,
पूछ कर देखें अंधेरों से कभी,
क्या उजालों के बिना रह पाएंगे?
कब तलक हम-------------------
बेसहारों के लिए सोचें सभी,
कामगारों के लिए सोचें अभी,
भूख से मरते हुए बच्चों का हम,
पेट भरने की भी तो सोचें कभी,
वरना बोलो इस तरह इंसानियत,
कैसे जग के सामने ला पाएंगे।
कब तलक हम-------------------
कहाँ तक हम व्यर्थ झगड़ों में पड़ें,
हम घमंडी सोचपर कब तक अडें,
सिर्फअपने स्वार्थ की खातिर यहाँ,
झूठे सच्चे कहाँ तक किस्से गढ़ें,
अपनी करनी दूसरों पर डाल कर,
क्या कभी हम चैन से सो पाएंगे।
कब तलक हम-------------------
हर किसी एहसान के पाबंद हों,
प्यार में डूबा हुआ अनुबंध हों,
हम बुज़ुर्गों और गुरुओं के सभी,
आशीष पाने के लिए स्वछंद हों,
गर न ऐसा कर सके तो उम्र भर,
अपनी नज़रों में स्वयं गिर जाएंगे।
कब तलक हम-------------------
हम दिखावे के बड़े बिल्कुल न हों,
नेक नीयत से कभी ढुलमुल न हों,
किसी को नीचा दिखाने के लिए,
किसी भी षड्यंत्र में शामिल न हों,
तभी अपनी जिंदगी को हम सभी,
सर्वदा खुशियों से नहला पाएंगे।
कब तलक हम------------------
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वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद
मोबाइल फोन नम्बर 9719275453
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