शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी का गीत-----बेसहारों के लिए सोचें सभी, कामगारों के लिए सोचें अभी, भूख से मरते हुए बच्चों का हम, पेट भरने की भी तो सोचें कभी,


कब तलक हम झूठपर इतराएंगे,
चाहकर भी सच नहीं कह पाएंगे?
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शांत मन  से  सोचना  होगा  हमें,
उद्दंडता  को   रोकना  होगा  हमें,
बस उजालों से सबक लेकरअभी,
स्वयं  को  भी  टोकना  होगा  हमें,
पूछ  कर  देखें  अंधेरों   से  कभी,
क्या उजालों  के बिना रह  पाएंगे?
कब तलक हम-------------------

बेसहारों   के   लिए   सोचें   सभी,
कामगारों  के   लिए   सोचें  अभी,
भूख  से मरते हुए बच्चों  का  हम,
पेट भरने की  भी  तो  सोचें कभी,
वरना बोलो  इस तरह  इंसानियत,
कैसे जग  के  सामने   ला  पाएंगे।
कब तलक हम-------------------

कहाँ तक हम व्यर्थ झगड़ों में पड़ें,
हम घमंडी सोचपर कब तक अडें,
सिर्फअपने स्वार्थ की खातिर यहाँ,
झूठे सच्चे कहाँ  तक  किस्से  गढ़ें,
अपनी करनी दूसरों पर डाल कर,
क्या कभी हम चैन से  सो  पाएंगे।
कब तलक हम-------------------

हर  किसी एहसान  के पाबंद  हों,
प्यार  में  डूबा  हुआ  अनुबंध  हों,
हम बुज़ुर्गों और  गुरुओं  के सभी,
आशीष  पाने  के लिए  स्वछंद हों,
गर न ऐसा कर  सके  तो उम्र भर,
अपनी नज़रों में स्वयं गिर जाएंगे।
कब तलक हम-------------------

हम दिखावे के बड़े बिल्कुल न हों,
नेक नीयत से कभी ढुलमुल न हों,
किसी को नीचा  दिखाने  के लिए,
किसी भी षड्यंत्र में शामिल न हों,
तभी अपनी जिंदगी को हम सभी,
सर्वदा  खुशियों से  नहला  पाएंगे।
कब तलक हम------------------

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               वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
                   मुरादाबाद
               मोबाइल फोन नम्बर 9719275453

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