सोमवार, 19 मई 2025

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हिन्दी साहित्य सदन' की ओर से 17 मई 2025 को डॉक्टर अजय अनुपम की कृति यजुर्वेद काव्यानुवाद भाग-1 का लोकार्पण एवं ग़ाज़ियाबाद के नवगीतकार जगदीश पंकज का सम्मान समारोह का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हिन्दी साहित्य सदन' के तत्वावधान में श्रीराम विहार कालोनी कचहरी स्थित 'विश्रान्ति' भवन में शनिवार 17 मई 2025 को लोकार्पण एवं सम्मान-समारोह का आयोजन किया गया जिसमें संस्था के प्रबंधक डॉ. अजय अनुपम की कृति 'यजुर्वेद काव्यानुवाद भाग-1' का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर गाजियाबाद के नवगीतकार जगदीश पंकज को अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित भी किया गया।

     गायत्री मंत्र के वाचन से आरंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना ने काव्य पाठ करते हुए कहा ...

सोशल मीडिया की दुकानों पर, 

आभासी दुनिया के मकानों पर, 

दो दूनी पांच का करते हुए योग, 

काठ के लोग

 मुख्य अतिथि नवगीतकार जगदीश पंकज ने गीत पढ़ा- 

कितना बोध ,

अबोध कह दिया, 

युगसागर तट पर लहरों ने

     कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. अजय अनुपम ने मुक्तक पढ़ा- 

फल के पीछे कर्म हुआ करते हैं, 

दिल के छाले नर्म हुआ करते हैं, 

प्रीति दीप मन में जलता इस कारण, 

सबके आंसू गर्म हुआ करते हैं।

   गजलकार डा. कृष्णकुमार नाज़ ने ग़ज़ल पेश की- 

ये जो रिश्ते हैं, ये लगते तो हैं जीवन की तरह, 

कैफ़ियत इनकी है लेकिन किसी बंधन की तरह, 

तुम अगर चाहो, तो इक तुलसी का पौधा बन जाओ, 

मेरे अहसास महक उट्ठेंगे आँगन की तरह

      डॉ मनोज रस्तोगी ने सुनाया- 

गोलों के बीच, 

तोपों के बीच, 

दब गई आवाज 

चीखों के बीच, 

घुटता है दम अब 

बारूदी झोंको के बीच।

नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने नवगीत सुनाया- 

निराकार मन की होती ज्यों, 

कोई थाह नहीं, 

अन्तहीन नभ में वैसे ही, 

निश्चित राह नहीं, 

नन्हीं चिड़िया ने उड़ने को 

पर फैलाए हैं, 

नयनों ने मन के द्वारे पर, 

स्वप्न सजाए हैं

   शायर ज़िया ज़मीर ने ग़ज़ल पेश की- 

ये जो शिद्दत से गले मुझको लगाया हुआ है, 

उसने माहौल बिछड़ने का बनाया हुआ है, 

क्यूं न इस बात पे हो जाएं ये आंखें पागल, 

नींद भी उतरी हुई ख़्वाब भी आया हुआ है। 

   राजीव 'प्रखर' ने सुनाया- 

रण को जाऊं जब मैं माता, नैनों से नीर सुखा देना। 

आशीष विजयश्री का देकर, माटी का क़र्ज़ चुका देना। 

मुन्नी-मुन्नू सो जाने को, जब छिपें तुम्हारे आंचल में। 

मीठी लोरी के बदले फिर, बलिदानी गीत सुना देना

    दुष्यंत बाबा ने सुनाया- 

हम भारत के शूर समर में, 

भीषण विध्वंस मचाते हैं, 

आँख उठे भारत माता पर, 

हम अपना शौर्य दिखाते हैं

इस अवसर पर राहुल शर्मा और पर्यावरण मित्र समिति के डा. के के गुप्ता की विशेष उपस्थिति रही। कार्यक्रम संयोजिका डा. कौशल कुमारी द्वारा आभार-अभिव्यक्ति प्रस्तुत की गई। 

























शुक्रवार, 16 मई 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष पंडित मदन मोहन व्यास का गीत ....मधुप झूम झुक उठ रहे, मिल रहे हैं । उनका यह गीत वर्ष 1959 में प्रकाशित कृति भाव तेरे शब्द मेरे से लिया गया है

 


खिले रसभरे नीरजों को निरख कर

मधुप झूम झुक उठ रहे, मिल रहे हैं ।


कसे उर्मियों के करों में किरण को 

तरङ्गित हृदय-सर बहा जा रहा है, 

गगन भी धरा के अधर चूमने को 

क्षितिज के किनारे झुका जा रहा है,


किसी कान्ह की बाँसुरी तान सुनकर 

किसी राधिका के नयन खिल रहे हैं। 

खिले रस भरे नीरजों को निरख कर 

मधुप झूम झुक उठ रहे, मिल रहे हैं ।


नियति को नया रूप-यौवन लुटाने 

नये साज के साथ मधुमास आया, 

रसिक-सूर्य ने भाल पर दिग्वधू के 

किरण-हस्त से स्नेह-कुंकुम लगाया


प्रणय की नदी में नयन-नाव पर चढ़ 

अपरिचित हृदय खो रहे, रिल रहे हैं। 

खिले रसभरे नीरजों को निरख कर 

मधुप झूम झुक उठ रहे, मिल रहे हैं।


किनारे-किनारे चली जा रही जो 

वही धार मँझधार में जा मिलेगी, 

जहाँ हास, उल्लास छाया हुआ है 

वहाँ पैंठ फिर वेदना की जुड़ेगी


न यह सोचने का समय है किसी को 

कि उर के भरे घाव फिर छिल रहे हैं । 

खिले रसभरे नीरजों को निरख कर 

मधुप झूम झुक उठ रहे, मिल रहे हैं।


बड़ा ही जटिल रूप का जाल है यह

न इनको यही ज्ञात फँस जाएंगे हम

बड़ा ही कठिन मोह का पाश है यह

न उनको यही ज्ञात कस जायेंगे हम,


मिलन के मधुर गीत ये गा रहे हैं 

हरित पल्लवों-मध्य वे हिल रहे हैं। 

खिले रसभरे नीरजों को निरख कर 

मधुप झूम झुक उठ रहे, मिल रहे हैं।


✍️पंडित मदन मोहन व्यास

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति ने 14 मई 2025 को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर आयोजित की काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से  बुधवार 14 मई 2025 को  'ऑपरेशन सिंदूर' को समर्पित  काव्य-गोष्ठी का आयोजन लाइन पार स्थित विश्नोई धर्मशाला में किया गया। 

अशोक विद्रोही द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने की। मुख्य अतिथि डॉ. रमेश यादव कृष्ण एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में रघुराज सिंह निश्चल मंचासीन हुए। कार्यक्रम का संचालन रामसिंह निशंक द्वारा किया गया।   

     वरिष्ठ कवि ओंकार सिंह ओंकार ने दुश्मन को इस प्रकार चेताया - 

अब भी यदि सुधरा नहीं, सुन ले पाकिस्तान।

 नहीं बचेगा शेष फिर, तेरा नाम निशान।।

      डॉ. राकेश चक्र ने शत्रु को ललकारा - 

झूठा पाकिस्तान है, बेचे रोज जमीर। 

मातम में शहबाज है, गिरगिट बना मुनीर।।

     अशोक विद्रोही का कहना था -

 माथे का "सिंदूर" बना अभियान दिवाने निकल पड़े। 

माँ बहनों की लाज बचाने वीर जियाले निकल पड़े

      डॉ. मनोज रस्तोगी के उद्गार इस प्रकार रहे  उड़ रही गंध ताजे खून की, 

बरसा रहा जहर मानसून भी,

 घुटता है दम अब 

बारूदी झौंकों के बीच।

     नकुल त्यागी  के अनुसार - 

आतंकवाद को खत्म करेंगे

 हमने मन में ठाना है!

युद्ध में भारत की ताकत को 

दुनिया ने पहचाना है!

      मनोज मनु के भाव इस प्रकार रहे - 

हम गौतम, नानक के वंशज,

अपने को कमतर आँका  है, 

लेकिन अब हद पार हो गई,

 यह तो इज़्ज़त पे  डाका है।

     राजीव प्रखर ने देश के लिए बलिदान करने वालों को नमन करते हुए कहा - 

ओ कलुष नापाक़ तू तो, माॅं धरा पर भार है।

 हिन्द की इन बेटियों ने, फिर भरी हुंकार है। 

भर गया घट पाप का, अब अंत तेरा सामने। 

मिट गया सिन्दूर जो, वह बन चुका अंगार है।   

        कार्यक्रम में महेंद्र पाल, रमेश गुप्त, आर. के. आर्य, रामगोपाल आदि साहित्य प्रेमी भी उपस्थित रहे। रामसिंह निशंक द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा। 

























गुरुवार, 15 मई 2025

मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर)निवासी साहित्यकार राजकुमार वर्मा की कारगिल युद्ध के समय लिखी रचना जो आज भी प्रासंगिक है ... अब आरपार होने दो

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मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम के दस दोहे .…..नक्शे पर दीखे न अब,पापी पाकिस्तान





बुधवार, 14 मई 2025

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रेमवती उपाध्याय की सजल ....भारत सैन्यबलों के आगे, पूँछ दबा छिप जाता है



पाक नियत नापाक  हो गईं छल -बल -सब अपनाता है।।

पक्का धोखेबाज दुष्ट यह अन करनी कर जाता है।।


एक बार दो बार नहीं यह वार पीठ पीछे करता।

भारत सैन्यबलों के आगे, पूँछ दबा  छिप जाता है।।

 

शर्म नहीं आती है इसको, डूबे  चुल्लू भर पानी में।

गीदड़ जैसी घुड़की देता, पिटे नहीं शर्माता है।।


आतंकी  आकाओं के बल, निर्दोषों को मार रहा।

अरे अनाड़ी चापलूस क्यों, भारत से बैर बढ़ाता है।।


तेरी प्रजा तुझे कदाचित, क्षमा नहीं कर पायेगी।

त्राहि -त्राहि मची हुई क्यों, तू इनको बिलखाता है।।

✍️डॉ प्रेमवती उपाध्याय

मुरादाबाद

मंगलवार, 13 मई 2025

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर का आह्वान....अब इसको जिंदा छोड़ा तो समझो फिर से मर जाना है...

 

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मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम की कविता...कुत्ते की दुम हो...


अठहत्तर साल हो गये लगभग 

हमारे तुम्हारे बीच हुए बँटवारे को

लेकिन तुम आज भी वैसे ही हो

जैसे पहले थे

झूठे, उद्दण्ड, हिंसक, धूर्त, शातिर

ईर्ष्यालु, नकारात्मक,धर्मांध

इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी

नहीं आया कोई भी बदलाव

तुम्हारे भीतर

नहीं की तुमने कोई तरक्की

नहीं ला पाये तुम अपने भीतर

इंसानियत

सिर्फ लकीर के ही नहीं

हकीकत में भी

फकीर ही रहे तुम

अनगिनत बार

केवल ज़ख़्म ही दिए हैं तुमने

और हमने

सहन करने के साथ-साथ

मुँहतोड़ जबाब भी दिया है तुम्हें

हर बार की तरह इस बार भी

लेकिन तुम हो कि

नाम ही नहीं लेते हो सुधरने का

और प्रयास भी नहीं करते हो

अपने भीतर पल-पल पलती

नफ़रत को ख़त्म करने का

ज़माना कहाँ से कहाँ पहुँच गया, पर

जहाँ से चले थे

खड़े अब भी वहीं तुम हो 

दरअसल

सच तो यह है कि

कभी सीधी न होने वाली

कुत्ते की दुम हो


✍️योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत


सोमवार, 12 मई 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यंत बाबा की कविता....सैनिक का शौर्य


हम भारत के शूर समर में

भीषण विध्वंस मचाते हैं

आँख उठे भारत माता पर

हम अपना शौर्य दिखाते हैं


भारत की यह पावन माटी,

यहाँ बच्चा-बच्चा वीर है

मत समझो इन्हें तृण अकिंचन

यहाँ तिनका-तिनका तीर है

तनक हवा का मिले इशारा

आंखों में घुस जाते हैं


ठहरे हुए सिंधु में तूने

पहले पत्थर मारा है

मौत मिली उसको ही निश्चित

जो हम से टकराया हैं

अब लहरों की रोक सुनामी

हम तेरे तट पर आते हैं


धर्म नही सिखलाता हिंसा

पर हमको धर्म बचाना है

जन्म लिया है जिस माटी में

उसका भी कर्ज चुकाना है

हाथ में लेकर शस्त्र-शास्त्र

सब इष्ट देव समझाते हैं


जब भी गज की मद मस्ती को

कुत्तों ने कमजोरी माना

ऐसी मार लगाई गज ने

याद आ गए नानी नाना

पिटे हुए कुत्ते भी अक्सर

ऐसे ही दाँत दिखाते है


हम भारत के शूर समर में

भीषण विध्वंस मचाते हैं

आँख उठे भारत माता पर

हम अपना शौर्य दिखाते हैं


✍️ दुष्यंत ‘बाबा’

मानसरोवर, 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल (वर्तमानमें मेरठ निवासी )के साहित्यकार सूर्यकांत द्विवेदी की रचना ... मेरी मां है सबसे प्यारी

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मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का मुक्तक .... पार बैठा खोखला पापी नशे में चूर है


 

मुरादाबाद की साहित्यकार सरिता लाल की रचना ....

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मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर का गीत .... तब तब मोदी के साहस का हर गीत सुनाया जाएगा ....


 

शनिवार, 10 मई 2025

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह के दोहे और गीत ...आतंकी अड्डे हुए देखो मटियामेट...

 

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मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह 'ओंकार' के सात मुक्तक .....रण वीरों ने कर दिया, आप्रेशन सिंदूर। आतंकी गढ़ कर दिए, बिल्कुल चकनाचूर ।।



(1)

जाति-धर्म के नाम पर, फैलाते आतंक। 

पूरी धरती के लिए, वे हैं बड़े कलंक।। 

ऐसे दुष्टों से करो, नहीं नर्म व्यवहार, 

इनको अब दण्डित करो, होकर सभी निशंक।। 

(2)

निर्दोषों को मारना, कहें धर्म का काज। 

ऐसा कहने पर उन्हें, तनिक न आती लाज। । 

इन्हें पढ़ाकर भेजते,      कई बड़े शैतान, 

लाशों पर इंसान की,    करते हैं ये राज।। 

(3)

पहलगाम में धर्म की, कर-करके पहचान। 

दुष्टों ने मारे सभी,   सज्जन थे इंसान।। 

इनको दण्डित कीजिए, कहीं न जाएँ भाग, 

ये मानव के नाम पर, सब ही हैं शैतान।। 

(4)

निर्दोषों को मारकर, करें घिनौना कर्म। 

और बताते हैं उसे, सबसे उत्तम धर्म।। 

रची सृष्टि जब ईश ने, मानव थे तब एक, 

दुष्ट सोच के लोग यह, कभी न समझें मर्म।। 

(5)

गीता में श्रीकृष्ण ने, दिया एक निर्देश। 

रक्षित मानवता करो, तभी बचेगा देश।। 

दुर्जन की पहचान कर, धनुष वाण ले हाथ, 

दुष्टों से संग्राम का, देते हैं आदेश।। 

(6)

रण वीरों ने कर दिया, आप्रेशन सिंदूर। 

आतंकी गढ़ कर दिए, बिल्कुल चकनाचूर।। 

आतंकी आका सभी, चकित रह गए देख, 

दुष्टों के अभिमान को, चोट लगी भरपूर।। 

(7)

अब भी यदि सुधरा नहीं, सुन ले पाकिस्तान। 

धरती से मिट जायगा, तेरा नाम- निशान।। 

भारत माँ के वीर ने, भरी अगर हुंकार, 

मिट्टी में मिल जाएंगे, तेरे सब शैतान।। 

✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार' 

मुरादाबाद 24400111

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की रचना ....सिंदूर उजाड़ा था जिसने, अब उसको सबक सिखाना है। हर भारतवासी अंगारा, अब पाकिस्तान निशाना है।।

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1)

बच्चा-बच्चा अब भारत का, भारत मॉं का सेनानी है।

बंदूक हाथ में लिए हुए, समझो हर हिंदुस्तानी है।। 

2)

सिंदूर उजाड़ा था जिसने, अब उसको सबक सिखाना है।

हर भारतवासी अंगारा, अब पाकिस्तान निशाना है।।

3)

हम भूल नहीं सकते उसको, जो पहलगाम हत्यारा है।

आतंकवाद के सॉंपों को, उनके घर घुसकर मारा है।।

4)

हम बुद्ध अहिंसक की धरती, लेकिन कमजोर नहीं मानो।

हम तांडव नृत्य जानते हैं, हमको त्रिशूल शिव का जानो।।

5)

हर युवा हिंद का सैनिक है, हर वृद्ध आग का गोला है।

खुल गया तीसरा नेत्र आज, अब दुश्मन डोला-डोला है।।

6)

संवाद कर रही बंदूकें, पापी को सबक सिखाती हैं।

अभिनंदन सेना का करतीं, आवाजें बढ़कर आती हैं।।

7)

हम हिंद नागरिक सच पूछो, तन-मन से युद्धाभ्यासी हैं।

मरने से नहीं डरे हैं हम, मृत्युंजय भारतवासी हैं।।

✍️  रवि प्रकाश 

बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), 

रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल 9997615451

गुरुवार, 8 मई 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यंत बाबा की रचना ...सेना की सौगंध

 


सेना ने सौगंध उठाकर, अपने मन में ठाना है

भारत माँ को वचन दे दिया, पाकिस्तान मिटाना है


जब-जब पुष्प दिए तुमको, तुमने शूल बिखेरे हैं

जब भी तम को खोना चाहा, तुमने चुने अँधेरे हैं

बहुत हुए संवाद दया के, अब गीता ज्ञान सुनाना है।


अन्न दिया खाने को तुमको, और नीर भी पीने को

पर कश्मीर जुवां पर लाकर, आग लगा दी सीने को

खूब पिलाया पानी तुमको, अब भूखे पेट सुलाना है


कितने सुहाग उजाड़े तुमने, अब उजड़े सिंदूर नही

पाकिस्तान नही होगा अब, शुभ अवसर यह दूर नही 

दानवता के अंत समय तक, सिंदूरी मिशन चलाना है


सत्य, अहिंसा और दया का, सबको ज्ञान दिया हमने

हिंसा बोकर सकल विश्व में, इज्जत खोई है तुमने

धर्म पूछकर गलती कर दी, तुमको धर्म सिखाना है


सेना ने सौगंध उठाकर, अपने मन में ठाना है

भारत माँ को बचन दे दिया, पाकिस्तान मिटाना है

✍️दुष्यंत बाबा 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

बुधवार, 7 मई 2025

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का मुक्तक.... सिंदूर हिंद का अभिमानी, सिंदूरी अब जयकारा है

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सिंदूर हिंद का अभिमानी, सिंदूरी अब जयकारा है

लातों के भूतों के सिर से, भारत ने भूत उतारा है 

भारत माता की जय कहते, सड़कों पर भारत के वासी 

मंगल की रात हुआ मंगल, जय महावीर जय नारा है 


 ✍️ रवि प्रकाश

बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज) 

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल 9997615451

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की सजल.....भारत माँ का गुस्सा तेरा, सर्वनाश ही कर देगा, चुन-चुन कर मारेगा उनको, जिनसे हाथ मिलाता तू!


दो-दो  बार  हराया   तुझको,

फिर  भी  बाज  न  आता तू,

भारत भू  पर पग  धरने  का,

दुस्साहस    दिखलाता     तू,


तेरे     पाले     हुए    सपोले,

तुझको    ही   डस    जाएंगे,

शीघ्र  मिला   देंगे   मिट्टी   में,

जिनको   दूध   पिलाता   तू!


भारत  माँ  का  गुस्सा   तेरा,

सर्वनाश    ही    कर     देगा,

चुन-चुन  कर  मारेगा उनको,

जिनसे   हाथ   मिलाता   तू!


बम-परमाणु क्या  कर लेगा?

समय   तुझे   समझा   देगा!

खो देगा  तुझको  दुनिया  से,

जिस  बम  पर  इठलाता  तू!


बड़े - बड़े   आतंकी   आका,

तेरे    काम      न      आएंगे!

बेमतलब   सोने - चांदी   के,

उनको  कौर   खिलाता   तू!


भुला दिया तूने उस  रब  को,

तू     कैसा     रहमानी      है?

अजहर,हाफिज के नामों की,

माला    रोज    हिलाता    तू!


अभी समय है  हद में रह  ले,

बार  -  बार    चेताता       हूँ!

सबको ही मिटने  का डर  है,

क्यों  मन  को  बहलाता   तू?


हम   भारत   माता   के  बेटे,

आदर्शों      में     जीते      हैं!

अल्लाहकी रहमत को पगले,

अक्सर  ही   झुठलाता     तू!

✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी" 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर       

9719275453

                 

मुरादाबाद के साहित्यकार केपी सिंह सरल की दो कुंडलियां ... "पहलगाम का बदला"

(1)
फौजी इस  अभियान का, नाम रखा सिंदूर। 

घर   बैठे  ही    पा    गये, दुष्ट बहत्तर  हूर।।

दुष्ट  बहत्तर   हूर, हो   गयी    बल्ले   बल्ले। 

कर  भारी  संहार, दुखी  हैं अब  कठमुल्ले।। 

वीरों को जयहिंद, 'सरल' कह मन का मौजी। 

कहता सब  संसार, वीर  भारत के   फौजी।।

(2)

बदला भारत ने लिया, भारी    किया   प्रहार। 

नौ आतंकी जगह को, कर  दीन्हा   बिसमार।। 

कर  दीन्हा   बिसमार, मच   गयी  हाहाकारी। 

मरे     सैकड़ों      दुष्ट, मिसाइल बरसीं भारी।। 

पन्द्रह   दिन  के  बाद, किया फौजौं ने हमला। 

नाम    रखा    सिंदूर, लिया   सिंदूरी   बदला।। 

✍️ के पी सिंह 'सरल'

मिलन विहार

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत




  

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की हुंकार .... सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे।

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सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे 


1) मत फूल समझकर भूल करो, हम फूल नहीं अंगारे हैं। 

हम राम -कृष्ण के वंशज हैं, लाखों दानव संहारे हैं।। 


2)सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे। 

है कसम हमें  भारत माँ की, धरती का भार उतारेंगे।। 


3)यह धर्म सनातन अक्षय है, ,यह धर्म सदा से निर्भय है। 

पूरब -पश्चिम,उत्तर- दक्षिण, केवल भारत की जय जय है।। 


✍️मीनाक्षी ठाकुर

मिलन विहार

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मंगलवार, 6 मई 2025

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से चार मई 2025 को आयोजित काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार चार मई 2025 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार स्थित मिलन धर्मशाला में हुआ। 

       ओंकार सिंह ओंकार द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रघुराज सिंह निश्चल ने आतंकवाद पर विचार रखते हुए कहा - 

जय पाना आतंकवाद पर, लगता कठिन प्रतीत रे। 

घर में ही जब साॅंप पल रहे, कैसे होवे जीत रे।।

    मुख्य अतिथि डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा - 

गोलों के बीच, 

तोपों के बीच , 

दब गई आवाज 

चीखों के बीच, 

घुटता है दम अब 

बारूदी झोंको के बीच 

       विशिष्ट अतिथि के रूप में समीर तिवारी ने व्यंग्य के पैने तीर इस प्रकार छोड़े - 

पैर पसारे सो रहे, अफसर लेकर घूस। 

आग ओढ़कर जी रही, झोपड़ियों की फूस।।

  कार्यक्रम का संचालन करते हुए जितेंद्र जौली ने कहा ....

दो वक्त की रोटियाॅं, उसको नहीं नसीब। 

गर्मी में फुटपाथ पर, सोता मिला गरीब।।

    रामदत्त द्विवेदी की व्यथा थी - 

स्थिति उसकी हुई है मीन जैसी। 

या तड़फती जल बिना कोई मीन जैसी।

   ओंकार सिंह ओंकार ने अपने भावों को शब्द देते हुए कहा - 

जाति-धर्म के नाम पर, फैलाते आतंक। 

पूरी धरती के लिए, वे हैं बड़े कलंक।।

 ऐसे दुष्टों से करो, नहीं नर्म व्यवहार। 

अब इनको दण्डित करो, होकर सभी निशंक।।

     पदम बेचैन के अनुसार - 

शिक्षक आपस में नाराज,

खुशहाली कहाॅं से आए। 

      योगेन्द्र वर्मा व्योम के उद्गार थे - 

निर्दोषों के खून से, हुई धरा भी लाल। 

भारत मां इस हाल पर, करती बहुत मलाल।। 

पहलगाम से देश को, मिला यही संदेश। 

अबकी जड़ से ख़त्म हो, आतंकवादी क्लेश।। 

       मनोज वर्मा मनु का कहना था - 

उम्मीद थी कि उनसे मिलेंगे ज़रूर हम, 

होगी कभी किस्मत भी मेहरबान एक दिन।

     राजीव प्रखर ने देश के लिए बलिदान करने वालों को नमन करते हुए कहा - 

मातृभूमि पर बलि होने के, अनगिन सपने पलते हैं।कोमल कण कोमलता तज कर, अंगारों में ढलते हैंतब नैनों का नीर सूख कर, रच देता है नवगाथा, जब भारत के वीर बाॅंकुरे, लिए तिरंगा चलते हैं।

      रवि चतुर्वेदी ने दुश्मन देश को चेतावनी देते हुए कहा - 

भारत का हर बच्चा-बच्चा, 

घातक एटम बम होगा।

मीनाक्षी ठाकुर की अभिव्यक्ति थी - 

उग रहा सूरज नया 

हर एक पथ पर, 

सो गया दानव, 

मनुज में देव जागा। 

देख अपनी ओर 

आता रोशनी को, 

मुँह छुपा अंँधकार 

उल्टे पांँव भागा।

 धूप आकर अंजुरी में 

भर गयी है। 

रात ने देखी सुबह तो 

 डर गयी है। 

रामदत्त द्विवेदी ने आभार अभिव्यक्त किया।