शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ महेश दिवाकर की सजल --राजा जी ने ली अंगड़ाई, हुए भेड़िए मस्त, शीश झुकाकर राजा जी का, किया बहुत सत्कार


रूप बदलकर क्रूर भेड़िए, घुस आए दरबार,

घात लगाकर बैठ गए कुछ, राजमहल के द्वार ।


राजा जी ने ली अंगड़ाई,  हुए भेड़िए मस्त,

शीश झुकाकर राजा जी का, किया बहुत सत्कार।


चाटुकारिता रच देती है, एक नया अध्याय,

औचक ही आ जाता घर में, खुशियों का अंबार ।


गद्दारों की मक्कारी भी, होती बड़ी अचूक, 

पलभर में होता पुलवामा, दुख का पारावार ।


दीवाली के दीप जलाकर, रचेंं दुष्ट षडयंत्र, 

देशद्रोह की चिंगारी को, सुलगाते गद्दार ।


भ्रष्टाचारी कहां मानते, कोई भी प्रतिबंध, 

राजनीति के राक्षस करते, इनका भी उपकार ।


छिड़ा देश में शीत युद्ध है, उमड़ रहा आतंक, 

दानवता महिमा मंडित है, पा श्रद्धा उपहार ।


सज्जनता का राजनीति भी, करे कहां सम्मान, 

जातिवाद का अवसरवादी, फल पाते मक्कार ।

  ✍️ डा. महेश 'दिवाकर '

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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