आवाज गूंजेगी, मैं रहूं न रहूं ,
स्वर कुछ छोड़ ,अब मैं चलूं।
'मेरी आवाज ही पहचान हैंं'
गुनगुनाओ मुझे मैं सुन सकूं ।
'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाओ
तुम लेकर आंख में आंसू ।
लता तुम्हारी लीन अनंत में,
कुम्हला गये,पुष्प-स्वर बांटूं
समय रोता,संगीत तड़पता,
स्वर- सम्राज्ञी को खोकर ।
स्वरों का 'साया साथ होगा',
दूर बहुत,पास हमारे होकर।
✍️ धनसिंह 'धनेन्द्र
श्रीकृष्ण कालोनी ,चन्द्र नगर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
लताजी को श्रद्धांजलि....बेहद खूबसूरती से दी गई...सुंदर गीत...वाह
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