शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार ज़मीर दरवेश की ग़ज़ल ...तोड़ना है घमंड पर्वत का, चल इसे रास्ता किया जाए!

 


جب کوئی فیصلہ کِیا جائے

دل سے بھی مشورہ کِیا جائے۔

जब कोई फ़ैसला किया जाए,

 दिल से भी मशविरा किया जाए।

خود کو ہی آئِنہ دکھانا ہے،

 آ  تجھے  آئِنہ  کِیا  جائے۔

ख़ुद को ही आइना दिखाना है,

 आ तुझे आइना किया जाए ।

کی ہے تا زندگی وفا پہ وفا ،

 اور اے عشق کیا کِیا جائے۔

की है ता ज़िन्दगी वफ़ा  पे वफ़ा,

 और ए इश्क़ क्या किया जाए।

 یہاں ظالم کے ہوش اڑائے ہیں،

یہاں  سجدہ ادا کِیا جائے۔

यहां ज़ालिम के होश उड़ाएं हैं,

 यहां सजदा अदा किया जाए।

توڑنا ہے گھمنڈ پربت کا ،

چل اسے راستہ کِیا جائے

तोड़ना है घमंड पर्वत का,

 चल इसे रास्ता किया जाए!

ہے جو بے بس کے آنسوؤں کی لڑی،

 اس  کو  موجِ  بلا   کِیا  جائے !

हैं जो बेबस के आंसूओं की लड़ी,

 उसको मौजे-बला किया जाए।

✍️ज़मीर दरवेश                ضمیر درویش

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें