रविवार, 29 अक्टूबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ सीमा अग्रवाल की रचना .... ध्वज अपने प्रतिमानों का, विश्व में फहराए हिन्दी...


भारती के भाल सजे, सम्मान जग में पाए हिन्दी।

स्वर्णिम इतिहास अपना, आज फिर दोहराए हिन्दी।


मात्र भाषा ही नहीं ये, जान है निज संस्कति की,

ध्वज अपने प्रतिमानों का, विश्व में फहराए हिन्दी।


एक ताल पर इसकी, थिरक उठे ये जग ही सारा, 

गूँज उठें सकल दिशाएँ, गीत कोई जब गाए हिन्दी।


गंध निज माटी की सोंधी, वर्ण-वर्ण से इसके आए,

संस्कारों की खुशबू भीनी, देश-देश बगराए  हिन्दी।


बँधें बोलियाँ एक सूत्र में, माला के रंगीं मनकों-सी,

उन्नत भाल भरा हो गर्व से, कंठहार बन जाए हिन्दी।


ओछे खेल में राजनीति के, जन-मन भटक न पाए,

भाषायी सब झगड़े, सूझ से अपनी सुलझाए हिन्दी।


विविधता में एकता की, झलक जहाँ पर दे दिखाई,

बन-ठन आएँ सभी बोलियाँ, ऐसा पर्व मनाए हिन्दी।


बात ही निराली मातृभाषा की, माँ- सी लगती प्यारी,

दिखावे का प्यार और का, नेह माँ-सा छलकाए हिन्दी।


हो ग्रसित जो हीन ग्रंथि से, अंग्रेजी के पीछे दौड़ रहे,

उस भाषा में क्या है ऐसा, जो न तुम्हें सिखलाए हिन्दी।


गुलामी के व्यामोह से, अब तो मन अपना मुक्त करो,

बड़े गर्व से बड़ी शान से, अधरों पे तुम्हारे आए हिन्दी।

✍️ डॉ सीमा अग्रवाल

जिगर कालोनी

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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