रविवार, 29 अक्टूबर 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार आनन्द वर्धन शर्मा की कविता ...ये बूढ़ी आँखें.

 


खुद कम देखतीं,

 हमें सब कुछ दिखातीं,

 ये बूढ़ी आँखें।

जीवन का सार बतातीं,

ये बूढ़ी आँखें।

कभी हँस कर नेह  बरसातीं,

ये बूढ़ी आँखें।

कभी इशारों में डाँट लगातीं,

 ये बूढ़ी आँखें।

ममता का सुखद संसार,

 ये बूढ़ी आँखें।

 हमारा सारा प्यार-दुलार,

 ये बूढ़ी आँखें।

 घर का मान-सम्मान,

 ये बूढ़ी आँखें।

सबका स्वाभिमान,

 ये बूढ़ी आँखें।

यूँ हीं सदा बनी रहें,

ये बूढ़ी आँखें।

अनुभव के पाठ पढ़ाती रहें,

 ये बूढ़ी आँखें।

 ✍️आनन्द वर्धन शर्मा

लाजपत नगर

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

              

2 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार रचना! हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीय!💐💐🙏🙏

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  2. मेरा सृजन आपका सम्मान प्राप्त कर धन्य हुआ।

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