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शनिवार, 19 जून 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा ---बैड नम्बर 5


आई सी यू  में बैड नम्बर 5 पर लेटा वह एकटक बाहर  गेट की तरफ देखता रहता , जैसे कोई आने वाला हो । पता नहीं किसका इन्तज़ार था उसको। दूर से आते किसी शख्स को देखकर, उसकी आँखें कभी चमक जाती पर जैसे जैसे वो पास आता, उसका चेहरा फिर मुरझा जाता।

डॉक्टर ने जब आज उसे बताया कि कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आई है , वह उस वक़्त भी गेट को  ही देखता रहा। थोडी देर बाद उसने करवट ली और  आँखें बन्द कर लेट गया। 

बाहर डॉक्टरों को कहते सुना कि बैड नम्बर 5 की हार्ट अटैक आने से मौत हो गयी ।                                        

 ✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला , अमरोहा

                                      

रविवार, 6 जून 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की रचना ---- वृक्ष की तब आँचल फैलाती है शीतल छांव


जब थके हों 

पसीने से बेहाल

ढूँढें सहारा


वृक्ष की तब

आँचल फैलाती है

शीतल छांव


बहती हवा

दूर करती पीड़ा

सहला ज़ख़्म


चलते फिर

जीवन सफ़र में

ताजगी भर


सहारा देते

जो वृक्ष हमें सदा

नमन उन्हें 

 ✍🏻 प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा

शुक्रवार, 4 जून 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा ------इंसानियत का रिश्ता

 


 'इनकी दोनों किडनी खराब हो चुकी है। इनका ब्लड ग्रुप ए नेगेटिव है।इसी ब्लड ग्रुप की किडनी चाहिये क्योंकि दूसरे ब्लड ग्रुप से कोम्प्लीकेसन के चांस रहते हैं। जल्द इन्तजाम कीजिये। डॉक्टर ने राजेश से कहा।

           राजेश का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था। वह बहुत परेशान था। रागिनी के बिना वह जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता था। वह बैन्च पर बैठकर सभी रिश्तेदारों को फोन मिलाने लगा, पर कहीं से कोई इन्तजाम नहीं हो पाया। जिनका ब्लड ग्रुप ए नेगेटिव था, उन्होने भी मना कर दिया। राजेश नीचे मुहँ करके बैठ गया।उसे कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी। अचानक एक अजनबी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, 'दोस्त मेरा ब्लड ग्रुप ए नेगेटिव है, मैं किडनी देने को तैयार हूँ।'

पर ........तुम्हारे से तो मेरा कोई रिश्ता भी नहीं है, फिर तुम क्यों .........राजेश ने रुंधे गले से कहा।

       तुम शायद भूल रहे हो, एक बहुत गहरा रिश्ता है मेरा तुमसे .............. इंसानियत का रिश्ता। मै अपनी बीवी को नहीं  बचा सका, पर दोस्त अपनी बहन को कुछ नहीं होने दूँगा। चलो उठो, जल्दी चलो।

दोनों उठे और तेज कदमों से चल दिये।

✍️  प्रीति चौधरी ,गजरौला, अमरोहा 


                       


शुक्रवार, 28 मई 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा ---रिश्तों का महत्व


 'हम दोनो ही कोरोना पॉजिटिव हैं, राजेश। अब कैसे होगा । घर पर क्वारनटीन...........रोहित को कौन सम्भालेगा। माँ जी भी तो हैं......'।उषा परेशान हो राजेश से कहे जा रही थी। ' देखते हैं , पहले घर चलो ।' राजेश ने गाड़ी घर की तरफ मोड़ दी। उसने फोन पर माँ को बता दिया कि हम दोनो..........

जैसे ही गाड़ी की आवाज सुनी ,  माँ ने कहा बेटे-बहू, मैनें  दोनो अलग अलग कमरों में तुम्हारी जरूरत का सब सामान रख दिया है। गरम पानी अभी रखा है। जाओ सीधे अपने अपने कमरे में जाओ। सब सही हो जायगा, चिंता मत करो। रोहित अपने कमरे में  है।

माँ ने 14 दिन तक कोरोना प्रोटोकाल का पूरा अनुपालन करते हुए, बहू बेटे का ध्यान रखा। रोहित को भी संभाल लिया।

उषा और राजेश धीरे -धीरे सही होने लगे।

माँ के प्रयास से दोनो 14 दिन में बिलकुल सही हो गये।

सही होकर उषा माँ के गले लगकर बहुत रोई। उसे याद आया कि वह अभी कुछ दिन पहले ही राजेश से लड़ रही थी कि माँ को गाँव छोड दो। आज इस बुरे समय से उषा को रिश्तों का महत्व समझ आ गया।

✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा

                                     

शनिवार, 13 मार्च 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा -----स्याही

आज भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस करती रागिनी तेज कदमों से चली जा रही थी। आखिर आज उसने तलाक के कागज़ो पर साइन कर ही दिये। अपने हाथ में एक पुरानी डायरी पकड़ वह चलती जा रही थी........उसे खुद नहीं पता था कि कहाँ जाना है। एकदम वह रुकी उसने देखा , सामने समुंदर था जिसमें लहरें उठ और गिर रही थी । वह वहीं पास में एक पत्थर पर बैठ गयी।उसने डायरी खोली और रोते हुए  उसमें लिखे पन्नों को फाडने लगी। समुंदर ने उन पन्नों को कब अपने मे समा लिया उसे पता ही नही चला।आज वह बहुत रोई उसे लग रहा था जैसे सब खत्म हो गया। रोते रोते उसने अपना चेहरा हाथोंं से ढक लिया । जब लहरों के बहने की तेज आवाज़ हुई तब उसने अपने चेहरे से हाथोंं को हटाया। उसने देखा रात हो गयी थी , लहरें उठान पर थी पर एकदम ही शान्त हो समुंदर मे मिल गयी। रागिनी उठी उसे कुछ दिखा वह झुकी और उसने उसे हाथ में उठाया । उस वक़्त चाँद उसके सामने था ।अरे ये क्या ........ उसके हाथ में तो वही डायरी के पन्ने थे जो उसने फाड़े थे  , पर ये क्या ............उसने देखा , पन्नों पर  लिखी बरसो की स्याही मिट चुकी थी । 

  ✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला , अमरोहा

शुक्रवार, 5 मार्च 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा------ कहाँ गये आप ......

 


गाँव में कदम रखते ही लोगो की भीड़ रागिनी को जगह जगह दिखायी दी। वह उस भीड़ में से अपने लिये जगह बनाती हुई आगे बढती रही ......। 

बहुत अच्छी मौत पायी .... किसी से कुछ नही  कराया...... बैठे बैठे ही दम निकल गया......भगवान ने चलते हाथ-पैर ही उठा लिया ...   98 साल के तो हो भी गये थे।........

इस तरह की बातें उसे भीड़ से निकलते हुए सुनायी दे रही थी।

रागिनी बड़े से आगंन को तेजी से पार करती हुई , अम्मा के कमरे की तरफ गयी ...... 

फिर रागिनी को सुनायी दिये अम्मा के रोते रोते कहे शब्द ......

इतनी जल्दी मुझे अकेला छोडकर क्यो चले गये आप .....कहाँ गये आप , दिखते भी नही।

✍️ प्रीति चौधरी , गजरौला,अमरोहा

                                

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा ------- मिस यू उषा ......

 


सुबह सुबह शर्मा जी ने आंखों पर लगे चश्में को झुकाकर अखबार को थोडा एक तरफ करते हुए कुर्सी के नीचे रखी चाय को उठाकर चुस्की ली , चाय ठंडी हो चुकी थी। हमेशा ही उनकी चाय ठंडी ही जाती थी। 

रसोई के बर्तनों की भी कयामत थी, जब उषा  उन्हे साफ़ करती तो ऐसी आवाज़ आती थी जैसे बर्तन भी कह रहे हो,  शर्मा जी चाय गर्म ही पी लिया करो ,क्यो हमारा रूप रंग बिगड़वा रहे हो।

उषा रानी की रोज सुबह रसोई से यही आवाज आती ,''अखबार तो पूरे दिन पढा जा सकता है,कौनसा आपको नौकरी पर जाना है। अदरक की चाय है गरम गरम पी लो , आराम करेगी।''

चाय हाथ में लेकर शर्मा जी उठ गये,अखबार को कुर्सी पर रखा और सूखे तुलसी के पौधें के पास जाकर धीरे से कहा,मिस यू उषा  .........

 ✍️ प्रीति चौधरी ,गजरौला, अमरोहा

शनिवार, 2 जनवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की गीतिका ----इस नये साल की यूँ शुरूआत हो हर खुशी द्वार पर एक सौगात हो


इस नये साल की यूँ शुरूआत हो 

हर खुशी द्वार पर एक सौगात हो ।।1।।


लौट आये वही भोर खुशियों भरी 

आपदा मुक्त फिर देश-हालात हों ।।2।।


ये कदम ना रुकें,चल पड़ें जोश से

जिन्दगी से नयी फिर मुलाकात हो ।।3।।


भूख से अब तड़पता न कोई रहे

अन्न धन की सभी द्वार बरसात हो ।।4।।


सो सकें चैन से अब घरों में सभी 

खौफ से दूर अपनी सभी रात हों।।5।।


 ✍️ प्रीति चौधरी , गजरौला,अमरोहा

                           

बुधवार, 23 दिसंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा -----मधुर मिलन


आज रागिनी ने बहन रूचि को भी शादी कर विदा कर दिया.....

रागिनी पुरानी यादों में  खो गयी ....लगभग 10 साल बीत गये , जब राज के साथ उसकी सगाई तय कर शादी की तैयारी मे जुट गये थे उसके मम्मी पापा .......

पर एक दिन ......कार  दुर्घटना ...  भाई अमन और बहन रूचि की जिम्मेदारी उस पर छोड वे सदा के लिये चले गये। 

'अरे रागिनी कहाँ खोई हो, चलो सागर किनारे टहल कर आते है।'राज ने कहा।

 रागिनी आज बहुत हल्का महसूस कर रही थी, वह राज के साथ चल दी ... 

दोनो सागर किनारे टहल रहे थे। चारों ओर चाँदनी बिखर रही थी ......

'राज चाँद कितना सुन्दर लग रहा है। अरे..... आज तो शरद पूर्णिमा है  .....पता है आज चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। 'रागिनी ने उत्सुकता से कहा।

हाँ जानता हूँ ....रागिनी मुझे तुमसे कुछ कहना है....  

राज ने कहना शुरू किया ' तुमने अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह निभायी है। अमन भी अपने परिवार के साथ खुश है और आज  रुचि की शादी भी अच्छे घराने में हो गई है। बहुत साल बीत गये  ......अब मेरा इंतजार खत्म करो......रागिनी  .....मुझसे शादी कर लो।' राज ने रागिनी का हाथ अपने हाथों में ले लिया।

रागिनी ने नजरें झुका ली ......

शरद पूर्णिमा का चाँद उन दोनों के मधुर मिलन की गवाही दे रहा था।                               

✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा

                                    

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा --–-चुभती तारीफ़


नयी नवेली दुल्हन रुचि की मुहँ दिखायी करने कोई न कोई आ ही रहा था .  . ......

अब पड़ोस की दुलारी मौसी बैठी हुई थी। 

'बहुत सुन्दर बहू है,कांता तेरी तो ।' दुलारी मौसी ने कहा।

कांता खुश हो  सबसे सुबह से यही बातें कर रही थी .....

'हाँ मौसी एक ही लड़का है हमारा तो, हमने तो खुले मन से खर्च किया। लड़की वालों की हैसियत नही थी पर हमने कह दिया कि शादी तो बढिया मैरिज होम में ही करेगें। हमने ही सारा खर्च उठाया .......  हमने तो बस लड़की देखी.......सुन्दर है ,संस्कारी है। गरीब है तो क्या हुआ ......। एक रिश्ते वाले तो बहुत पीछे पड़े थे कि दस  लाख की शादी कर देंगे,पर  राजेश को यही पसंद आयी।

अब मौसी आजकल के बच्चे हमारी कहाँ चलने देते है।

ये कानों के कुन्डल, अंगूठी, चेन  .....सब हमने ही डाले है। इसके बेचारे  माँ बाप पर तो बस दो लाख ही रुपए थे।अब मौसी इतने में क्या आ रहा है आजकल ..... । ये है बस कि लड़की अच्छी है।

रुचि नीची नजरें कर चुपचाप सब सुन रही थी। पता नही क्यों...... ये  तारीफ उसके मन को बहुत चुभ रही थी।

 ✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा

                                    

शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा ------सम्मान पत्र


रूचि बार बार घड़ी देख रही थी। शाम के 7 बज गये थे।वो सड़क पर लगभग दौड़ ही रही थी ......आज उसे
 जिलाधिकारी द्वारा  सम्मान पत्र दिया गया था। कार्यक्रम बहुत देर तक चला। फोन की बैटरी भी खत्म हो गयी थी।
उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
उसने बेल बजाई तो बेटी अवनी ने दरवाज़ा खोला।
जल्दी से वह अन्दर आयी। सम्मान पत्र मेज पर रख वह जल्दी से मुहँ हाथ धोकर  किचन में चली गयी। पति राजेश अन्दर टीवी में मैच देखने में व्यस्त थे। वह वही से चिल्लाए   .........  .ये समय है घर आने का। कोई कहने सुनने वाला नही है। बच्चे भूखे है ,इसकी कोई फिक्र नही .......
अवनी ने मेज पर रखे सम्मान पत्र को उठाया ......माँ आपको ये मिला है। उसने पढ़ना शुरू किया .. 
श्रीमती रूचि आपके द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिये किये गये प्रयास सराहनीय है। आपको यह सम्मान पत्र देते हुए हम आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है ।
रूचि अन्दर कुकर में जल्दी सब्जी बनाने के लिये तेज तेज चमचा चला रही थी
✍️ प्रीति चौधरी
 गजरौला ,अमरोहा 

शनिवार, 14 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की गीतिका --दूर हो मन के अँधेरे अब सभी के दीप ऐसे मैं जलाना चाहती हूँ ।


प्यार के दीपक जलाना चाहती हूँ 

दुश्मनी लौ से जलाना चाहती हूँ  ।।1।।

दूर हो मन के अँधेरे अब सभी के 

दीप ऐसे मैं जलाना चाहती हूँ ।।2।।

लौट आयें रूठकर जो भी गये हैं 

देहरी ऐसे सजाना चाहती हूँ ।।3।।

याद आती है मुझे बचपन परी की 

चाँद को आँगन बुलाना चाहती हूँ ।।4।।

बरस बीते जागते ,सोयी नही जो

ख़्वाब से उसको जगाना चाहतीं हूँ।।5।।

 ✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा -----आँखों का सफ़र


अचरज से तकती है नन्ही आँखे रंग बिरंगे संसार को,  बचपन की नटखट गलियों में असीमित सवालों से भरी 

आंखें जवाब ढूंंढने को मचलती रहती हैं  ,सामने खड़ा  खटखटाता है  यौवन दरवाजा,जिसके प्रेम में डूब जाती हैं  आँखे, फिर याद आया अभी करने है पूरे स्वप्न भी तब दिखती आँखो में सपने पूरे करने की ललक ,पर मिलते ही  मंजिल आंखों  में दिखने लगती भविष्य की चिंताए ,इतनी चिंता कि धुंधली होती आंखों पर किसी का ध्यान ही नही गया,जीवन भर चलती आंखें आज ठहर गयी एक जगह, बहुत कोशिश की मैने देखने की, पर उन आंखों में आज कुछ नही दिखता, बैरंग सी दीवारों के बीच अपने शरीर में सुइयोंं के चुभने पर भी वे विचलित नही होती है ........        

✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा