रूचि बार बार घड़ी देख रही थी। शाम के 7 बज गये थे।वो सड़क पर लगभग दौड़ ही रही थी ......आज उसे
जिलाधिकारी द्वारा सम्मान पत्र दिया गया था। कार्यक्रम बहुत देर तक चला। फोन की बैटरी भी खत्म हो गयी थी।
उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
उसने बेल बजाई तो बेटी अवनी ने दरवाज़ा खोला।
जल्दी से वह अन्दर आयी। सम्मान पत्र मेज पर रख वह जल्दी से मुहँ हाथ धोकर किचन में चली गयी। पति राजेश अन्दर टीवी में मैच देखने में व्यस्त थे। वह वही से चिल्लाए ......... .ये समय है घर आने का। कोई कहने सुनने वाला नही है। बच्चे भूखे है ,इसकी कोई फिक्र नही .......
अवनी ने मेज पर रखे सम्मान पत्र को उठाया ......माँ आपको ये मिला है। उसने पढ़ना शुरू किया ..
श्रीमती रूचि आपके द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिये किये गये प्रयास सराहनीय है। आपको यह सम्मान पत्र देते हुए हम आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है ।
रूचि अन्दर कुकर में जल्दी सब्जी बनाने के लिये तेज तेज चमचा चला रही थी
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला ,अमरोहा
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