बुधवार, 23 दिसंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा -----मधुर मिलन


आज रागिनी ने बहन रूचि को भी शादी कर विदा कर दिया.....

रागिनी पुरानी यादों में  खो गयी ....लगभग 10 साल बीत गये , जब राज के साथ उसकी सगाई तय कर शादी की तैयारी मे जुट गये थे उसके मम्मी पापा .......

पर एक दिन ......कार  दुर्घटना ...  भाई अमन और बहन रूचि की जिम्मेदारी उस पर छोड वे सदा के लिये चले गये। 

'अरे रागिनी कहाँ खोई हो, चलो सागर किनारे टहल कर आते है।'राज ने कहा।

 रागिनी आज बहुत हल्का महसूस कर रही थी, वह राज के साथ चल दी ... 

दोनो सागर किनारे टहल रहे थे। चारों ओर चाँदनी बिखर रही थी ......

'राज चाँद कितना सुन्दर लग रहा है। अरे..... आज तो शरद पूर्णिमा है  .....पता है आज चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। 'रागिनी ने उत्सुकता से कहा।

हाँ जानता हूँ ....रागिनी मुझे तुमसे कुछ कहना है....  

राज ने कहना शुरू किया ' तुमने अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह निभायी है। अमन भी अपने परिवार के साथ खुश है और आज  रुचि की शादी भी अच्छे घराने में हो गई है। बहुत साल बीत गये  ......अब मेरा इंतजार खत्म करो......रागिनी  .....मुझसे शादी कर लो।' राज ने रागिनी का हाथ अपने हाथों में ले लिया।

रागिनी ने नजरें झुका ली ......

शरद पूर्णिमा का चाँद उन दोनों के मधुर मिलन की गवाही दे रहा था।                               

✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा

                                    

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