'हम दोनो ही कोरोना पॉजिटिव हैं, राजेश। अब कैसे होगा । घर पर क्वारनटीन...........रोहित को कौन सम्भालेगा। माँ जी भी तो हैं......'।उषा परेशान हो राजेश से कहे जा रही थी। ' देखते हैं , पहले घर चलो ।' राजेश ने गाड़ी घर की तरफ मोड़ दी। उसने फोन पर माँ को बता दिया कि हम दोनो..........
जैसे ही गाड़ी की आवाज सुनी , माँ ने कहा बेटे-बहू, मैनें दोनो अलग अलग कमरों में तुम्हारी जरूरत का सब सामान रख दिया है। गरम पानी अभी रखा है। जाओ सीधे अपने अपने कमरे में जाओ। सब सही हो जायगा, चिंता मत करो। रोहित अपने कमरे में है।
माँ ने 14 दिन तक कोरोना प्रोटोकाल का पूरा अनुपालन करते हुए, बहू बेटे का ध्यान रखा। रोहित को भी संभाल लिया।
उषा और राजेश धीरे -धीरे सही होने लगे।
माँ के प्रयास से दोनो 14 दिन में बिलकुल सही हो गये।
सही होकर उषा माँ के गले लगकर बहुत रोई। उसे याद आया कि वह अभी कुछ दिन पहले ही राजेश से लड़ रही थी कि माँ को गाँव छोड दो। आज इस बुरे समय से उषा को रिश्तों का महत्व समझ आ गया।
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
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