नयी नवेली दुल्हन रुचि की मुहँ दिखायी करने कोई न कोई आ ही रहा था . . ......
अब पड़ोस की दुलारी मौसी बैठी हुई थी।
'बहुत सुन्दर बहू है,कांता तेरी तो ।' दुलारी मौसी ने कहा।
कांता खुश हो सबसे सुबह से यही बातें कर रही थी .....
'हाँ मौसी एक ही लड़का है हमारा तो, हमने तो खुले मन से खर्च किया। लड़की वालों की हैसियत नही थी पर हमने कह दिया कि शादी तो बढिया मैरिज होम में ही करेगें। हमने ही सारा खर्च उठाया ....... हमने तो बस लड़की देखी.......सुन्दर है ,संस्कारी है। गरीब है तो क्या हुआ ......। एक रिश्ते वाले तो बहुत पीछे पड़े थे कि दस लाख की शादी कर देंगे,पर राजेश को यही पसंद आयी।
अब मौसी आजकल के बच्चे हमारी कहाँ चलने देते है।
ये कानों के कुन्डल, अंगूठी, चेन .....सब हमने ही डाले है। इसके बेचारे माँ बाप पर तो बस दो लाख ही रुपए थे।अब मौसी इतने में क्या आ रहा है आजकल ..... । ये है बस कि लड़की अच्छी है।
रुचि नीची नजरें कर चुपचाप सब सुन रही थी। पता नही क्यों...... ये तारीफ उसके मन को बहुत चुभ रही थी।
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें