रविवार, 17 जनवरी 2021

संस्कार भारती मुरादाबाद की ओर से आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में काव्य गोष्ठी का आयोजन

  संस्कार भारती साहित्य समागम  की प्रथम वर्षगांठ पर 17 जनवरी 2021 रविवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज मुरादाबाद में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ मीना कौल ने की।  मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी एवं विशिष्ट अतिथि बाबा संजीव आकांक्षी रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे के चित्र के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। मां सरस्वती की वंदना राजीव प्रखर ने प्रस्तुत की 

        काव्य गोष्ठी में डॉ मीना कौल ने नारी विमर्श पर अपनी सशक्त रचना प्रस्तुत करते हुए कहा----

स्त्री!

तू कोई खिलौना नहीं

कि कोई भी तुमसे खेल सके।

         मुरादाबाद के साहित्य को संजोने का ऐतिहासिक कार्य कर रहे 'साहित्यिक मुरादाबाद' के संचालक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने  कोरोना के संदर्भ में अपनी रचना के माध्यम से जागरूक किया ---

 करना दूर से नमस्ते भइया

 हाथ ना मिलाना तुम

 जब भी निकलो घर से 

मास्क पहनकर जाना तुम 

        संस्कार भारती के प्रांतीय महामंत्री बाबा संजीव आकांक्षी ने कहा --

है नरों के  इंद्र ने 

तुम को जगाया

अब भी ना जागे तो

 यह महापाप होगा।

        महानगर की युवा कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर ने श्रीराम मंदिर निर्माण के संदर्भ में अपनी ओजस्वी वाणी से आह्वान किया ----

श्रीराम धरा पर आकर तुम

 फिर से सृष्टि उद्धार करो 

      अपने दोहों और मुक्तकों से एक विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुके युवा साहित्यकार राजीव प्रखर ने कहा ----

दिलों से दूरियां तज़ कर

 नए पथ पर बढ़ें  मित्रों

 नया भारत बनाने  को 

 नई  गाथा   गढ़ें  मित्रों।

खड़े हैं संकटों के जो 

बहुत से आज भी दानव।

 सजाकर श्रंखला सुद्रढ़ 

चलो उनसे लड़ें मित्रों।

      नवोदित कवयित्री शीतल ठाकुर ने कहा---

 सच के साथ चलना

 सच को दिखाना 

यही उद्देश्य अपना ।

        युवा रचनाकार ईशांत शर्मा ईशु ने कहा----

 मान भी जाओ, मनाना जरूरी है क्या

 प्यार हर बार, जताना जरूरी है क्या 

       आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने कहा----

 जीवन एक संग्राम हैं

 जिसमें चलना अविराम है

कार्यक्रम के अंत में मंच द्वारा सभी उपस्थित साहित्यकारों का माल्यार्पण कर साहित्य समागम के एक वर्ष पूर्ण होने की बधाई  दी गई और आगे के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर  द्वारा किया गया।

























::::::::::प्रस्तुुुुति::::::::
आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ, मुरादाबाद


शनिवार, 16 जनवरी 2021

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से मकर संक्रांति पर्व पर गुरुवार 14 जनवरी 2021 को काव्य गोष्ठी का आयोजन

     मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से मकर संक्रांति पर्व पर गुरुवार 14 जनवरी 2021 को जंभेश्वर धर्मशाला लाइनपार मुरादाबाद में योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल, विशिष्ट अतिथि- डॉ महेश दिवाकर रहे। संचालन अशोक विद्रोही ने किया । सरस्वती वंदना राजीव प्रखर ने प्रस्तुत की।कवि गोष्ठी के साथ-साथ मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भी आयोजन किया गया सभी ने प्रेम पूर्वक प्रसाद ग्रहण किया तथा काव्य गोष्ठी में प्रतिभाग किया कवियों ने एक से बढ़कर एक रचना प्रस्तुत कीं।

योगेंद्र पाल विश्नोई ने कहा ----

हर रात के बाद दिन निकला भी तो क्या

दिन छिपेगा तो रात भी हो जाएगी।।


रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा -

एक बृह्म है व्यापक, ब्रह्म का विस्तार,

 विश्व चराचर है संसार बह्म आधार।

 

अशोक विद्रोही ने कहा-

मान माता तेरा हम बढ़ाएंगे,

धूल माथे से तेरी लगाएंगे।

एक क्या सौ जन्म तुझ पे कुर्बान मां

भेंट अपने सिरों की चढ़ाएंगे।। 


डॉ महेश दिवाकर का स्वर था ---

पर्व मकर संक्रांति का, विश्व करे उत्कर्ष

आधि व्याधि का अंत हो, मानवता को हर्ष


राम सिंह निशंक ने कहा ---

जिसने जग रचाया ,जो सब में समाया

 तू उसको मत भूल।।

 

रघुराज सिंह निश्चल ने रचना प्रस्तुत की --

एक झूठ सौ बार कहो,

सच्चा नहीं हुआ करता है।

कुत्तों के भौंके जाने से,

हाथी नहीं रुका करता है।।


डा.मनोज रस्तोगी ने कहा ---

कोरोना के मद्देनजर,

 मुख्यमंत्री के पैकेज को 

 टीवी पर सुनकर

फूले नहीं समाये

हास्य कवि घनचक्कर


डॉ मीना कौल की रचना थी---

नहीं तुझे अब है डरना, और न डराना है,

हौसला रखना तुझे, हौंसला बढ़ाना है।।


राजीव प्रखर ने रचना प्रस्तुत की---

जहाँ जैसा मिले साधन, 

करें हम दान श्रद्धा से।

यही तो पर्व यह पावन,

 मकर संक्रांत कहता है।।

 

-मनोज वर्मा मनु ने कहा ---

हों प्रफुल्लित सूर्य के शुभ आगमन से प्राण श्रीमन्।

सूर्य की नव अरुणिमा निश्चित महा वरदान श्रीमन्।।

      इसके अतिरिक्त  जसवीर सिंह, कृपाल सिंह धीमान, रमेश गुप्ता एवं अन्य कवियों ने भाग लिया। अंत में कविवर जय प्रकाश विश्नोई के निधन पर श्रद्धांजलि  अर्पित की गई।आभार राम सिंह निशंक ने व्यक्त किया।

  




















:::::::: प्रस्तुति::::::       

अशोक विद्रोही

उपाध्यक्ष

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति,मुरादाबाद

बुधवार, 13 जनवरी 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की रचना --बसी है धड़कनों में ये हमारी जान है हिन्दी ....-


 

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी वर्मा की कविता नवजात शिशु के भाव हैं हिन्दी .....


 

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ शोभना कौशिक की रचना ---हिन्दी हिन्द की शान है ,मातृ भाषा वो महान है ....-


 

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा) की साहित्यकार रेखा रानी की कविता -------जनगण का अधिकार है ,भावों का उद्गार है ....


 

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर के दोहे .....




 

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की गीतिका --मेरी पहचान है हिन्दी मुझे वरदान है हिन्दी .....


 

मंगलवार, 12 जनवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल (वर्तमान में नोएडा निवासी) साहित्यकार अटल मुरादाबादी का गीत ---- चार कोस पर बदली वाणी, केवल मिलती हिन्दी में .....


 

मुरादाबाद की साहित्यकार (वर्तमान में जकार्ता, इंडोनेशिया निवासी ) वैशाली रस्तोगी की कविता ---मेरी हिन्दी

 


मुरादाबाद मंडल के हसनपुर (जनपद अमरोहा)निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी का गीत ----- हिंदी अपना गौरव है हिंदी अपनी जान है , हिंदी अपनी मर्यादा है आन बान शान है ....


 हिंदी अपना गौरव है हिंदी अपनी जान है ।

हिंदी अपनी मर्यादा है आन बान शान है ।।

हिंदी अपनी संस्कृति है हिंदी ही अभिमान है ।

विश्व पटल पर हिंदी से ही हम सब का सम्मान है ।।

हिंदी अपना परिचय है हिंदी ही पहचान है ।

हिंदी से इतिहास सुरक्षित और जीवन गतिमान है ।।

हिंदी अपना धर्म ग्रंथ है गीता वेद पुराण है ।

हिंदी सब धर्मों की भाषा बाइबिल और कुरान है ।।

हिंदी पथ प्रदर्शक अपनी हिंदी ही विज्ञान है । 

हिंदी अपनी जीवन गाथा हिंदी एक अभियान है।।

हिंदी से ही विश्व में अपना भारत देश महान है ।।

हिंदी की सेवा मुजाहिद का अरमान है ।

हिंदी बोलें हिंदी लिखें जन जन से आव्हान है ।।

🎤✍️ मुजाहिद चौधरी , हसनपुर, अमरोहा

मुरादाबाद के साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ल की रचना ---हमारी अस्मिता है राष्ट्र का अभिमान है हिन्दी.....


 

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की रचना ---हिन्दी अपनाओ बंद सारे झगड़े हों ....


 

मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यंत बाबा की कविता ---उस हिन्दी को आज नमन


 

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार अतुल कुमार शर्मा की कविता ---हिन्दी मेरी शान है, मान है, पहचान है , हर भारतवासी हो हिंदीभाषी, यही मेरा अरमान है


हिंदी मेरी शान है, मान है, पहचान है ,

हर भारतवासी हो हिंदीभाषी, यही मेरा अरमान है।

इस धरा का कण-कण बोले, मेरी प्यारी भाषा को,

अखिल विश्व में मान पाए यह, पंख लगें इस आशा को।

अमृतपान किया मानो, हिंदी ने पाई अमरता है,

करता प्रेम हिंदी से जो, सूर्य समान चमकता है।

हिंदी-प्रेमी तारे-सितारे, मरकर अमर हो गए जो,

मातृभाषा की सेवा में, गगन छू गए सेवक वो।

लो उदाहरण कुछ सूर-तुलसी-बिहारी और मीरा का,

कबीर ,जायसी ,दिनकर और,भूषण जैसे हीरा का।

हिंदी की सेवा में ,जीवन अर्पित कर गए जो ,

पाया यश और मान इन्होंने,साहित्य समर्पित कर गए वो।

कंठ में धारै जो इस भाषा को, पाए मान वह हिंदी से,

ज्यों मान बढ़ाए सधवा का, भाल सजै ज्यों बिंदी से।

सरलता,सरसता है श्रृंगार, सादगी जिसका ताज है,

रस ,अलंकार ,आभूषण प्यारे,

मधुर वाणी जिसका राज है ।

ऐसी प्यारी हिंदी को गर, मान न हम दे पाएंगे,

तो विश्व में अपने आप को ,खुद ही ढूंढते रह जाएंगे ।


🎤✍️ अतुल कुमार शर्मा, संभल

सोमवार, 11 जनवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा की रचना ---- आतंकवादियों दहशतगर्दी कितनी ही फैला लो.....


 

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से रविवार 10 जनवरी 2021 को वाट्सएप पर ऑन लाइन मुक्तक गोष्ठी का आयोजन किया गया । गोष्ठी में शामिल साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत मुक्तक ------


वेदना  का  भार  लेकर  जी   रहा  हूँ

गीत  का  सम्भार  लेकर  जी  रहा हूँ
तोड़ दी वीणा ह्रदय की जिस किसी ने
बस  उसी  का  प्यार लेकर जी रहा हूँ ।
       
कौन  हो  कहना  सरल है
भाव  को  पीना  गरल   है
बीच  की  चुप्पी न  अच्छी
अध कहा निभना विरल है ।
        
नियति हर श्वांस को तूफान बना देती है
विवशता  फूल  को पाषाण बना देती है
जन्म  से कोई भी  शैतान नहीं  होता है
भूख  इंसान  को  शैतान  बना  देती  है
         
✍️ अशोक विश्नोई, मुरादाबाद
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1 ओठोंपर तनिक बुदबुदाहट है
फूल पत्तों में सरसराहट है
शर्म से झुक रही हैं ख़ुद पलकें
तेरे आने की सुगबुगाहट है
2
चाह अभ्यास होने लगी है
आस विश्वास होने लगी है
क्या अमृत प्यार का दे गये तुम
तृप्ति फिर प्यास होने लगी है।
3
अकुलाहट गाती रहती हैं
मन को भरमाती रहती हैं
छोटी-छोटी जिज्ञासाएं
जीवन सरसाती रहती हैं

✍️ डॉ. अजय 'अनुपम',मुरादाबाद
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उदित हुआ नव भास्कर, स्वर्णिम हुआ विहान।
विमल हृदय से कीजिये, ईश्वर का गुणगान।
जीवन में यदि चाहते, तुम खुशियों का साथ
सदभावों से हो सजा, अन्तर्मन परिधान।।

शीत पवन की चले कटारी, सूरज है लाचार।
सिमटा सिमटा सा लगता है, देख सकल संसार।
कुहरे में जा धूप छुपी है, पंछी भी बेहाल
माँ की अदरक चाय बनी है, सर्दी का उपचार।।

भूली बिसरी यादों से ही, सजता मन का गाँव।
बड़ी कटीली डगर प्रेम की, बिंधे हुए हैं पाँव।
वही खुशी तो बाँट सकेगा, जिसके अपने पास
पतझर के मौसम में तरुवर, कब देते हैं छाँव।।

✍️ डॉ पूनम बंसल, मुरादाबाद
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1- सच को कहना सच को सुनना सीखना होगा हमें
झूठ के फैलाव को अब रोकना होगा हमें
चाहते हो यदि चतुर्दिक शांति व सद्भाव हो
हर तरह की बेड़ियों को तोड़ना होगा हमें
2- इक नया सूरज उगायें इस गहन अंधियार में
अब नये उत्तर तलाशें प्रश्नो के अंबार में
हो रही नैतिकता खंडित रो रही इंसानियत
इक नये बदलाव की दरकार है  संसार में
3- चेतना के स्वर यहाँ पर मौन कैसे हो गये
लोग औरों को जाते क्यों स्वयं ही सो गये
लुप्त क्योंकर हो रहीं हैं सत्य की परछाईंया
कौन हैं पथ पर हमारे शूल इतने बो गये

✍️ शिशुपाल "मधुकर ",मुरादाबाद
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          (1)
सुन  रहे यह साल  आदमखोर है
हर तरफ  चीख, दहशत, शोर है
मत कहो वायरस जहरीला बहुत
इंसान ही आजकल कमजोर है

(2)
मौतों   का  सिलसिला  जारी है
व्यवस्था की कैसी ये लाचारी है
आप  शोक संदेश  पढ़ते  रहिये
आपकी इतनी ही जिम्मेदारी है

(3)
लेकर फिर हाथ में वो मशालें निकल पड़े हैं
बेकुसूरों  के  घर  वो जलाने निकल पड़े हैं
यह सोच कर उदास हैं चौराहों पर लगे बुत
हमारे शहर में  वो लहू बहाने निकल पड़े हैं

✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
Sahityikmoradabad.blogspot.com
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त्यागकर स्वार्थ का छल भरा आवरण
तू दिखा तो  सही प्यार का आचरण
शूल  भी  फिर नहीं दे सकेंगे चुभन
जब छुअन का बदल जाएगा व्याकरण
×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×
द्वंद  हर  साँस  का साँस के संग है
हो  रही  हर  समय स्वयँ से जंग है
भूख - बेरोज़गारी  चुभे   दंश - सी
ज़िन्दगी  का  ये  कैसा  नया रंग है
×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×
व्यर्थ आपस में क्यों हम हमेशा लड़ें
भेंट षडयंत्र की क्यों सदा हम चढ़ें
छोड़कर नफ़रतें प्यार की राह पर
दो क़दम तुम बढ़ो, दो क़दम हम बढ़ें

✍️  योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’, मुरादाबाद
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    जमा  दिया  नदियों का पानी,
    किया  हवा  को  भी  तूफ़ानी,
    पता  नहीं  कब तक सहनी है,
    हमें शिशिर की यह मनमानी।
 
और  न  अपना  कोप  बढ़ाओ  हे सर्दी  रानी,
तेवर   में   कुछ  नरमी  लाओ  हे  सर्दी  रानी।
कुहरा भी फैलाओ लेकिन हफ़्तों-हफ़्तों तक,
सूरज  को  यों  मत  धमकाओ  हे  सर्दी रानी।

✍️ ओंकार सिंह विवेक, रामपुर
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धूप में गम की दरख्तों का घना साया है मां,
नेअमतें है एक अता दौलत है सरमाया है मां,
मां तेरे सदके मेरी शोहरत की हर शाम ओ सहर,
इस  जहां  में तेरा रुतवा कौन ले पाया है मां,,

कुछ तो था जिसका ग़म नहीं जाता,
दिल से वो ...दम से कम नहीं जाता,
कोई .... शिद्दत  से   याद   करता  है,
मुद्दतों ...यह    वहम    नहीं   जाता,,

कहीं तो जिस्म को बेपैरहन रखे फैशन,
कहीं बे पैरहन बैठे हैं मुँह ज़रा सा लिए,
कहीं नसीब मसर्रत जहां की शाम ओ सहर ,
कहीं गमों का तलातुम है सिलसिला सा लिए,,

नजर से जान लेते हैं जिगर की बात भी साहिब,
कहां सबके पहुंच पाते वहां जज्बात भी साहिब,
तमन्ना आसमां छू कर भी उन तक लौट आती है,
मोहब्बत तो बना देती है यह हालात भी साहिब,,

अदब शनास  तबीयत का पास रखते हैं ,
उदास दिल भी  मुहब्बत का पास रखते हैं ,
कभी कहीं भी तेरा तस्करा नहीं करते,
'मनोज' हम भी रवायत का पास रखते हैं,,
          
✍️ मनोज 'मनु', मुरादाबाद
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1
पसीने से ये अपने अन्न धरती पर उगाता है। 
कृषक ही इस धरा पर हम सभी का अन्नदाता है।
किसानों की बदौलत ही हमारा देश कृषि उन्नत,
सियासत खेलना इन पर नहीं हमको सुहाता है।।

2
आना है इसको आएगा, आने वाला कल।
आकर फिर कल बन जायेगा,आने वाला कल। भरी हुई सुख दुख से रहती, उसकी तो झोली,
किसे पता पर क्या लाएगा,आने वाला कल।।

✍️ डॉ अर्चना गुप्ता , मुरादाबाद
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पीछे सारे रह गये, मज़हब-फ़िरके-ज़ात।
जब लोगों ने प्यार से, की हिन्दी में बात।।
******
मानो मुझको मिल गये, सारे तीरथ-धाम।
जब हिन्दी में लिख दिया, मैंने अपना नाम।।
******
माँ हिन्दी के नाम पर, करके जय-जयकार।
हाय-हलो में व्यस्त क्यों, इसके ठेकेदार।।

अरे चीं-चीं यहाँ आकर, पुनः हमको जगा देना।
निराशा दूर अन्तस से, सभी के फिर भगा देना।
चला है काटने को जो, भवन का मोकला सूना,
उसी में नीड़ अपना तुम, मनोहारी लगा देना

फिर विटप से गीत कोई, अब सुनाओ कोकिला।
आस जीने की जगा कर, कूक जाओ कोकिला।
हों तुम्हारे शब्द कितने, ही भले हमसे अलग,
पर हमारे भी सुरों में, सुर मिलाओ कोकिला।

- ✍️ राजीव 'प्रखर', मुरादाबाद
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1-
धरती पर अब तक मानव की प्यास अधूरी है
सुख संग दुख से जीवन की परिभाषा पूरी है
युगों युगों से चक्र तभी ये चलता जाता है,
फूलों संग "काँटों " का होना बहुत जरूरी है
2-
सत्य हम बोल तो लें,यह पर,सुनेगा कौन?
पुष्प 'प्रिय' झूठ का है,काँटें चुनेगा कौन?
लक्ष्य है 'सुख',सभी का,'सच' कब रहा है ध्येय
प्रश्न 'कटु' मेहनत के,मन में गुनेगा कौन?
3-
मीत लौट आ इधर,राह वह निहारती
हाथ चंद्रमा लिए,चेहरा संवारती
चूनरी में स्वप्न की,टाँकने नखत लगी,
दीप जला सांझ का,रूपसी पुकारती

✍️ हेमा तिवारी भट्ट, मुरादाबाद
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आज़ादी का बिगुल बजाया मेरी प्यारी हिन्दी ने
जन जन में है जोश जगाया मेरी प्यारी हिन्दी ने
माँ ने मीठी लोरी गायी जिस भाषा के भावों में
सुंदर सा है स्वप्न दिखाया मेरी प्यारी हिन्दी ने ।

✍️ डॉ रीता सिंह, मुरादाबाद
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कहूँ कैसे दबी जो आज मेरे बात दिल में है ।
बिताये साथ जो लम्हे वही  सौगात दिल में है ॥
समय अब आ गया है प्यार का इज़हार करने का ,
मुहब्बत से भरे जज़्बात की बरसात दिल में हैं ॥

दिल के जज़्बात यूँ ही दिल में दबाए रखना।
कोई कुछ भी कहे अश्क़ों को छुपाए रखना।।
जाने किस मोड़ पे मिल जाए मसीहा कोई,
आस का दीप सदा दिल में जलाए रखना।।

✍️ डाॅ ममता सिंह मुरादाबाद
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हाथों की भी यह कैसी मजबूरी है  
सब कुछ पाया है, एक चाह अधूरी है।
हाथ मिलाने से पहले सोचा न था
रेखाओं का मिलना बहुत जरूरी है।

मैं जानती हूं कि मुझको तेरी तलाश नहीं
ढूंढती रहती हूं जाने क्या मेरे पास नहीं।।
तड़प है दर्द है खामोशी है तन्हाई है,
फिर भी कहती हूं जमाने से मैं उदास नहीं।।

अभी मुझको जमाने की तरह चलना नहीं आता
रिवाजों में यहां की रीत में ढलना नहीं आता
  मुझे आता है बस लोगों के होंठों पर हंसी लाना
मुझे मंदिर में पूजा आरती करना नहीं आता।।

✍️ निवेदिता सक्सेना, मुरादाबाद

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की रचना --नैनीताल में नववर्ष-


 

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष सर्वेश्वर सरन सर्वे पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख जो दैनिक जागरण के 11 जनवरी 2015 के अंक में प्रकाशित हुआ था


 

रविवार, 10 जनवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा) की साहित्यकार डॉ मधु चतुर्वेदी का गीत ---अस्मिता का हिन्द की सत्कार है हिन्दी, एकता के सूत्र का विस्तार है हिन्दी.....


अस्मिता का हिन्द की सत्कार है हिन्दी ।

 एकता के सूत्र का विस्तार है हिन्दी ।।


संस्कृता,संजीविता,अपराजिता है।

मर्दिता बहु भांति पर कठ जीविता है।।

आत्म गौरव की गहन हुंकार है हिन्दी।

राष्ट्र के जयघोष की टंकार है हिन्दी।।


वन्दिता,अभिनंदिता,वाणी पुनीता।

रंजनी,दुखभंजनी,सुखदा, सुनीता।।

भक्ति की अभिव्यक्ति का उद्गार है हिन्दी।।

भावना के भाष्य का उच्चार है हिन्दी।।


संलयन,संदर्शना का उन्नयन है।

भिन्न परिवेशी स्वरों का सम्मिलन है।।

सार्वभौमिक ऐक्य का संचार है हिन्दी।

राष्ट्रवादी भावनद की धार है हिन्दी।।


आत्म का विश्वात्म मेँ शुभ संचरण है।

संस्कृति की सौम्यता का संवहन है।। 

कूट सूत्रों का सरल व्यवहार है हिन्दी।

लक्ष्य के उत्कर्ष का सुविचार है हिंदी।।


वर्ण,अक्षर,नाद योजित व्याकरण है।

ज्ञान का विज्ञान सम्मत आचरण है।।

आदि कवि की कल्पना का सार है हिन्दी।

नवरस तरंगित तारिणी का तार है हिन्दी।।


आप्त ऋषियों की गिरा से निःसृता है।

है कलेवर दिव्य यह प्रांजल ऋता है।।

पूत वैदिक वाङ्गमय अनुहार है हिन्दी

स्वस्ति की संकल्पना,संस्कार है हिंदी।।


क्योँ विमाता-मोह मेँ, माता भुलाई।

क्योँ परिष्कृति ने विकृति से मात खाई।।

इस भ्रमित व्यामोह का उपचार है हिन्दी।

गर्व से उद्घोष हो,स्वीकार है हिन्दी।।


✍️ डॉ. मधु चतुर्वेदी

गजरौला गैस एजेंसी चौपला,गजरौला

जिला अमरोहा 244235

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9837003888