रविवार, 17 जुलाई 2022

'साहित्यिक मुरादाबाद' की ओर से 16 जुलाई 2022 को आयोजित भव्य समारोह में मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की कृतियों 'सपनों का शहर' (लघुकथा संग्रह) एवं 'ओस की बूंदें' (हाइकु संग्रह) का लोकार्पण एवं देशभक्ति पर आधारित लघु नाटिका एकांकी प्रतियोगिता के विजेताओं और तीन बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।

 मुरादाबाद मंडल के साहित्य के प्रसार एवं संरक्षण को पूर्ण रूप से समर्पित 'साहित्यिक मुरादाबाद' की ओर से आयोजित भव्य समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई की कृतियों 'सपनों का शहर' (लघुकथा संग्रह) एवं 'ओस की बूंदें' (हाइकु संग्रह) का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर 13 साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया।

 राम गंगा विहार स्थित एमआईटी के सभागार में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात साहित्यकार यशभारती माहेश्वर तिवारी ने कहा - "श्री अशोक विश्नोई जी की मुरादाबाद के साहित्य के प्रति निष्ठा और समर्पण अनुकरणीय है‌। उन्होंने सदैव  नए रचनाकारों को प्रोत्साहित और प्रेरित करने का कार्य किया है।"

मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती वंदना से आरंभ इस कार्यक्रम में डॉ. मनोज रस्तोगी ने साहित्यिक मुरादाबाद की उपलब्धियों पर चर्चा की।

मुख्य अतिथि डॉ महेश 'दिवाकर' तथा विशिष्ट अतिथियों के रूप में डॉ. मक्खन मुरादाबादी, जितेंद्र कमल आनंद, धवल दीक्षित एवं डॉ. कुलदीप नारायण सक्सेना ने अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य, पत्रकारिता, पुस्तक प्रकाशन एवं लघु फिल्म निर्माण में आपका उल्लेखनीय योगदान रहा है। 

इस अवसर पर साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत देशभक्ति पर आधारित लघु नाटिका एकांकी प्रतियोगिता के वरिष्ठ वर्ग में प्रथम डॉ अशोक रस्तोगी, द्वितीय अशोक विद्रोही, तृतीय रवि प्रकाश एवं कनिष्ठ वर्ग में प्रथम मीनाक्षी ठाकुर, द्वितीय नृपेन्द्र शर्मा सागर तथा तृतीय डॉ. प्रीति 'हुंकार' को सम्मानित किया गया। डॉ. फ़हीम अहमद, प्रो. ममता सिंह, सपना सक्सेना दत्ता सुहासिनी को बाल साहित्यकार सम्मान 2022 प्रदान किया गया। निर्णायक के रूप में रवि प्रकाश, डॉ. अनिल शर्मा अनिल, धन सिंह धनेंद्र एवं शिव ओम वर्मा को सम्मानित किया गया। सभी सम्मानित साहित्यकारों को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह एवं सम्मान पत्र प्रदान किए गए।

डॉ मनोज रस्तोगी के संचालन में आयोजित समारोह में अशोक विश्नोई का जीवन परिचय राजीव प्रखर ने प्रस्तुत किया। योगेंद्र वर्मा व्योम, मीनाक्षी ठाकुर, हेमा तिवारी भट्ट , पूजा राणा, काले सिंह साल्टा, शिशुपाल मधुकर, डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने लोकार्पित कृतियों की समीक्षा प्रस्तुत की। धन सिंह धनेंद्र ने एकांकी लेखन एवं डॉ. अनिल कुमार शर्मा अनिल ने बाल कविता लेखन की बारीकियों और विशेषताओं पर प्रकाश डाला। 

  इस अवसर पर डॉ. संगीता महेश, मनोरमा शर्मा, डॉ पुनीत कुमार,डॉ रीता सिंह,नकुल त्यागी, नीमा शर्मा हंसमुख, रचना शास्त्री,प्रीति चौधरी, इंदु सिंह, विवेक आहूजा , श्री कृष्ण शुक्ल, अनुराग रोहिला, अतुल शर्मा, रामकिशोर वर्मा, शिखा रस्तोगी, प्रशांत मिश्र, ज़िया ज़मीर, मनोज मनु, रेखा रानी, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी , योगेंद्र पाल विश्नोई, रामेश्वर वशिष्ठ, ओंकार सिंह ओंकार, फक्कड़ मुरादाबादी, उदय अस्त, स्वदेश कुमारी, राशिद हुसैन,  आदि उपस्थित रहे। दुष्यंत बाबा ने आभार अभिव्यक्त किया।




























































































































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डॉ मनोज रस्तोगी

संस्थापक

साहित्यिक मुरादाबाद

मोबाइल फोन नंबर 9456687822

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से 14 जुलाई 2022 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन

  मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन 14 जुलाई 2022 को विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार पर किया गया।

 रामसिंह निशंक द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि श्री अशोक विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री रमेश यादव कृष्ण उपस्थित रहे। संचालन राजीव प्रखर ने किया। 

वरिष्ठ शायर ओंकार सिंह ओंकार का कहना था - 

आलोचकों को जब से सितमगर समझ लिया।

 तब से ही मस्ख़रों को सुख़नवर समझ लिया।

 शैतान की उड़ान को बहतर समझ लिया। 

संजीदगी को लोगों ने कमतर समझ लिया।।

 वरिष्ठ रचनाकार डॉ. मनोज रस्तोगी की अभिव्यक्ति इस प्रकार थी - 

कंक्रीट के जंगल में, 

गुम हो गई हरियाली है, 

आसमान में भी अब, 

नहीं छाती बदरी काली है। 

रचना-पाठ करते हुए राजीव प्रखर ने कहा - 

आकर मेरी नाव में, हे जग के करतार।

 मुझको भी अब ले चलो, भवसागर से पार।। 

छुरी सियासत से कहे, चिन्ता का क्या काम। 

मुझे दबाकर काॅंख में, जपती जा हरिनाम।

प्रशांत मिश्र ने कहा - 

छोटी-छोटी खुशियाँ मन महकाती हैं,

 धीरे-धीरे से दिल में उतर जाती हैं।

 उपरोक्त रचनाकारों के अतिरिक्त शिशुपाल मधुकर, गौरव यादव, रामेश्वर वशिष्ठ,  अशोक विश्नोई, रामदत्त द्विवेदी, रमेश यादव कृष्ण आदि ने भी अपनी-अपनी अभिव्यक्ति की। योगेन्द्र पाल विश्नोई द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुॅंचा।