गुरुवार, 14 जुलाई 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से 14 जुलाई 2022 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन

  मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन 14 जुलाई 2022 को विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार पर किया गया।

 रामसिंह निशंक द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि श्री अशोक विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री रमेश यादव कृष्ण उपस्थित रहे। संचालन राजीव प्रखर ने किया। 

वरिष्ठ शायर ओंकार सिंह ओंकार का कहना था - 

आलोचकों को जब से सितमगर समझ लिया।

 तब से ही मस्ख़रों को सुख़नवर समझ लिया।

 शैतान की उड़ान को बहतर समझ लिया। 

संजीदगी को लोगों ने कमतर समझ लिया।।

 वरिष्ठ रचनाकार डॉ. मनोज रस्तोगी की अभिव्यक्ति इस प्रकार थी - 

कंक्रीट के जंगल में, 

गुम हो गई हरियाली है, 

आसमान में भी अब, 

नहीं छाती बदरी काली है। 

रचना-पाठ करते हुए राजीव प्रखर ने कहा - 

आकर मेरी नाव में, हे जग के करतार।

 मुझको भी अब ले चलो, भवसागर से पार।। 

छुरी सियासत से कहे, चिन्ता का क्या काम। 

मुझे दबाकर काॅंख में, जपती जा हरिनाम।

प्रशांत मिश्र ने कहा - 

छोटी-छोटी खुशियाँ मन महकाती हैं,

 धीरे-धीरे से दिल में उतर जाती हैं।

 उपरोक्त रचनाकारों के अतिरिक्त शिशुपाल मधुकर, गौरव यादव, रामेश्वर वशिष्ठ,  अशोक विश्नोई, रामदत्त द्विवेदी, रमेश यादव कृष्ण आदि ने भी अपनी-अपनी अभिव्यक्ति की। योगेन्द्र पाल विश्नोई द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुॅंचा।























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