बुधवार, 18 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ ममता सिंह की बाल कविता -- बचपन की यादें


कहाँ खो गया प्यारा बचपन,
मिल जाए यदि कहीं बताना।
भूले बैठे हैं जो इसको,
फिर से उनको याद दिलाना।

गुड़िया गुड्ड़ों की शादी में,
माँ का वह पकवान बनाना।
और दोस्तों के संग मिल कर,
सबका दावत खूब उड़ाना।

बारिश के मौसम में अक्सर,
कागज़ वाली नाव चलाना।
सर्दी ज्वर हो जाने पर फिर,
पापा जी का डाँट लगाना।

कन्धों पर पापा के अपने,
चढ़कर रोज सैर को जाना ।
नींद नहीं आने पर माँ का,
लोरी फिर इक मीठी गाना।

छोटी छोटी बातों पर भी,
गुस्सा अपना बहुत दिखाना।
बहुत प्यार से माँ का मेरी,
आ कर फिर वो मुझे मनाना।

रहीं नहीं पर अब वह बातें,
यह आया है नया ज़माना।
पर कितना मुश्किल है ममता,
उस बचपन की याद भुलाना।

डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार संजीव आकांक्षी के मुक्तक --- हरेक के साथ गद्दारी सिखा दी है उसूलों में .....


मंगलवार, 17 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ अजय अनुपम की कोरोना वायरस पर कुंडलियां


मुरादाबाद के साहित्यकार मयंक शर्मा का गीत


मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर की बाल कविता


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना नकवी की गजल

कोई तस्वीर दरपन हो गयी है
ज़माने भर से उलझन हो गयी है

वो पत्थर का ख़ुदा जब से हुआ है
मेरी पूजा बिरहमन हो गयी है

ज़रा सा छू लिया क्या चाँद मैैने
सभी तारों से अनबन हो गयी है

हुयी है फूल से जब से मौहब्बत
हवा सहरा में जोगन हो गयी है

अन्धेरे मुह छुपाये फिर रहे हैं
नई क़न्दील रोशन हो गयी है

बहुत मुश्किल है "मीना" साथ रहना
वफ़ा चाहत से बदज़न हो गयी है

**मीना नकवी




मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम का नवगीत - मेरे भीतर भी एक पावन गंगा बहती है ...


मुरादाबाद के साहित्यकार अरविंद कुमार शर्मा आनन्द की गजल


सोमवार, 16 मार्च 2020

संस्कार भारती मुरादाबाद की ओर से रविवार 15 मार्च 2020 को हुआ काव्य फुहार का आयोजन

संस्कार भारती महानगर  मुरादाबाद के तत्वावधान में काव्य फुहार एवं कोरोनावायरस जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन आकांक्षा विद्यापीठ मिलन विहार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रघुराज सिंह "निश्चल" ने की। मुख्य अतिथि सम्भल से आये व्यंग्यकार अतुल शर्मा रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेंद्र पाल विश्नोई और संस्कार भारती के प्रांतीय महामंत्री  संजीव आकांक्षी रहे।
रश्मि प्रभाकर द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती की वंदना से आरम्भ इस कार्यक्रम में अशोक विद्रोही ने सुनाया -
कोरोना ने विश्व में मचा दिया कोहराम
 होता तेज बुखार और सर्दी खांसी जुकाम
 सर्दी खांसी जुकाम चीन से आई बीमारी
 मरे हजारों लोग हुई घोषित महामारी
 कह विद्रोही बार-बार हाथों को धोना
 सावधान लो पहन मास्क न होय कोरोना

डॉ मनोज रस्तोगी  ने हास्य कविता पढ़ी -
आज विज्ञान का है पेपर
 याद नहीं कोई चैप्टर
जैसे तैसे हनुमान चालीसा गाते हुए
हमने परीक्षा कक्ष में प्रवेश किया

मनोज मनु ने कहा -
 फागुन तेरे आ जाने पे
 ना जाने क्या बात हुई
 खुशियों से दिल झूम उठा
 जब रंगों की बारात हुई।

 शुभम कश्यप ने कहा कि-
फिजा की जद में अपना गुलिस्ता है
हर एक इंसान यहां नोहा-खुऑं है कोरोना वायरस फैला है जबसे दिलों में भी अपने हैं डर का समां है।

शायर  मुरादाबादी ने फरमाया-
 उसको मैसेज भिजवाया है हिंदी में
मैंने खुद को समझाया है हिंदी में।

 रश्मि प्रभाकर ने कहा कि-
 दिल दुखाने की बात करते हो आके जाने की बात करते हो
दर्द देते हो बेशुमार और फिर मुस्कुराने की बात करते हो।

 राशिद मुरादाबादी ने कहा कि-
 ममता सेवा त्याग ही तो
इसकी पहचान होती है
नारी का सम्मान करो तुम
नारी तो महान होती है।

अनिरुद्ध उपाध्याय आजाद ने कहा कि-
 क्या बीत रही होगी
उस मां के दिल पर
जिसका लाल नहीं लौटा
अबकी घर होली पर।

 योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा कि-
 क्या आपने क्या गैर सब खुशियां बांटे संग
 आज मिटे हर  शत्रुता कहते सारे रंग।
 
आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने कहा कि-
 चढ़कर जो ना उतरे वह खुमार होली है
दुश्मन को जो बना दे यार वह त्यौहार होली है
हर जंग के रंग को जो फीका कर दे ।
वही आपसी प्यार होली है।।

 मयंक शर्मा ने कहा कि -
रंगो के रंग में रंग जाए खेले मिलकर होली
मुंह से मीठा सा बोले भूलके कड़वी बोली।

ईशांत शर्मा ईशु ने कहा कि-
हाथ मिलाना संस्कृति नहीं थी हमारी
 हाथ जोड़ने की संस्कृति पड़ रही है सब पर भारी।

संभल से पधारे अतुल कुमार शर्मा ने कहा कि-
 मधुशालाएं मौत का सामान बांटने लगे
 कुत्ते शराबियों का मुंह चाटने लगे।

 रघुराज सिंह निश्चल ने कहा कि-
होली की शुभकामना करें सभी स्वीकार।
 हाथ जोड़ करता नमन  सब को बारंबार।

कपिल शर्मा ने कहा -
"न यह ऊँचाई सच्ची है, न यह आधार सच्चा है।
अगर सच्चा है दुनिया में, तो माँ का प्यार सच्चा है।"

के० पी० सिंह 'सरल' ने कहा -
"हँसी ठिठोली के बिना, होली लगे उदास।
खुलकर होना चाहिए, खूब हास परिहास।।"

राजीव 'प्रखर' ने कहा -
"राजा-बिन्दर-सोफ़िया, और मियाँ अबरार।
चलो मनाएं प्रेम से, होली का त्योहार।।
गुमसुम पड़े गुलाल से, कहने लगा अबीर।
चल गालों पर खींच दें, प्यार भरी तस्वीर।।

संजीव 'आकांक्षी' का कहना था -
"सारे शहर से अच्छी खासी यारी है।
उसे यह मुगालता बड़ा भारी है।
अब तो दोस्त दुश्मन में भी फर्क करना छोड़ दिया,
ज़हन ओ दिल में सियासत इस कदर जारी है।"

योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा-
"प्यार की कल्पना ही करो मित्रवर,
प्यार की गंध मौसम में घुल जायेगी।"

इस अवसर पर उपस्थित सभी साहित्यकारों ने कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक करने की शपथ लेते हुए सभी लोगों से कोरोना वायरस के बचाव के उपायों को अपनाने एवं सुरक्षा में सरकार की सहायता करने  की अपील की।

 कार्यक्रम  में वरिष्ठ साहित्यकार योगेंद्र पाल विश्नोई को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए संस्कार भारती के द्वारा संस्कार भारती कला साधक सम्मान से सम्मानित किया गया। युवा शायर शुभम कश्यप को उनके जन्मदिन की बधाई देते हुए सम्मानित किया गया।
 कार्यक्रम में  हरीश वर्मा, डॉ सौरव भारद्वाज, अशोक कुमार यादव एडवोकेट, रवि चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन युवा गीतकार मयंक शर्मा ने किया ।

 :::::::::: प्रस्तुति::::::::
  ** आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ/राजीव प्रखर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत





























मुरादाबाद की साहित्यकार रश्मि प्रभाकर की गजल - ठहरी हुई है जिंदगी तेरे रूठने के बाद ...




🎤✍️ रश्मि प्रभाकर
10/184 फेज़ 2, बुद्धि विहार, आवास विकास, मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
फोन नं. 9897548736

मुरादाबाद की साहित्य्कार कंचन खन्ना की कविता


वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में प्रत्येक रविवार को वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाता है । रविवार 15 मार्च 2020 को आयोजित 193 वें वाटसएप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में सर्व श्री डॉ मनोज रस्तोगी , रवि प्रकाश, राजीव प्रखर , डॉ रीता सिंह , मनोज मनु, अशोक विश्नोई , नृपेंद्र शर्मा सागर,अखिलेश वर्मा, इंदु रानी, राशिद मुरादाबादी, सन्तोष कुमार शुक्ल और श्री कृष्ण शुक्ल ने अपनी हस्तलिपि में रचनाएं प्रस्तुत की.....













रविवार, 15 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार अस्मिता पाठक की दो कविताएं ......


मुरादाबाद के साहित्यकार शिव अवतार रस्तोगी की बाल कविता ....मेरी प्यारी चींटी बहना ...


 

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की कुंडलियां

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छोटे  शहरों  के  मजे ,  महानगर  बेकार
अमरीका  में  मच  रहा , देखो  हाहाकार
देखो  हाहाकार , गली  अब पतली भाती
कोरोना  की  छींट , चीन से यहाँ न आती
कहते रवि कविराय , मास्क के पड़ते टोटे
बड़े - बड़े  भयभीत , बड़ों  के  दर्शन छोटे

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शुरू  नमस्ते  कर  रहे ,  लंदन  वाले  लोग
कोरोना  का  वायरस , दुनिया  भर में रोग
दुनिया भर में रोग , प्रिंस  ने चलन चलाया
खींचा अपना हाथ , याद फिर भारत आया
कहते रवि कविराय , सभी हैं अब इस रस्ते
हाथ  मिलाना  छोड़ , विश्व  में शुरू नमस्ते

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भारी  बीमारी  हुई  ,  कोरोना  हर  ओर
जैसे  सेंध लगा रहा , दुनिया भर में चोर
दुनिया भर में चोर , कहाँ रुकने में आई
आते - जाते  लोग , हाथ  छूना दुखदाई
कहते रवि कविराय ,जिंदगी इससे हारी
हल्के मत लें  आप , महामारी यह भारी

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आए कवि - सम्मेलनी, बोरिंग  कवि भरपूर
बैठे  थे  सब पास में  , लेकिन छह फिट दूर
लेकिन छह फिट दूर ,  सभी श्रोता उकताए
हूटिंग से पर नहीं ,अडिग कवि जी हट पाए
कहते रवि कविराय , छींक कुछ श्रोता लाए
भागे कवि रण छोड़ , मंच पर नजर न आए

--------------------5 -------------------------
कोरोना  ने  कर दिया , कवि सम्मेलन भंग
आयोजक  कहने  लगे , जाओ  अब  बैरंग
जाओ अब बैरंग , हास्य कवि हँसकर बोले
नहीं  टलेंगे  बिना  , आपका  बटुआ  खोले
कहते  रवि कविराय , देय देकर फिर सोना
आयोजक  मायूस  ,  हाय  निर्दय  कोरोना

---------------------- 6 ----------------------
झाड़ा - फूँकी चल रही , कुछ गंडे ताबीज
बाबाजी  बतला  रहे , कोरोना  क्या चीज
कोरोना क्या  चीज  ,फूँक  से  इसे  उड़ाएँ
बाबा जी के पास  ,  आप  आ इसे झड़ाएँ
कहते रवि कविराय , देह यदि खाए जाड़ा
डॉक्टर की लें राय , भूलकर करें न  झाड़ा


 ** रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर  999 7615451

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की कविता -- जागरूक होकर करो कोरोना से युद्ध

कोरोना का हो गया
दुनियाँ   में  फैलाव
औषधीश  हैरान हैं
कैसे   करें   बचाव।

औषधि मिल पाई नहीं
मिला  न   कोई    भेद
ताप,छींक, खांसी करे
श्वसन  तंत्र   में   छेद।

करो नमन करबद्ध हो
नहीं    मिलाओ   हाथ
भीड़  भरे   स्थान   से
इसे  न   लाओ   साथ।

मास्क लगाके हीचलो
रखो  जेब   में   सोप
गर्म   नीर  में   धोइये
धोती    कुर्ता     टोप।

जागरूक  होकर करो
कोरोना     से      युद्ध
तभी  बचेगी   जिंदगी
होगा   तन-मन   शुद्ध।

शुद्ध  बुद्धि  के सामने
टिकता  नहीं   अशुद्ध
हार   मानकर  बैठता
नहीं    कभी    प्रबुद्ध

सफर त्यागकरके सभी
करो   फोन   पर   बात
तभी संक्रमण को सखे
दे      पाओगे      मात।
       
**वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फ़ोन नम्बर 9719275453

शनिवार, 14 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार कंचन खन्ना की कविता -- बच्चे


मुरादाबाद की साहित्यकार निवेदिता सक्सेना द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रेमवती उपाध्याय का गीत - याद बहुत आता है हमको वह अपना बचपन का गांव ...


मुरादाबाद की साहित्यकार विशाखा तिवारी की कविता - शायद आ गए ऋतुराज


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना नकवी की गजल - तुम्हारी यादों के फूल .....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ पूनम बंसल के कुछ मुक्तक


मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट का गीत --हम सबको मिलकर नया भारत बनाना है ...


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार का गीत --मैं भारत की नारी हूं ...


शुक्रवार, 13 मार्च 2020

मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार यशभारती माहेश्वर तिवारी का नवगीत - आपकी बात का असर पाया ,हर शहर एक लाशघर पाया ....


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार नाज का गीत --मेरे साथ चल मेरे हमसफ़र


मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद्र कुमार का कहना है-लाठी गोली तो अमन में शुमार है ..


मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु की रचना --शहर मेरा पीतलनगरी है स्वर्णिम आभा लिए हुए .....


मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह की गजल - अब अंधेरा उजाला निगलने लगा .....


मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई का मुक्तक -- भूख इंसान को शैतान बना देती है


मुरादाबाद के साहित्यकार शिशुपाल सिंह मधुकर का गीत -- छुरी बगल में मुंह में राम


मुरादाबाद के साहित्यकार रामवीर सिंह वीर का गीत - कैसे कहें आपन बीती


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी की कविता -मेरे किशोर और जवान बेटों , हर कोई पूजे नाम तुम्हारा, ऐसी लिखो दास्तान बेटों ....


मुरादाबाद के साहित्यकार विवेक निर्मल की रचना-- वृंदावन की ओर चले भाव मेरे बार बार


गुरुवार, 12 मार्च 2020

मुरादाबाद के हास्य व्यंग्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी की कविता- मैंने एक गरीब से जब आधुनिकता का जिक्र किया तो पहले तो मेरा चेहरा देखकर उसने अपना मुंह फेर लिया फिर .....

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी के आवास पर 11 मार्च 2020 को काव्य-ठिठोली का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से सुप्रसिद्ध नवगीतकार यशभारती माहेश्वर तिवारी के नवीन नगर स्थित आवास पर  होली के अवसर पर बुधवार 11 मार्च 2020 को काव्य-ठिठोली का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित स्थानीय कवियों ने कविताओं के माध्यम से होली पर फागुन और होली के रंग-बिरंगे वातावरण से संबंधित गीतों-ग़ज़लों के साथ साथ हास्य कविताओं से सभी को गुदगुदाया और देश व समाज में व्याप्त विसंगतियों पर कटाक्ष किए। अध्यक्षता सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि डा. मक्खन मुरादाबादी ने की, मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री डा. प्रेमवती उपाध्याय रहीं तथा संचालन नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया।

इस अवसर पर सुप्रसिद्ध नवगीतकार यशभारती माहेश्वर तिवारी ने गीत प्रस्तुत किया-
"बौरी है आमों की डाल
 गीत फूटे फागुन के
 दिन फूलों के रंग चुराये
 फिरते सारे अंग सजाये
 होरी मचाए धमाल
 गीत फूटे फागुन के"

विख्यात हास्य-व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कविता प्रस्तुत की-
"सच को सच कहने में
उसके भीतर रहने में
अधिकतर डर लगता है
कब्जे में हो झूठ के जैसे
अब तो सारा घर लगता है"

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने गीत प्रस्तुत किया-
"तुझमें रंग भरे जीवन के
मुझमें भरी मिठास
चल मिलकर वापस लाते हैं
रिश्तों में उल्लास
अपनेपन के गाढ़े रँग से
रचें नई रंगोली

विशाखा तिवारी ने कविता पढ़ी-
"सुनो शायद आ गए ऋतुराज
पहने हुए पीले फूलों का ताज
स्वागत को तैयार है पूरी धरती"

वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने सुनाया-
"आचरण की गंध से कर दें सुवासित यह धरा
नित बहे अंत:करण में प्राणदायिनी निर्झरा"

डा. मनोज रस्तोगी ने कहा -
"स्वाभिमान भी गिरवीं रख नागों के हाथ
भेड़ियों के सम्मुख टिका दिया माथ
इस तरह होता रहा अपना चीरहरण"

शायर ज़िया ज़मीर ने ग़ज़ल पेश की-
"जिंदगी रोक के अक्सर यही कहती है मुझे
तुझको जाना था किधर और किधर आ गया है"

कवयित्री निवेदिता सक्सेना ने सुनाया-
"बस तुमसे मुलाकात का मौसम नहीं आया
बिछड़े हैं जबसे साथ का मौसम नहीं आया"

गोष्ठी में शिखा रस्तोगी, राधेश्याम तबलावादक, आशा तिवारी, आयुष आदि उपस्थित रहे।

:::::::::प्रस्तुति:::::::::
**योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
संयोजक
साहित्यिक संस्था 'अक्षरा'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत