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शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की लघुकथा -नया ट्रैफिक प्लान

 


अशर्फी देवी धीरे धीरे लगभग लड़खड़ाते हुए अपने घर से निकलीं और मौहल्ले की पतली सड़क को पार करके मुख्य बाजार में आकर ई रिक्शा का इंतजार करने लगीं। जब काफी देर तक कोई ई रिक्शा उन्हें आती-जाती नहीं दिखी तो उनका माथा ठनका। उन्होंने पास ही खड़े हुए एक स्कूटर वाले से पूछा "क्यों बेटा ! आज कोई ई रिक्शा आती जाती नहीं दिख रही ? क्या बात है?"

    स्कूटर वाला मुस्कुराया बोला "अम्मा ! आपको नहीं पता , शहर में नया ट्रैफिक प्लान चालू हो गया है । अब यहां कोई ई रिक्शा नहीं चलेगी ।"

        "क्या कह रहे हो ? "सुनकर अशर्फी देवी माथे पर हाथ रख कर रह गईं। हम तो सिवाय इसके और कैसे जाएं ? हमारे पास तो यही साधन है।"

    स्कूटर वाला बोला "अम्मा ! हमारे पास भी सिवाय स्कूटर के कोई दूसरा साधन नहीं था ।रोक तो प्रशासन ने इस पर भी लगा दी थी। वह तो यह कहिए कि हम लोग धरना प्रदर्शन नारेबाजी करके इस रोक को हटा दिए , वरना हमारा स्कूटर भी आज इस रोड पर नहीं चल रहा होता ।"

      अशर्फी देवी के घुटनों में दर्द रहता था। घर में अकेली रहती थीं। बच्चे सब बाहर थे। सुनकर बस यही कह पाईं "बेटा ! हम बूढ़े और बीमार लोगों की आवाज प्रशासन तक कौन पहुंचाएगा? हमारे लिए नारे लगाने वाला कौन है ?"

 ✍️ रवि प्रकाश 

बाजार सर्राफा, रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल 999 7615 451

गुरुवार, 23 जून 2022

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की लघुकथा --दौर -


"जिंदाबाद जिंदाबाद हमारे नेता जी जिंदाबाद ...मुर्दाबाद मुर्दाबाद तुम्हारे नेता जी मुर्दाबाद ।" भीड़ चिल्लाती जा रही थी ।

"अभी सब कुछ ठीक नहीं  है क्या देश में ।"आरोप जोर से चिल्लाया और यह सुनकर प्रत्यारोप भी कहां चुप रहने वाला था ।

"तुम्हारे शासनकाल में तो सब कुछ जैसे अच्छा ही अच्छा था ।"उसने तंज कसा ।

"हां जिन कमियों के लिए जब तुम चिल्ला रहे थे अब वही तुम्हारे भी तो शासन में हैं ?"आरोप फिर से बौखलाया सा चिल्लाया ।

"हां अभी सत्ता परिवर्तन होने दो पाली बदल जायेगी क्योंकि चेहरे बदलते हैं विचारधारा नहीं । " घायल समय असहनीय पीड़ा से कराह उठा ।


✍️ राशि सिंह

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत 




मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा की लघु कथा ---- मेरे पापा

     


राम सागर बहुत देर से दरवाजा खटखटा रहा था मगर उसकी पत्नी रम्मो जानबूझकर दरवाजा नहीं खोल रही थी । उसे पता था कि आज फिर राम सागर देर से काम से लौटा है तो पीकर ही आया होगा और फिर घर में बेटी रुचि के सामने उल्टा-सीधा बोलेगा और उल्टियां करके बेसुध सो जायेगा ।

   मगर जब रुचि के पापा को दरवाजा खटखटाते बहुत देर हो गई तो रुचि से नहीं रहा गया और वह भागकर दरवाजा खोलते हुए देखती है कि उसके पापा के हाथ में दो गुब्बारे और बिस्कुट -टॉफियां हैं। 

   राम सागर रुचि को देखते ही मुस्कराकर उसे गोद में उठा लेता है ।

   रुचि के मुंँह से एकदम निकल जाता है -"मेरे पापा!" और एकदम सवाल दागती है -" आज आपके मुँह से अजीब सी बदवू नहीं आ रही?"

   रम्मो यह सब देखकर अवाक रह जाती है ।

 ✍️ राम किशोर वर्मा

रामपुर ,उत्तर प्रदेश, भारत

दिनांक:- २२-०६-२०२२ बुधवार

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की लघुकथा-आंकड़े

     


विभागीय मीटिंग में वर्तमान वर्ष के नामांकन की समीक्षा चल रही थी। गत वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत नामांकन वृद्धि का लक्ष्य प्रत्येक विद्यालय को पूरा करना था।सभी विद्यालयों के गत नामांकन के सापेक्ष वर्तमान का नामांकन प्रतिशत निकाला गया था और उसी अनुसार वृद्धि प्रतिशत पूरा न करने वालों को स्पष्टीकरण का पत्र हाथों हाथ थमाया जा रहा था।

      इस वर्ष सात नये नामांकन करने वाले प्रधानाध्यापक राजेन्द्र कुमार आत्मविश्वास से लबरेज थे आखिर उन्होंने वांछित प्रतिशत से एक अधिक नामांकन किया था,पर वहीं 44 नये नामांकन करने के बावजूद प्रधानाध्यापक किशोर कुमार के दिल की धड़कनें बढ़ गयीं थीं क्योंकि अभी भी वांछित वृद्धि प्रतिशत से वह 22 नामांकन दूर थे। तभी मंच से लक्ष्य प्राप्त न करने वाले उनके विद्यालय का नाम पुकारा गया और वह मन ही मन सोच रहे थे काश, मैंने गत वर्षों में घर घर घूम कर और मेहनत करके नामांकन न बढ़ाया होता तो इस वर्ष यह कार्रवाई न होती.....

 ✍️ हेमा तिवारी भट्ट

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सोमवार, 30 मई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी के लघु कहानी संग्रह 'अनोखा ताबीज़' का अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद की ओर से रविवार 29 मई 2022 को आयोजित समारोह में लोकार्पण

मुरादाबाद के  साहित्यकार  वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी' के लघु कहानी संग्रह 'अनोखा ताबीज़' का  लोकार्पण 29 मई 2022 ,रविवार को अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद के तत्वावधान में एम. आई. टी. सभागार में हुआ। इस अवसर पर वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी को उनकी साहित्य साधना के लिए, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मुरादाबाद की ओर से साहित्य मनीषी सम्मान से अलंकृत भी किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें अंग-वस्त्र, मानपत्र एवं प्रतीक चिन्ह अर्पित किए गए।

 मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुधीर गुप्ता एडवोकेट (वरिष्ठ अधिवक्ता एवं चेयरमैन-एम.आई.टी.) ने कहा कि अपने इस उत्कृष्ट कहानी संग्रह के माध्यम से श्री ब्रजवासी जी समाज के सभी वर्गों तक अपनी पहुॅंच बनाने में सफल होंगे, ऐसा मुझे विश्वास है‌।

     लोकार्पित लघु कहानी संग्रह के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने कहा - "ब्रजवासी जी हिंदी के समर्पित साधक हैं। उन्होंने सृजन के विभिन्न स्वरूपों, यथा गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, लोकगीत आदि में अपने लेखकीय व्यक्तित्व का विकास किया है। यही नहीं, गद्य में भी उनकी अच्छी गति है और सद्य प्रकाशित लघु कहानियों का संग्रह अनोखा ताबीज़ इस गौरवशाली यात्रा में एक नया पड़ाव कहा जा सकता है। भविष्य में उनसे ऐसी ही उत्कृष्ट कृतियों की अपेक्षा की जाए तो यह स्वाभाविक ही होगा।

विशिष्ट अतिथि एवं मेरठ से उपस्थित हुए गीतकार डॉ. रामगोपाल भारतीय के उद्गार थे - "गीतकार तथा कहानीकार वीरेन्द्र ब्रजवासी ने अपने लघु कथा संग्रह अनोखा ताबीज़ में भारतीय  परिवेश में समाज के रिश्तों को परिभाषित किया है। वह गीतकार तो हैं ही एक अच्छे कहानी कार भी हैं।"

  विशिष्ट अतिथि  साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' ने  कहा - "मुझे विश्वास है कि श्री ब्रजवासी जी की यह कृति भी सभी के हृदयों को स्पर्श करते हुए समाज की महत्वपूर्ण कृतियों में अपना स्थान बनायेगी।"

    विशिष्ट अतिथि डॉ. विशेष गुप्ता का कहना था - "वीरेन्द्र ब्रजवासी जी द्वारा लिखित कहानी संग्रह अनोखा ताबीज़ में अतीत, वर्तमान तथा भविष्य के पात्रों के माध्यम से समाज को सांस्कृतिक मूल्यों से परिपूर्ण सार्थक संदेश मिला है।"

     विशिष्ट अतिथि  अनिल शमी ने कहा - "श्री ब्रजवासी जी का यह सारस्वत प्रयास साहित्यकारों की नयी पीढ़ी को भी निश्चित रूप से प्रेरित करेगा।" 

     कृति के संबंध में विचार रखते हुए राजीव प्रखर का कहना था - "समाज में व्याप्त विभिन्न विद्रूपताओं को सशक्त रूप में सामने रखना व उनके हल प्रस्तुत करना इस कृति की विशेषता है। लेखन संबंधी कुछ समस्याओं के बावजूद श्री ब्रजवासी अपनी बात समाज के आम जनमानस तक पहुॅंचाने में सफल रहे हैं।"

      डाॅ. आर सी शुक्ला, दुष्यंत बाबा, हेमा तिवारी, विवेक निर्मल, हिमानी सागर, श्रीकृष्ण शुक्ल, रश्मि प्रभाकर, राघवेन्द्र मणि, योगेन्द्र पाल विश्नोई, रघुराज सिंह निश्चल,  पूजा राणा, उदय अस्त उदय, के. पी. सरल, ज़िया ज़मीर, डॉ. कृष्ण कुमार नाज़, मनोज मनु, जितेन्द्र'जौली', नजीब सुल्ताना, नकुल त्यागी, वीरेंद्र सिंह, शलभ गुप्ता, रवि चतुर्वेदी, काले सिंह साल्टा, ओंकार सिंह ओंकार, शिशुपाल मधुकर, लीलावती, आदि ने भी कृति के विषय में अपने विचार व्यक्त किए। अर्पित मान पत्र का वाचन अशोक विद्रोही ने किया। 

  कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से वरिष्ठ व्यंग्यकार अशोक विश्नोई एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी तथा संयोजन राजीव प्रखर ने किया।डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने आभार-अभिव्यक्त किया।

































गुरुवार, 5 मई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा --- नाक


बहुत शानदार व्यवस्था थी।पंडाल की भव्यता, फूलों की सजावट,रंग बिरंगी लाइट,दिल को छूने वाला गीत संगीत,सब एक से बढ़कर एक। खाने में भी, हर क्षेत्र के व्यंजन। कस्बे में इतना भव्य आयोजन,पहले कभी, शायद ही हुआ हो।

    अवसर था,प्राइमरी में अध्यापक,राजवीर की बेटी की शादी का।  अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा खर्च करके,उसने ये व्यवस्था की थी।

 "बधाई हो सर, आपने तो पूरे कस्बे की नाक ऊंची कर दी।"रामसिंह ने हंसते हुए कहा।

 "सब ईश्वर की कृपा है।"राजवीर ने अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कान बिखेरने की कोशिश की। उसके मन में यही उधेड़ बुन चल रही थी कि झूठी शान के चक्कर में,उसने जो उधार लिया उसे कैसे लौटा पायेंगा। कहीं ऐसा ना हो उसकी खुद की नाक कट जाए।

✍️ डॉ.पुनीत कुमार

T 2 /  505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा ) की साहित्यकार रेखा रानी की लघुकथा --- चुनाव


      रामकली को साड़ी दिखाकर खुश होते हुए  भरतो बोली  अम्मा हमें तो न मालूम कि कौन कौन खड़े हैं  मुखिया बनने को, बस हम तो अपना वोट इन साड़ी बांटने वाले को ही देंगे। रामकली भी साथ साथ दोहराने लगी- हां बहू , हमें और क्या चाहिए बेचारा साल भर से सब त्योहारों पर नए नए सामान बंटवा जो रहा है ।कनु यह सब सुन रही थी  बोली" स्कूल में तो मैम ने समझाया था कि हमें लालच में आकर वोट नहीं देना है सही नेता का चुनाव करें  कनु ने लाख प्रयास किया अपनी मां और दादी मां को समझाने का पर उसकी दोनों में से किसी ने न सुनी।

चुनाव हुए - साड़ी वाला उम्मीदवार जीत गया बेचारा पढ़ा लिखा और ईमानदार उम्मीदवार  राम किशोर हार गया।

शपथ के अगले दिन ही  मुनादी हुई कि गांव में  आदर्श तालाब बनेगा, जिस पर सब लोग घूमने फ़ोटो खिंचवाने जाया करेंगे और गांव का नाम होगा। गांव के सभी लोगों ने पूरे उत्साह से श्रम दान किया । उसके कुछ दिनों बाद पता चला कि  वहां मुखिया जी ने स्वीमिंग पूल बनवा लिया है और उसी के पास अपनी कोठी बनवा ली  अब वह उनकी अपनी  प्रॉपर्टी है न कि  गांव की ।हद तो तब हो गई जब भरतो चीखती रही और.... रामकली को दरोगा  जी पकड़ कर ले गए, कि यह झोपड़ी अवैध रूप से बनी हुई है। इस जगह पर तो ....मुखिया जी  मन्दिर बनवाना चाहते हैं। अब रह - रह कर भरतो को कनु की बातें याद आ रही थीं लेकिन........

अब पछताए क्या होत  है जब चिड़िया चुग गई  खेत

कनु बाहर से आकर बोली "मां! रामकिशोर काका दादी को छुड़ा लाए हैं और वो इस सब के लिए 

मुखिया जी के खिलाफ़ लड़ाई भी लड़ेंगे।"


✍️ रेखा रानी 

विजय नगर, गजरौला 

जनपद अमरोहा ,उत्तर प्रदेश।


सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की लघुकथा --- मृत्यु प्रमाणपत्र

     "सचमुच बहुत ही दुख हुआ बहन जी जानकर कि आप का इकलौता बेटा दुर्घटना में स्वर्ग सिधार गया"

नगर पालिका के कई चक्कर काट चुकी रोती हुई महिला को ढांढस बन्धाते हुए नगरपालिका के बड़े बाबू ने कहा "मृत्यु प्रमाण पत्र एक हफ्ते में मिल जाएगा हमारा पूरा स्टाफ आपके साथ है फिक्र करने की कोई बात नहीं "।

महिला-"ठीक है भैया अब आप ही लोगों का सहारा है!"

  बड़े बाबू- " बस बहन जी हजार रुपए दे जाइएगा...!"

   महिला अवाक बड़े बाबू को देखती रह गयी...!


✍️अशोक विद्रोही

412 प्रकाश नगर, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश,भारत

मोबाइल फोन 82 188 25 541

सड़क : चार दृश्य । मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की लघुकथा ---- बगुलाभगत, श्रीकृष्ण शुक्ल की कहानी--ईमानदार का तोड़, राजीव प्रखर की लघुकथा-- दर्द और अखिलेश वर्मा की लघुकथा---वो तो सब बेईमान हैं

 


बगुलाभगत

      इंजीनियर ने ठेकेदार से क्रोध जताते हुए कहा ," क्या ऐसी सड़क बनती है जो एक बरसात में उधड़ गई, तुम्हारा कोई भी बिल पास नहीं होगा।" बड़े साहब मुझ पर गरम हो रहे थे उन्हें क्या जवाब दूंगा ? ठेकेदार बोला ," सर आप मेरी भी सुनेंगे या अपनी ही कहे जाएंगे।" बोलो क्या कहना है।" इंजीनियर ने कहा।

      " सर 40%में ,मैं रबड़  की सड़क तो बना नहीं सकता,ठेकेदार ने कहा ,फिर आपकी भी तो उसमें ---------? अब क्या था इंजीनियर का चेहरा देखने लायक था -------। 

✍️ अशोक विश्नोई

मुरादाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत

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ईमानदार का तोड़

क्या मैं अंदर आ सकता हूँ, आवाज सुनते ही सुरेश कुमार ने गरदन उठाकर देखा, दरवाजे पर एक अधेड़ किंतु आकर्षक व्यक्ति खड़े थे,  हाँ हाँ आइए, वह बोले!

सर मेरा नाम श्याम बाबू है, मेरा सड़क के निर्माण की लागत का चैक आपके पास रुका हुआ है!

अच्छा तो वो सड़क आपने बनाई है, लेकिन उसमें तो आपने बहुत घटिया सामग्री लगाई है, मानक के अनुसार काम नहीं किया है, सुरेश कुमार बोले!

कोई बात नहीं साहब, हम कहीं भागे थोड़े ही जा रहे हैं, पच्चीस साल से आपके विभाग की ठेकेदारी कर रहे हैं, जो कमी आयेगी दूर कर देंगे, आप हमारा भुगतान पास कर दो, हम सेवा में कोई कमी नहीं रखेंगे!

आप गलत समझ रहे हो श्याम बाबू, पहले काम गुणवत्ता के अनुसार पूरा करो,तभी भुगतान होगा, कहते हुए सुरेश उठ गये और विभाग का चक्कर लगाने निकल गये!

श्याम बाबू चुपचाप वापस आ गये!

पत्नी ने पानी का ग्लास देते हुए पूछा: बड़े सुस्त हो, क्या हो गया तो बोल पड़े एक ईमानदार आदमी ने सारा सिस्टम बिगाड़ दिया है, कोई भी काम हो ही नहीं पा रहा है, सबके भुगतान रुके पड़े हैं, बड़ा अजीब आदमी है!

खैर इसकी भी कोई तोड़ तो निकलेगी!

कुछ ही दिनों बाद लेडीज क्लब का उत्सव था, श्याम बाबू की पत्नी उसकी अध्यक्ष थीं, श्याम बाबू के मन में तुरंत विचार कौंधा और बोले: सुनो इस बार नये अधिकारी सुरेश बाबू की पत्नी सुरेखा को मुख्य अतिथि बना दो और सम्मानित कर दो!

कार्यक्रम के दिन पूर्व योजनानुसार सुरेखा को मुख्य अतिथि बनाया गया, सम्मानित किया गया, उन्हें अत्यंत कीमती शाल ओढ़ाया गया और एक बड़ा सा गिफ्ट पैक भी दिया गया!

कार्यक्रम के बाद श्याम बाबू की पत्नी पूछ बैठी: आप तो बहुत बड़ा गिफ्ट पैक ले आये, क्या था उसमें!

कुछ ज्यादा नहीं, बस एक चार तोले की सोने की चेन,शानदार बनारसी साड़ी और कन्नौज के इत्र की शीशी थी, श्याम बाबू बोले!

इतना सब कुछ क्यों, 

कुछ नहीं, ये ईमानदार लोगों को हैंडिल करने का तरीका है!

कहना न होगा, अगले ही दिन श्यामबाबू का भुगतान हो गया!

✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल,

MMIG - 69, रामगंगा विहार,

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

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दर्द

"साहब ! हमारे इलाके की सड़कें बहुत खराब हैं। रोज़ कोई न कोई चोट खाता रहता है। ठीक करा दो साहब, बड़ी मेहरबानी होगी.......",  पास की झोपड़पट्टी में रहने वाला भीखू नेताजी के सामने गिड़गिड़ाया।

"अरे हटो यहाँ से। आ जाते हैं रोज़ उल्टी-सीधी शिकायतें लेकर। सड़कें ठीक ही होंगी। उनमें अच्छा मेटेरियल लगाया है......."। भीखू को बुरी तरह  डपटने के बाद सड़क पर आगे बढ़ चुके नेताजी को पता ही न चला कब उनका पाँव एक गड्डे में फँसकर उन्हें बुरी तरह चोटिल कर गया।

"उफ़ ! ये कमबख्त सड़कें बहुत जान लेवा हैं......", दर्द से बिलबिलाते हुए नेताजी अब सम्बंधित विभाग को फ़ोन मिलाते हुए हड़का रहे थे।

✍️ राजीव 'प्रखर'

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

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वो तो सब बेईमान हैं 

" अरे वाह चौधरी ! मुबारक हो आज तो तुम्हारे गाँव की सड़क बन गई है .. अब सरपट गाड़ी दौड़ेगी । " भीखन ने  खूँटा गाड़ते चौधरी को देखते हुए कहा ।

" पर यह क्या कर रहे हो , खूँटा सड़क से सटा कर क्यों लगा रहे हो । " वो फिर बोला ।

" सड़क किनारे की पटरी चौड़ी हो गई है ना .. तो कल से भैंसे यही बाँधूँगा .. अंदर नहलाता हूँ तो बहुत कीच हो जाती है घर में .. I " चौधरी बेफिक्र होकर बोला ।

" पर पानी तो सड़क खराब कर देगा चौधरी " भीखू बोला ।

" मुझे क्या । ठीक कराएँगे विभाग वाले , सब डकार जाते हैं वरना । " हँसकर चौधरी बोला ।

भीखू आगे बढ़ा ही था कि देखा रामदीन ट्रेक्टर से खेत जोत रहा था .. वो असमंजस से बोला , " अरे रामदीन भाई ! यह क्या कर रहे हो . तुमने तो अपने खेत के साथ साथ सड़क के किनारे की पटरी तक जोत डाली .. बिना पटरी के तो सड़क कट जाएगी । "

रामदीन जोर से हँसा और बोला , " अरे बाबा , यह फसल अच्छी हो जाए फिर से मिट्टी लगा दूँगा । और रही बात सड़क कटने की तो फिर से ठीक करेगा ठेकेदार .. उसकी दो साल की गारंटी होती है ... और विभाग वाले .. हा हा हा ! वो तो सब बेईमान हैं ।"

✍️ अखिलेश वर्मा

   मुरादाबाद

   उत्तर प्रदेश, भारत

बुधवार, 6 अक्तूबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग की अप्रकाशित 32 लघुकथाएं । ये लघुकथाएं हमें हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी द्वारा उपलब्ध कराई गई स्मृतिशेष श्रृंग जी की डायरी से मिली हैं ।



 क्लिक कीजिए और पढ़िये सभी लघुकथाएं  स्मृतिशेष श्रृंग जी की हस्तलिपि में 

👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇https://documentcloud.adobe.com/link/review?uri=urn:aaid:scds:US:4cdd61d6-8f05-49a1-8e48-e497859c2958

:::::::::::प्रस्तुति:::::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822


शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की लघुकथा ---बहरूपिया


     कचहरी  के एक ओर बनी एक वकील  की गद्दी  पर , हंसा  सकुचाई  सी गुलाबी  कुर्ता  और सफ़ेद रंग का दुपट्टा  सिर पर ओढ़े  हुए बैठी थी पास में ही उसके पिता  आनंदी लाल  खड़े थे । कई बार वह गद्दी से दूर जाकर बीड़ी  पी आये थे ।

मन बड़ा विचलित  सा था कि केस वापस लें या अपनी बेटी के अधिकार  की लड़ाई जारी  रखें । 

वकील दया शंकर  जिनकी उम्र लगभग  साठ के करीब थी  उन्होंने बड़ी खुशी ...खुशी इस केस  को अपने हाथ में लिया।

वह बार -बार हंसा को पानी और चाय  के लिए  पूँछते वह इंकार  में सिर हिला  देती वह उसके सिर और खूबसूरत गालों को प्रेम से लाड  लड़ाते  हुए सहला  देते जैसे कि हँसा के पिता अक्सर करते हैं ।

मगर इस छुवन  से पता नहीं क्यों उसको असहजता  सी महसूस  होती ।

"हाँ...हँसा बेटा अब मुझे पूरी कहानी बताओ कि तुम्हारे साथ क्या हुआ ...देखो मुझसे कुछ छिपाना  मत क्योंकि डॉक्टर  और वकील से कुछ छिपाना यानि की मामले  को और पेचीदा  करना ...। " उसने जोर से हँसकर फिर से उसके गालों पर हाथ फेरा  l 

"ज...जी...जी । " हँसा ने अपने चेहरे को पीछे हटाने  की नाकामयाब  कोशिश की ।

"अरेवकील साहब हमने आपको बता तो दी सारी कहानी l " हँसा के पिता ने जोर देकर कहा तो वकील दयाशंकर  मुस्करा भर दिए । 

"अच्छा तो हँसा बेटा तुम्हारे पति के सम्बन्ध  गैर  औरत से थे ?" उसने कुटिल मुस्कान फेंकते  हुए बेगैरत  भरे अंदाज में कहा ।

"ज...जी ...जी ।"

"बताओ क्या  कमी है इस फूल सी बच्ची में ....?" इतनी खूबसूरत ...इतनी सादगी  से भरी .और क्या चाहिए था उस मरजाने  को ?"दयाशंकर. ने अपनी गिद्ध सी दृष्टि  से हँसा के मन को हिला कर रख दिया ।

"मारता पीटता  भी था ?"

"हाँ साहब नशे  में जानवरों  की तरह पीटता था मेरी फूल सी बच्ची को l " आनन्दी लाल. ने भरे हुए गले से कहा ।

"इनगालों  पर भी मारता  था ?" दयाशंकर. ने जहरीली  आवाज में दोबारा  हँसा को छूने   का प्रयास किया मगर वह पीछे हटकर  खड़ी हो गयी ।

"क्या हुआ बेटा ?" उसने बेशर्मी  से बेटा शब्द  निकाला सुनकर वह तिलमिला उठी  ।

"आपकी फीस क्या है वकील साहब ?" हँसा ने प्रश्न  किया l 

"देखो बेटा  तुम मेरी बेटी की तरह हो ...तुमसे कैसी  फीस .तुमकेस. के  डिश्कशन   के लिए बस इस पते   पर अपने पापा के साथ आ जाया   करना   .बसकल से कार्यवाही शुरू  करते हैं केस की ?"उसकी वासना   से भरी आवाज ने हँसा को अंदर   तक हिला दिया l 

यह आदमी  उसको अपने पति से भी ज्यादा दरिंदा   लगा  ..मुखौटा   लगाए बहरूपिया  l 

✍️ राशि  सिंह, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश , भारत


मुरादाबाद मंडल के गजरौला ( जनपद अमरोहा ) की साहित्यकार रेखा रानी की लघुकथा ---वट वृक्ष


मिंटो काफ़ी देर से दोहरा रही थी कि आज़ के ज़माने में आंगन लगभग समाप्त ही हो गए हैं और जब आंगन ही नहीं होंगे तो कहां लगाओगे वट वृक्ष और जब वट वृक्ष नहीं होंगे तो कहां से पाओगे छांव

मां खीझते हुए बोलीं कि क्या रट्टा लगा रखा है इतनी देर से"

मिंटो बोली "मां आज़ हमारी मैम कक्षा में हमारी संस्कृति को समझाते हुए यह बोल रही थीं तब से मेरे मन में एक अजीब सी हलचल पैदा हो गई है....

मैम के कहने का आशय क्या था।

मां बोलीं - मैं समझ गई तुम्हारी मैम के कहने का आशय पापा से कहो गाड़ी निकालें और गांव चलें और इस बार तुम्हारे दादा जी को साथ ही ले आएंगे... आगे से अब वो हमारे साथ ही रहेंगे हमारे पास क्योंकि वो ही हैं हमारे वट वृक्ष हमें चाहिए उनकी छांव.

मिंटो मां की बात सुनकर खुशी से उछल पड़ी।

✍️ रेखा रानी, विजय नगर गजरौला , जनपद अमरोहा, उत्तर प्रदेश,भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर की साहित्यकार रागिनी गर्ग की लघुकथा ---फर्क


 "अरे यार विनोद! बहू सुनीता मात्र सत्ताइस साल की छोटी उम्र में  विधवा हो गयी, तुमने उसके और उसकी पाँच साल की बच्ची के लिये क्या सोचा है? भाभीजी और तुम कब तक बैठे रहोगे? मेरी मानो तो उसका पुनर्विवाह कर दो।"

विनोद ने आँखें तरेरकर अपने लँगोटिया यार प्रकाश को घूरते हुये कहा:- 

"लगता है तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। जो बहकी- बहकी बातें कर रहे हो।"

"विनोद! इसमें बहकी बात जैसा क्या है?"

"बहू का दूसरा विवाह करना इतना आसान नहीं है। मेरी पोती का क्या होगा? लोग क्या कहेंगे? सुना! तुमने, मैं बहू का विवाह नहीं कर सकता।" लगभग प्रकाश पर चीखते हुये विनोद बोला।

"परररर विनोद! ये बहू,बहू की रट क्यों लगा रखी है? तुम तो सुनीता को बेटी मानते हो। वो अनाथ भी तुम दोनों को ही अपना माता- पिता मानती है।"

"बंद कर अपनी बक-बक और अपनी सलाहअपने पास रख" प्रकाश को झिड़कते हुये विनोद बोला,"बेटी मानने और बेटी होने में बहुत बडा़ फर्क है।"

✍️ रागिनी गर्ग, रामपुर , उत्तर प्रदेश, भारत

गुरुवार, 2 सितंबर 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा ----जोंक

"अब तो हमीं नजर आयेंगे इनको बिटवा ......।एक समय जब हमरी कौनू औकात  ना थी इनकी नजर में , सब तरफ  जोंकें ही चिपकी रहतीं थी ....अब शरीर में चूसने को कुछ बचा ही नही तो जोंकें भी नहीं दिखतीं .....।  एक हाथ में पानी का गिलास  पकडे और दूसरे  से पंखा झलती हुई अम्मा अन्योक्ति में कहे जा रहीं थीं ...।।

✍️ डॉ प्रीति हुंकार, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश ,भारत

शनिवार, 28 अगस्त 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की लघुकथा ---सच्चा तोहफा

"उफ्फ न जाने कब तक आएंगी आपकी दीदी मैं लेट हो रही हूं अपने भाई को जाकर रखी बांधने के लिए...कल का भी पूरा दिन बाजार में उनके लिए गिफ्ट लेने में गुजर गया बेकार ही और आज ...।" नेहा ने बेचैनी से कमरे में चहलकदमी करते हुए पति निखिल से कहा ।

"हां आ ही रही होंगी दीदी ...अभी कॉल करता हूं कहां हैं ।"निखिल ने फोन मिलाते हुए कहा ।

"हेलो दीदी कहां हो ?"

"सरप्राइज ।"मालती दीदी ने घर में घुसते ही हंसते हुए कहा लेकिन नेहा के चेहरे पर अभी भी गुस्सा के ही भाव थे ।

"देखा मैने कहा न था कि दीदी आएंगी जरूर ।"निखिल ने बच्चों की तरह खुश होते हुए कहा ।

"दीदी पानी लीजिए ।"नेहा ने पानी की ट्रे में पर रखते हुए कहा वह बार बार घड़ी की तरफ देखती जा रही थी ।

"अरे नेहा तुमको भी रखी बांधनी है न अपने भाई के ...जाओ जाओ जल्दी तैयार हो जाओ मैं इसके अभी रखी बांधती हूं ।"मालती दीदी ने मुस्कराते हुए कहा ।

"दीदी आप आई हो तो मैं कैसे जा सकता हूं अभी और नेहा भी ...?"

"अरे कैसी बात कर रहा है निखिल नेहा का भी भाई है और वह भी इंतजार कर रहा होगा तेरी तरह ।"मालती दीदी ने अपने भाई के रखी बांधते हुए डपटकर कहा ।

नेहा की आंखें भर आईं कितना नकारात्मक सोच रही थी वह अपनी ननद के बारे मे इस साल ही तो उसका विवाह हुआ था इसलिए रिश्तों से अनजान थी ।

नेहा ने गिफ्ट अपनी ननद की तरफ बढ़ाया तो मालती दीदी ने कहा 

"देखी कर दिया न मुझे पराया मुझे गिफ्ट की नहीं बस तुम दोनो ऐसे ही रहना मुझे कभी मम्मी पापा की कमी का एहसास नहीं होने देना ।"मालती ने भरी आंखों से आंसू पोंछते हुए कहा तो निखिल और नेहा दोनों ही अपनी दीदी से लिपट गए ।


✍️ राशि सिंह, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश , भारत