रामकली को साड़ी दिखाकर खुश होते हुए भरतो बोली अम्मा हमें तो न मालूम कि कौन कौन खड़े हैं मुखिया बनने को, बस हम तो अपना वोट इन साड़ी बांटने वाले को ही देंगे। रामकली भी साथ साथ दोहराने लगी- हां बहू , हमें और क्या चाहिए बेचारा साल भर से सब त्योहारों पर नए नए सामान बंटवा जो रहा है ।कनु यह सब सुन रही थी बोली" स्कूल में तो मैम ने समझाया था कि हमें लालच में आकर वोट नहीं देना है सही नेता का चुनाव करें कनु ने लाख प्रयास किया अपनी मां और दादी मां को समझाने का पर उसकी दोनों में से किसी ने न सुनी।
चुनाव हुए - साड़ी वाला उम्मीदवार जीत गया बेचारा पढ़ा लिखा और ईमानदार उम्मीदवार राम किशोर हार गया।
शपथ के अगले दिन ही मुनादी हुई कि गांव में आदर्श तालाब बनेगा, जिस पर सब लोग घूमने फ़ोटो खिंचवाने जाया करेंगे और गांव का नाम होगा। गांव के सभी लोगों ने पूरे उत्साह से श्रम दान किया । उसके कुछ दिनों बाद पता चला कि वहां मुखिया जी ने स्वीमिंग पूल बनवा लिया है और उसी के पास अपनी कोठी बनवा ली अब वह उनकी अपनी प्रॉपर्टी है न कि गांव की ।हद तो तब हो गई जब भरतो चीखती रही और.... रामकली को दरोगा जी पकड़ कर ले गए, कि यह झोपड़ी अवैध रूप से बनी हुई है। इस जगह पर तो ....मुखिया जी मन्दिर बनवाना चाहते हैं। अब रह - रह कर भरतो को कनु की बातें याद आ रही थीं लेकिन........
अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत
कनु बाहर से आकर बोली "मां! रामकिशोर काका दादी को छुड़ा लाए हैं और वो इस सब के लिए
मुखिया जी के खिलाफ़ लड़ाई भी लड़ेंगे।"
✍️ रेखा रानी
विजय नगर, गजरौला
जनपद अमरोहा ,उत्तर प्रदेश।
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