"उफ्फ न जाने कब तक आएंगी आपकी दीदी मैं लेट हो रही हूं अपने भाई को जाकर रखी बांधने के लिए...कल का भी पूरा दिन बाजार में उनके लिए गिफ्ट लेने में गुजर गया बेकार ही और आज ...।" नेहा ने बेचैनी से कमरे में चहलकदमी करते हुए पति निखिल से कहा ।
"हां आ ही रही होंगी दीदी ...अभी कॉल करता हूं कहां हैं ।"निखिल ने फोन मिलाते हुए कहा ।
"हेलो दीदी कहां हो ?"
"सरप्राइज ।"मालती दीदी ने घर में घुसते ही हंसते हुए कहा लेकिन नेहा के चेहरे पर अभी भी गुस्सा के ही भाव थे ।
"देखा मैने कहा न था कि दीदी आएंगी जरूर ।"निखिल ने बच्चों की तरह खुश होते हुए कहा ।
"दीदी पानी लीजिए ।"नेहा ने पानी की ट्रे में पर रखते हुए कहा वह बार बार घड़ी की तरफ देखती जा रही थी ।
"अरे नेहा तुमको भी रखी बांधनी है न अपने भाई के ...जाओ जाओ जल्दी तैयार हो जाओ मैं इसके अभी रखी बांधती हूं ।"मालती दीदी ने मुस्कराते हुए कहा ।
"दीदी आप आई हो तो मैं कैसे जा सकता हूं अभी और नेहा भी ...?"
"अरे कैसी बात कर रहा है निखिल नेहा का भी भाई है और वह भी इंतजार कर रहा होगा तेरी तरह ।"मालती दीदी ने अपने भाई के रखी बांधते हुए डपटकर कहा ।
नेहा की आंखें भर आईं कितना नकारात्मक सोच रही थी वह अपनी ननद के बारे मे इस साल ही तो उसका विवाह हुआ था इसलिए रिश्तों से अनजान थी ।
नेहा ने गिफ्ट अपनी ननद की तरफ बढ़ाया तो मालती दीदी ने कहा
"देखी कर दिया न मुझे पराया मुझे गिफ्ट की नहीं बस तुम दोनो ऐसे ही रहना मुझे कभी मम्मी पापा की कमी का एहसास नहीं होने देना ।"मालती ने भरी आंखों से आंसू पोंछते हुए कहा तो निखिल और नेहा दोनों ही अपनी दीदी से लिपट गए ।
✍️ राशि सिंह, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश , भारत
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