बहुत शानदार व्यवस्था थी।पंडाल की भव्यता, फूलों की सजावट,रंग बिरंगी लाइट,दिल को छूने वाला गीत संगीत,सब एक से बढ़कर एक। खाने में भी, हर क्षेत्र के व्यंजन। कस्बे में इतना भव्य आयोजन,पहले कभी, शायद ही हुआ हो।
अवसर था,प्राइमरी में अध्यापक,राजवीर की बेटी की शादी का। अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा खर्च करके,उसने ये व्यवस्था की थी।
"बधाई हो सर, आपने तो पूरे कस्बे की नाक ऊंची कर दी।"रामसिंह ने हंसते हुए कहा।
"सब ईश्वर की कृपा है।"राजवीर ने अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कान बिखेरने की कोशिश की। उसके मन में यही उधेड़ बुन चल रही थी कि झूठी शान के चक्कर में,उसने जो उधार लिया उसे कैसे लौटा पायेंगा। कहीं ऐसा ना हो उसकी खुद की नाक कट जाए।
✍️ डॉ.पुनीत कुमार
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