शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के गजरौला ( जनपद अमरोहा ) की साहित्यकार रेखा रानी की लघुकथा ---वट वृक्ष


मिंटो काफ़ी देर से दोहरा रही थी कि आज़ के ज़माने में आंगन लगभग समाप्त ही हो गए हैं और जब आंगन ही नहीं होंगे तो कहां लगाओगे वट वृक्ष और जब वट वृक्ष नहीं होंगे तो कहां से पाओगे छांव

मां खीझते हुए बोलीं कि क्या रट्टा लगा रखा है इतनी देर से"

मिंटो बोली "मां आज़ हमारी मैम कक्षा में हमारी संस्कृति को समझाते हुए यह बोल रही थीं तब से मेरे मन में एक अजीब सी हलचल पैदा हो गई है....

मैम के कहने का आशय क्या था।

मां बोलीं - मैं समझ गई तुम्हारी मैम के कहने का आशय पापा से कहो गाड़ी निकालें और गांव चलें और इस बार तुम्हारे दादा जी को साथ ही ले आएंगे... आगे से अब वो हमारे साथ ही रहेंगे हमारे पास क्योंकि वो ही हैं हमारे वट वृक्ष हमें चाहिए उनकी छांव.

मिंटो मां की बात सुनकर खुशी से उछल पड़ी।

✍️ रेखा रानी, विजय नगर गजरौला , जनपद अमरोहा, उत्तर प्रदेश,भारत

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