रविवार, 21 नवंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई और उदय अस्त,रामपुर की साहित्यकार रागिनी गर्ग समेत पांच साहित्यकारों को रामपुर की आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा ने किया सम्मानित। यह आयोजन रामपुर में 21 नवम्बर 2021 को हुआ ।

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर की आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा के तत्वावधान में कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह का आयोजन रविवार 21 नवम्बर 2021  को संस्था अध्यक्ष सुरेश अधीर की अध्यक्षता में आनंद कान्वेंट स्कूल ज्वाला नगर रामपुर में सम्पन्न हुआ।

  इस अवसर पर उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई एवं उदय प्रकाश सक्सेना अस्त, रामपुर की साहित्यकार रागिनी गर्ग, हल्द्वानी की साहित्यकार डा गीता मिश्र" गीत",  पीयूष प्रकाश सक्सेना जी, प्रबंधक आनंद कांवेंट स्कूल रामपुर को शाल ओढ़ाकर ,  अभिनन्दन पत्र,प्रतीक चिह्न प्रदान कर एवं मोती - माल्यार्पण कर काव्यधारा-साहित्य मनीषी" एवं काव्यधारा - गौरव" - सम्मान से सम्मानित किया गया।

  माँ सरस्वती वंदना राजीव प्रखर ने और गुरु वंदना अनमोल रागिनी ने प्रस्तुत की। सम्मानित साहित्यकारों के अतिरिक्त राम रतन यादव रतन, अनमोल रागिनी, शायर सुरेंद्र अश्क रामपुर, पुष्पा जोशी प्राकाम्य जी , राम किशोर वर्मा जी, विपिन शर्मा, डॉ ० अरविंद धवल, रवि प्रकाश, ओंकार सिंह विवेक, जितेन्द्र नंदा, राजवीर 'राज', महाराज किशोर सक्सेना आदि ने भी काव्य पाठ किया। इस अवसर पर श्रीमती ऊषा सक्सेना, श्रीमती कुसुम लता वर्मा, श्रीमती रवि प्रकाश, आनंद प्रकाश वर्मा एवं अतुल वर्मा उर्फ पीयूष वर्मा आदि उपस्थित रहे । संस्थापक महा सचिव जितेन्द्र कमल आनंद एवं अध्यक्ष सुरेश अधीर जी ने सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया। संचालन राम किशोर वर्मा जी ने किया।





























::::::प्रस्तुति:::::::

राम किशोर वर्मा

उपाध्यक्ष, आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उ०प्र०), भारत

शनिवार, 20 नवंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर के साहित्यकारों डॉ अनिल कुमार शर्मा अनिल, रचना शास्त्री, इंद्र देव भारती, नरेंद्रजीत अनाम, डॉ भूपेंद्र कुमार, रंजना हरित और अजय जैन की बाल कविताएं...। ये सभी बाल कविताएं प्रकाशित हुई हैं धामपुर के साहित्यकार डॉ अनिल कुमार शर्मा अनिल के सम्पादन में प्रकाशित ई पत्रिका अभिव्यक्ति के अंक 96, अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस अंक में ।


 














::::::;:प्रस्तुति:::::::::


मुरादाबाद के साहित्यकार माहेश्वर तिवारी के दो नवगीत । उनके ये गीत प्रकाशित हुए हैं सुरेश अधीर एवं जितेन्द्र कमल आनन्द के सम्पादन में प्रकाशित साझा काव्य संकलन 'प्रवाह' में । यह संकलन आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा भारत, रामपुर द्वारा वर्ष 2000 में प्रकाशित हुआ था ।


 

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार मनोरमा शर्मा की कविता -----प्रेम की निरपेक्षता

 


प्रेम की निरपेक्षता  सुनी है कहीं 

लेकिन प्रेम की निरपेक्षता   

एक अमूल्य साहित्य रच देती है 

महान कलाओं का सृजन कर देती है

एक निर्भीक,  सत्यनिष्ठ ,

संसार  रच देती है

उत्साह की  गंगा में

गोते लगाती   

सद्भावों की गीता बाँचती है

सृष्टि का सार समझाती है 

क्योंकि प्रेम धर्म निरपेक्ष होता है 

सनातन भाव में जीता है

पूर्णतः साहित्यिक', सुसंस्कृत' ,

कर्तव्यनिष्ठ और सीमाओं से परे ।

आलौकिक आध्यात्मिक 

सात्विक भावों की

सकारात्मक सोच ही प्रेम  की व्यापकता है ।

सामाजिक सौहार्द भी प्रेम है  

एक निर्वैर उद्गीथ रचता   । 

आशीषता प्रेम  

'शारदीय प्रभा में आलोड़ित' 

गंगे माँ तुम सा पावन ,तुम सा निर्मल प्रेम ,

उद्दाम लहरों में

बहा मत ले जाना । सुवासित कर देना जग को।

  मात्र कल्पना लोक का प्रेम तो नही यह ।--

✍️ मनोरमा शर्मा

अमरोहा, उ.प्र., भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ----भौतिकिया बिंद


 मानवता का चश्मा

मुझे अपने पिता से

विरासत में मिला था

जो मेरे पिता को

उनके पिता ने दिया था

ये स्थानांतरण

सदियों से चल रहा है

समूचा खानदान

इसी परंपरा में पल रहा है


आज जब चारों तरफ़

अत्याचारों की बाढ़ आई है

मुझे उस पुश्तैनी

चश्मे की याद आई है

काफी खोजबीन के बाद

मैंने उसको ढूंढ लिया है

उस पर से

उपेक्षा और तिरस्कार की

धूल को भी हटा दिया है

लेकिन अफसोस

वो दुर्लभ और मूल्यवान चश्मा

हम को कुछ नहीं दिखा रहा है

अजायबघर में सजने वाली

वस्तु सा नजर आ रहा है

सदियों से उसको

किसी ने भी नहीं लगाया है

दूसरी ओर

भौतिकता की चकाचौंध ने

हमारी आंखों को

और अधिक कमजोर बनाया है

लगता है जैसे,उनमें

भौतिकिया बिंद उतर आया है।


✍️ डॉ.पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की कविता -- लोकतंत्र


खुशहालपुर गाँव के

उस छोर पर

झोपड़ी नुमा मकान में

एक दीप जल रहा था।

दरिद्रता का प्रकोप

झिलमिलाते दीप की

रोशनी में

स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था।

काम करती बुढ़िया की

थकी - झुकी कमर

जाड़ों की रात में

ठंड से कांपती हुई

मेरे मस्तिष्क में

एक सिरहन की भांति

कौंध गई, तभी

मैनें सुना

एक बच्चा कह रहा था

माँ-माँ 

लोकतंत्र क्या होता है ?

माँ ने यह सुन

बच्चे को कलेजे से 

लगाकर,पुचकार कर

एक लम्बी सांस ली

और

अपने उंगलियों के पोरवे                                 

दीपक की

लौ पर रख दिये

तब

छा गया अंधकार

शेष रह गया,

उनके जीवन की भांति,

शून्य में तैरता

दीपक का धुआं ।।


✍️ अशोक विश्नोई, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

           

 

मुरादाबाद की साहित्यकार (वर्तमान में जकार्ता,इंडोनेशिया निवासी ) वैशाली रस्तोगी की रचना --हिम्मत रखना


 

मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) की साहित्यकार डॉ पूनम चौहान के पांच दोहे ---


सरस सलिल अविरल बहे,निर्मल गंगा धार।

मोक्षदायिनी मात तुम, तारो भव से पार।।


माघ मास पावन अती, पावन होत नहान।

पापनाशिनी तुम सदा,कहते वेद पुरान।।


गंगा तट पे गूंजते , ऋषि मुनियों के गान।

हर हर गंगे घोष में , सभीजन का कल्याण।।


धर्म कर्म और काज में, जल गंगा का होय।

अनुपम, अद्भुत, गुणकारी, राखो गेह संजोए।।


 गौ,  गंगा, गायत्री से, धारे  संस्कृति प्रान।

हाथ जोड़ विनती यही, करियो सदा सम्मान।।


✍️ डॉ पूनम चौहान

दुर्गा विहार  कॉलोनी नगीना रोड धामपुर( जिला बिजनौर) उत्तर प्रदेश,भारत

मोबाइल फोन नम्बर 92587 56221


शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा ) की साहित्यकार रेखा रानी की लघुकथा --- चुनाव


      रामकली को साड़ी दिखाकर खुश होते हुए  भरतो बोली  अम्मा हमें तो न मालूम कि कौन कौन खड़े हैं  मुखिया बनने को, बस हम तो अपना वोट इन साड़ी बांटने वाले को ही देंगे। रामकली भी साथ साथ दोहराने लगी- हां बहू , हमें और क्या चाहिए बेचारा साल भर से सब त्योहारों पर नए नए सामान बंटवा जो रहा है ।कनु यह सब सुन रही थी  बोली" स्कूल में तो मैम ने समझाया था कि हमें लालच में आकर वोट नहीं देना है सही नेता का चुनाव करें  कनु ने लाख प्रयास किया अपनी मां और दादी मां को समझाने का पर उसकी दोनों में से किसी ने न सुनी।

चुनाव हुए - साड़ी वाला उम्मीदवार जीत गया बेचारा पढ़ा लिखा और ईमानदार उम्मीदवार  राम किशोर हार गया।

शपथ के अगले दिन ही  मुनादी हुई कि गांव में  आदर्श तालाब बनेगा, जिस पर सब लोग घूमने फ़ोटो खिंचवाने जाया करेंगे और गांव का नाम होगा। गांव के सभी लोगों ने पूरे उत्साह से श्रम दान किया । उसके कुछ दिनों बाद पता चला कि  वहां मुखिया जी ने स्वीमिंग पूल बनवा लिया है और उसी के पास अपनी कोठी बनवा ली  अब वह उनकी अपनी  प्रॉपर्टी है न कि  गांव की ।हद तो तब हो गई जब भरतो चीखती रही और.... रामकली को दरोगा  जी पकड़ कर ले गए, कि यह झोपड़ी अवैध रूप से बनी हुई है। इस जगह पर तो ....मुखिया जी  मन्दिर बनवाना चाहते हैं। अब रह - रह कर भरतो को कनु की बातें याद आ रही थीं लेकिन........

अब पछताए क्या होत  है जब चिड़िया चुग गई  खेत

कनु बाहर से आकर बोली "मां! रामकिशोर काका दादी को छुड़ा लाए हैं और वो इस सब के लिए 

मुखिया जी के खिलाफ़ लड़ाई भी लड़ेंगे।"


✍️ रेखा रानी 

विजय नगर, गजरौला 

जनपद अमरोहा ,उत्तर प्रदेश।


मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार शिव कुमार चंदन का गीत ----गिरि शिखर से अवतरित गंगे , तू कल ‌- कल बह रही है


हरण   कर    त्रय   ताप,  माँ ,

पावन जगत  को कर रही  है  ।

गिरि शिखर से अवतरित गंगे

तू   कल  - कल  बह  रही  है

माँ  !  विमल जलधार  से  तू  ,

तृप्त  करती  ,तृषित जन को  ।

रूपसी   तू   प्रकृति   निर्मल  ,

मौन  रह  कुछ  कह  रही  है ।

हरण  कर  त्रय ताप  जग के ,

तू  जगत पावन  कर रही है ।।


तेरी   निर्मल   धार  अविरल  ,

बह रही  शिव शीश  रह कर  ।

तेरे    तट    उपजीं   ऋचाएँ  ,

गहन    आरण्यक   निरन्तर  ।।

तोड़  गिरि - मरू  श्र॔खलाएँ ,

चंचला   सी   बह   रही   है  ।

हरण  कर  त्रय ताप जग के  ,

पावन जगत को कर रही है ।।


समर्पित   घृत , पुष्प  चंदन  ,

नैवेद्य  अक्षत,अगरू ,रोली  ।

पूर्ण    कर   मन   कामनाएँ  ,

माँ भरो जन जन की झोली ।।

बाँट कर जग  को विमलता ,

नित  कलुषता  सह  रही है  ।

हरण   कर  त्रय  ताप   ,माँ  ,

तू जगत पावन  कर रही है ।।


✍️  शिव कुमार चंदन

सीआरपीएफ बाउण्ड्री , निकट- पानी की बड़ी टंकी  ज्वालानगर,   रामपुर ( उत्तर प्रदेश ) मोबाइल फोन नम्बर 6397338850 


मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार ओंकार सिंह विवेक के कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान पर्व पर आठ दोहे ----



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जटा   खोलकर  रुद्र   ने , छोड़ी  जिसकी  धार,

नमन   करें   उस   गंग   को ,  आओ   बारंबार।

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भूप   सगर   के   पुत्र   सब , दिए  अंत में   तार,

कैसे   भूलें   हम  भला ,  सुरसरि  का  उपकार।

💥

यों  तो  नदियों  का  यहाँ ,  बिछा  हुआ है जाल,

पर  गंगा  माँ - सी  हमें , मिलती  नहीं  मिसाल।

💥

मातु - सदृश   भी   पूजता , मैली   करता  धार,

गंगा - सॅंग   तेरा   मनुज , यह  कैसा  व्यवहार।

💥

दिन-प्रतिदिन  दूषित  करे , मानव  उसकी  धार,

फिर   भी  यह  आशा   रखे  , गंगा   देगी  तार।

💥

आज   धरा   पर    देखकर , गंगा   का  संत्रास,

शिव जी  भी  कैलाश  पर , होंगे  बहुत  उदास।

💥

सच्चे  मन   से   प्रण  करें ,  हम   सब  बारंबार,

नहीं   करेंगे   अब  मलिन ,  देवनदी  की  धार।

💥

चला-चलाकर  नित्यप्रति, अधुनातन  अभियान,

स्वच्छ   करेंगे  गंग को , मन  में  लें  अब ठान।


 🙏 ओंकार सिंह विवेक, ,रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत


मुरादाबाद के साहित्यकार श्रीकृष्ण शुक्ल का गीत ----आओ हम सब बनें भगीरथ, गंगा को फिर स्वच्छ करें स्वच्छ रखें नाले नाली सब, अपशिष्टों से मुक्त करें


एक भगीरथ के तप से ही, धरती पर गंगा आई

शिव के सहस्त्रार से होकर, अमृतमय जल ले आई

गंगाजल का एक आचमन, तन मन पावन करता था

पाप ताप को धोते धोते, पतित पावनी कहलाई

 

उद्गम से जब चलती है तो, अमृत लेकर चलती है

देवभूमि तक पावनता से, कल कल बहती रहती है

इसके पावन गंगाजल से, जड़ चेतन जीवन पाते

औषधीय गुण धारण करके, तृप्त सभी को करती है

 

पाप हमारे धोने को ये अविरल बहती जाती है

तन मन को पावन करने में, तनिक नहीं सकुचाती है

पर हम अपनी सभी गंदगी, फेंक इसी में जाते हैं

मैल हमारा धोते धोते खुद मैली हो जाती है

 

गंगा की अविरल धारा को, हमने दूषित कर डाला

सब अपशिष्ट ग्रहण कर गंगा आज रह गई बस नाला 

पतित पावनी गंगा का जल, तन मन निर्मल करता था

आज आचमन भी कैसे हो, गंगाजल दूषित काला. 

 

 गंगा के अविरल प्रवाह पर, बाँध अनेक बना दिए  

अपशिष्टों के नद नाले भी, गंगाजल में मिला दिए

 बूँद बूँद जल में अमृत था, बूँद बूँद अब गरल हुआ

  पाप मोचिनी को मलीन कर, हमने कितने पाप किए

 

  आओ हम सब बनें भगीरथ, गंगा को फिर स्वच्छ करें

  स्वच्छ रखें नाले नाली सब, अपशिष्टों से मुक्त करें

  धर्म कर्म के सभी विसर्जन, धरती में करना सीखें

  स्वच्छ बने ये गंगा फिर से, पुनः आचमन सभी करें

 

 ✍️  श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत