शनिवार, 20 नवंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार मनोरमा शर्मा की कविता -----प्रेम की निरपेक्षता

 


प्रेम की निरपेक्षता  सुनी है कहीं 

लेकिन प्रेम की निरपेक्षता   

एक अमूल्य साहित्य रच देती है 

महान कलाओं का सृजन कर देती है

एक निर्भीक,  सत्यनिष्ठ ,

संसार  रच देती है

उत्साह की  गंगा में

गोते लगाती   

सद्भावों की गीता बाँचती है

सृष्टि का सार समझाती है 

क्योंकि प्रेम धर्म निरपेक्ष होता है 

सनातन भाव में जीता है

पूर्णतः साहित्यिक', सुसंस्कृत' ,

कर्तव्यनिष्ठ और सीमाओं से परे ।

आलौकिक आध्यात्मिक 

सात्विक भावों की

सकारात्मक सोच ही प्रेम  की व्यापकता है ।

सामाजिक सौहार्द भी प्रेम है  

एक निर्वैर उद्गीथ रचता   । 

आशीषता प्रेम  

'शारदीय प्रभा में आलोड़ित' 

गंगे माँ तुम सा पावन ,तुम सा निर्मल प्रेम ,

उद्दाम लहरों में

बहा मत ले जाना । सुवासित कर देना जग को।

  मात्र कल्पना लोक का प्रेम तो नही यह ।--

✍️ मनोरमा शर्मा

अमरोहा, उ.प्र., भारत

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