शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार ओंकार सिंह विवेक के कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान पर्व पर आठ दोहे ----



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जटा   खोलकर  रुद्र   ने , छोड़ी  जिसकी  धार,

नमन   करें   उस   गंग   को ,  आओ   बारंबार।

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भूप   सगर   के   पुत्र   सब , दिए  अंत में   तार,

कैसे   भूलें   हम  भला ,  सुरसरि  का  उपकार।

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यों  तो  नदियों  का  यहाँ ,  बिछा  हुआ है जाल,

पर  गंगा  माँ - सी  हमें , मिलती  नहीं  मिसाल।

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मातु - सदृश   भी   पूजता , मैली   करता  धार,

गंगा - सॅंग   तेरा   मनुज , यह  कैसा  व्यवहार।

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दिन-प्रतिदिन  दूषित  करे , मानव  उसकी  धार,

फिर   भी  यह  आशा   रखे  , गंगा   देगी  तार।

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आज   धरा   पर    देखकर , गंगा   का  संत्रास,

शिव जी  भी  कैलाश  पर , होंगे  बहुत  उदास।

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सच्चे  मन   से   प्रण  करें ,  हम   सब  बारंबार,

नहीं   करेंगे   अब  मलिन ,  देवनदी  की  धार।

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चला-चलाकर  नित्यप्रति, अधुनातन  अभियान,

स्वच्छ   करेंगे  गंग को , मन  में  लें  अब ठान।


 🙏 ओंकार सिंह विवेक, ,रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत


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