सोमवार, 15 मई 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का मुक्तक ......दुनिया भर की दौलत से भी बढ़ कर मां का साया है

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मुरादाबाद के साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ल की रचना ....

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मुरादाबाद मंडल के शेरकोट (जनपद बिजनौर ) निवासी साहित्यकार शुचि शर्मा की रचना ..तू है मां तेरे कदमों

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मुरादाबाद के साहित्यकार राम दत्त द्विवेदी का गीत..... एक पल मिलना बिछड़ना ही जगत की रीत रे ....

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रविवार, 14 मई 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार नकुल त्यागी की रचना....मां

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मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की रचना ..... जीवन सा मां का स्पर्श

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मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की रचना ..... मां ही मेरी पहचान

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मुरादाबाद की साहित्यकार (वर्तमान में जकार्ता इंडोनेशिया निवासी) वैशाली रस्तोगी की रचना ....

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मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी वर्मा की रचना .... मेरी यह दुनिया मां तुझ में बसी है

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सोमवार, 8 मई 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की व्यंग्य कविता...... ज्वालामुखी कब फटता है

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मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा) की साहित्यकार डॉ मधु चतुर्वेदी की ग़ज़ल ......ये तेरी दास्तां है और मैं हूं

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✍️🎤 डॉ. मधु चतुर्वेदी

गजरौला गैस एजेंसी चौपला,गजरौला

जिला अमरोहा 244235

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9837003888

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से 7 मई 2023 को आयोजित काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी रविवार 7 मई 2023 को मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में आयोजित की गई। राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना एवं संचालन में आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा .....

जो भजन भगवान का करते नहीं हैं। 

दुख सभी उनके कभी कटते नहीं हैं।।

मुख्य अतिथि अशोक विश्नोई ने कहा .....

रिश्तों में अब प्यार का एहसास होना चाहिए। 

हर जुबां मीठी रहे विश्वास होना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि के रूप में ओंकार सिंह ओंकार का कहना था ......

सुबह सुहानी हो गई, चिड़ियों के सुन बोल। 

कलियां धीरे से हंसीं, घूंघट के पट खोल।। 

हवा विषैली कर रहा, धुआं धुआं सब ओर। 

यहाँ सांस लेना कठिन, बमबारी घनघोर।।

विशिष्ट अतिथि  डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा ....

जैसे तैसे बीत गए पांच साल रे भैया।

 फिर लगा बिछने वादों का जाल रे भैया। 

आवाज में भरी मिठास, चेहरे पर मासूमियत, 

भेड़ियों ने पहनी गाय की खाल रे भैया।

वरिष्ठ नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने अपनी प्रस्तुति में कहा - 

क्षमता का उपयोग कर, उड़ जा पंख पसार। 

सपनों के आकाश का, अंतहीन विस्तार।

 रिश्ते-नातों में बढ़ा, कई गुना आनंद।

 दोषमुक्त जब हो गए, व्यवहारों के छंद।।

       रचना पाठ करते हुए राजीव प्रखर ने कहा - 

मेरी मीठे बेर से, इतनी ही फ़रियाद। 

दे दे मुझको ढूंढकर, शबरी-युग सा स्वाद।।

 देख शरारत से भरी, बच्चों की मुस्कान। 

बूढ़े दद्दू भी हुए, थोड़े से शैतान।।  

प्रशांत मिश्र की अभिव्यक्ति थी - 

जब थियेटर में बैठे मैथ की पढ़ाई याद आती है। 

जितेन्द्र जौली ने कहा - 

जात-पात को भूलकर, सब हो जायें साथ। 

दुर्बल की रक्षा हेतु, उठे सदा ये हाथ।।  

नकुल त्यागी ने भी समाज को चेताया - 

गधों की हर समस्या का समाधान है, 

पर गधे को गधा कहना गधे का अपमान है। 

      संस्था के महासचिव जितेंद्र जौली द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।














:::::::::::प्रस्तुति:::::::::::

जितेंद्र कुमार जौली

महासचिव

हिन्दी साहित्य संगम

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल- 93588 54322

रविवार, 7 मई 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता..पढ़ा लिखा गधा.


जी हां,

मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं

जाति धर्म और जान पहचान का

पूरा सम्मान करता हूं

उम्मीदवार कितना भी बुरा हो,

उसी को मतदान करता हूं

संकीर्ण मानसिकता के

खूंटे से बंधा हूं

जी हां, 

मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं


स्वच्छता अभियान को

ईमानदारी से चलाता हूं

अपने घर का कचरा

पड़ोसी के घर तक पहुंचाता हूं

उसको अपने जैसा

बनाने पर तुला हूं

जी हां

मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं


हर दिन हर पल

विज्ञान के गुण गाता हूं

प्रतिकूल परिस्थितियों में

अंधविश्वासी बन जाता हूं

आधुनिकता के झूठे

लबादों से लदा हूं

जी हां

मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं


✍️डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

शनिवार, 6 मई 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की कहानी.....अपराजिता


..... जल्दी करो डॉक्टर!.....खून बहुत बह गया है....ये आईपीएस अधिकारी बिजेत्री हैं इनको पांच गोलियां लगी हैं ....20 लाख के इनामी दुर्दांत डाकू गुलाब सिंह के पूरे गिरोह का सफाया कर दिया इन्होंने   ..... 15 लोग मारे गये एक दरोगा और सिपाही की भी मौत हो चुकी है.......! 

.........आंखें खुली..चेतना शून्य कौमा में पहुँच चुकी हैं....... बचने की बहुत कम संभावना है.....! परन्तु आई पी एस विजेत्री की चेतना अवचेतन मस्तिष्क में कुछ और ही दौर से गुजर रही थी......! 

..... मैं विजेत्री ! मेरी कहानी तो मेरे जन्म से पहले ही शुरू हो चुकी थी जब मैं 4 महीने के भ्रूण अवस्था में थी तभी मेरे दादा दादी ने मां को हुक्म सुनाया.."तैयार हो जाओ तुम्हें हमारे साथ नर्सिंग होम चलना है, पता लगाना है लड़का है या लड़की!....हमें लड़का ही चाहिए कोई लड़की नहीं चाहिए! "    "समाज में   कोई बेइज्जती नहीं चाहिए" ....उनकी बातें सुनकर मेरा दिल दहल गया क्योंकि मुझे तो पता था कि मैं लड़की हूं जबकि मेरे पापा ने मां से कह रखा था "पहला बच्चा है  हमें न तो भ्रूण परीक्षण कराना है और न एवोर्शन!लड़की हो या लड़का......लड़की भी हमारे लिए  उतनी ही प्रिय होगी जितना कि लड़का इसलिए अम्मा बापू के कहने में मतआजाना!.........मेरी छुट्टी खत्म हो रही हैं मैं जा रहा हूँ........!"

     परन्तु मम्मी ठहरी गाँव की भीरू स्त्री.... बड़ों का कहना सिर झुका कर स्वीकार करना उनकी नियति बन चुका था...मन मार कर उन्हें दादा दादी के साथ नर्सिंग होम जाना ही पड़ा !

    वैसे मां खूब तंदुरुस्त थीं ....प्रेगनेंसी में लड़का मोटा तगड़ा हो उनके घर की एक लाठी जो तैयार होने जा रही थी...इसलिए माँ की खुराक बढ़ा दी गयी थी विशेष आवभगत की जाती थी.......! 

    अल्ट्रासाउंड हुआ और मेरे अस्तित्व की पोल खुल गई ..... दादा दादी पुराने खयालात के लोग थे तुरंत मेरे कत्ल का आदेश जारी हो गया .....हमें लड़की नहीं चाहिए......डाक्टर ! तुरंत अवोर्शन कर दीजिये!..........मैं स्तब्ध भय से थर थर कांप रही थी.....माँ भी बहुत डर रही थी..... ! 

       4 महीने का भ्रूण नन्ही सी जान.......बड़े-बड़े औजार मुझे खत्म करने के लिए आगे बढ़े परन्तु मै शुरू से चालाक थी  बिल्कुल दीवारों से चिपक गई और उनके हथियारों  के हाथ नहीं आई डॉक्टर बहुत हैरान थी  डॉक्टर ने कहा अगले हफ्ते आना सब ठीक से हो जाएगा मैं उस रात बिल्कुल नहीं सोई....आतंक से थरथर कांप रही थी लगातार रोये जा रही थी ....मन में कह रही थी पापा जल्दी आ जाओ अपनी बिटिया को बचा लो!....पापा आपके घर के एक कोने में पड़ी रहूंगी!....किसी चीज की जिद नहीं करूंगी सब कुछ भैया को दे देना..... मै रूखा सूखा खा कर रह लूंगी .....अच्छे कपड़ों की जिद भी नहीं करूंगी.....चाहे मुझे स्कूल भी मत भेजना.,.पापा आपके घर भैया तो आ जायेगा पर जरा सोचो उसकी कलाई पर राखी कौन बांधेगा ?...भैया दूज कौन करेगा.?..भैया जब दूल्हा बनेगा देहली घेर कर हक कौन मांगेगा.?...बहन वाली शादी की रस्में कौन पूरी करेगा.? फिर सोचो कहते हैं कन्या दान के बिना मुक्ति नही मिलती...!....लौट आओ पापा !.....आप कहाँ हो यहाँ आपकी अजन्मी बेटी की हत्या की योजना बन रही है .....! मेरे मन की बात शायद भगवान ने पापा तक पहुंचा दी  पापा को खबर लगी वे लौट आए....घर में बहुत हंगामा हुआ......मै सुबक पडी़......मेरे प्यारे पापा! मुझे बचा लेंगे !....

.............दादा दादी से गरज कर बोले "ऐसा कुछ भी नहीं होगा!" दादा दादी से उनकी बोलचाल भी बंद हो गई ....बहुत कहासुनी हुई....डाक्टर को जेल कराने की धमकी दे कर पापा वापस चले गये..... सो डॉक्टर ने दादी से साफ मना कर दिया........ गर्भ पात अपराध है.... ! 

   अब अचानक माँ के खान पान पर ध्यान देना बन्द कर दिया गया

इधर माँ को सफेद मिट्टी खाने की प्रबल इच्छा होने लगी वे मिट्टी खाने लगीं....! उस सबका मेरे स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा जैसे तैसे मुझे दुनिया में लाया गया परंतु कमजोर होने के कारण माँ को बचाना भारी पड गया आपरेशन से इंफेक्शन हटाने में गर्भाशय ही निकालना पडा़ वे अब पुनः और बच्चे को जन्म नहीं दे सकती थी...कमजोरी की वजह से मुझे भी विशेष निगरानी में अलग मशीनों में रखा गया जैसे तैसे मैं बड़ी हुई और मैंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत करना शुरू कर दिया हर जगह हर काम में मैं प्रथम रहती....दादा दादी की मानसिकता में परिवर्तन हो इसलिए मैंने लड़को जैसे बाल, लड़कों के खेलों में भाग लेना शुरू किया धीरे-धीरे मैं बड़ी हो गई और मेरा सलेक्शन आईपीएस में हो गया मेरे पिता मुझसे बहुत खुश रहा करते  थे परंतु दादा दादी का दिल मैं कभी नहीं जीत सकी ! बोले...".भला अब इस लड़की से शादी कौन करेगा"....? 

.....इन दिनों मुझे एक गंभीर मिशन  सौंपा गया....खूंखार डाकू गुलाबसिंह का गिरोह सहित खात्मा!.....जो न जाने कितने कत्ल और डकैतियां कर चुका था....लंबी  7 फुट ऊंची चौडी़ कद काठी....,चौडी़ छाती  बड़ी-बड़ी जलती हुई आंखें लम्बी मूछें मेरा सामना मानो नर पिशाच से हुआ था उसका गिरोह उस समय का सबसे खतरनाक गिरोह था एक पुराना खंडहर इस गिरोह का ठिकाना था  रात को मुंह पर  नकाब लगाकर गांव में निकल पड़ता था जनता और पुलिस सभी इससे आतंकित थे......मैंने भी ठान लिया था इसके गिरोह का सफाया मेरे ही हाथ से होगा......रात में जैसे ही मैं उसके गढ़ में पहुंची है वहाँ गोलियों की बौछार होने लगी एनकाउंटर शुरू हो गया थोडी़ ही देर में एक सब इंसपेक्टर और एक सिपाही को गोली लगी....यह देख कर मेरे सभी साथी छोड़ भागे पर मैंने साहस नहीं छोड़ा और एक-एक कर 15 डाकुओं को मौत के घाट उतार दिया अंत में बचा खुद गुलाब सिंह उसमें बहुत बल था लात घूँसों  से उसने मुझे अधमरा कर दिया.....मेरे शरीर के अंदर पांच गोलियां लगी थीं फिर भी मैंने अंतिम क्षण तक साहस नहीं छोड़ा मैंने छुपे हुए खंजर से उसके सीने पर बार किया उसने हाथ से बड़ी मजबूती से मेरा गला पकड़ रखा था जिसका दबाव लगातार मेरे गले पर बढ़ता जा रहा था ,  मेरी सांस उखड़ रही थी जिंदगी और मौत के बीच एक बारीक सी लाइन बची थी....फिर मैंने खंजर से कई बार उसके ऊपर किये...अज्ञात शक्ति मेरा साथ दे रही थी ....मरने से पहले  मैंने एक गोली उसके सर पर दागी जिससे उसके हाथ का दबाव मेरे गले पर अचानक कम हुआ और गुलाब सिंह जमीन पर गिर कर ढेर हो गया, मेरी चेतना मुझसे कह रही थी जब मैं पहले न  मरी तो अब क्या मरूंगी.........

    ......प्रशासन की ओर से मुझे देखने वालों का तांता लग गया, सभी लोग मेरे जीवन की सलामती की दुआ कर रहे थे परंतु कुछ लोग ऐसे भी थे जो कि सोच रहे थे  अब  बचेगी नहीं ...जाने कितने सीनियर अफसर मन ही मन खुश हो रहे थे क्योंकि उनकी महत्वाकांक्षा यह बर्दाश्त नहीं कर सकती थी कि किसी महिला  आईपीएस को इतना मान सम्मान मिले देखिए क्या होता है,. ....मैं, अब होश खोती जा रही हूं ईश्वर मेरी रक्षा करें...... 

* 3 दिन बाद*

 ......कई बार सर्जरी हुई एक एक करके पांच गोलियां निकाली गयीं... ...  मेरे  घाव काफी भर चुके थे... 

...एक बड़े समारोह में पुलिस की ओर से मुझे बीस लाख का इनाम और मेडल मिलने वाला था....

मैं मंच से अपने दादाजी  सुल्तान सिंह को पुकारती हूँ मेरे दादाजी कृपया मंच पर आएं ..मैं उनके हाथ से ही ये सम्मान लेना चाहती हूं.......!

. ...... दादा दादी आज बहुत भावुक हो रहे थे.....अश्रुधारा कब से झुर्रियों को भिगोये जा रही थी.....किंकर्तव्यविमूढ़ से बस एक टक मुझे ही देखे जा रहे थे परन्तु आज ये आंसू पश्चाताप और खुशी के थे मानो कह रहे हों बेटी विजेत्री तूने हमारे सारे सपने साकार कर दिये......हमें इस बुढ़ापे में गौरव के पल देकर निहाल कर दिया ......

.....तेरे जैसी बिटिया पर  कितने ही बेटे कुर्बान!.....

  ... ...उन्हें पकड़ कर मंच पर लाया गया दादा जी ने कांपते हाथों से माइक पकड़ा बोलना शुरू किया बेटी विजेत्री! बेटी बिजेत्री! हमने कभी तुम्हारी कद्र नहीं की....!अरे हम तो तुझसे जीने का अधिकार ही छीने ले रहे थे भगवान हमें क्षमा करें..... ्..

.....आज तूने साबित कर दिया.हम गलत थे....... और हम गलत साबित होकर  बहुत खुश हैं... 

........बेटी विजेत्री हमें तुम पर गर्व है भगवान सब को तुम्हारे जैसी बेटी दे लोगों को बेटियों की रक्षा करनी चाहिए ,, बेटे बेटी में बिल्कुल भेद नहीं करना चाहिए......आज विजेत्री न होती तो क्या हमें यह गौरव प्राप्त हो सकता था....... ?... 

✍️ अशोक विद्रोही 

412, प्रकाश नगर

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 8218825541

बुधवार, 3 मई 2023

यादगार चित्र : मुरादाबाद कलक्ट्रेट कर्मचारी संघ की ओर से वर्ष 1986 में आयोजित कवि सम्मेलन व मुशायरे में रचना पाठ करते हुए ठाकुरद्वारा के हास्य कवि शरीफ भारती ।


  इस चित्र में  मंचासीन हैं पदमश्री गोपाल दास नीरज, बराबर में बैठी मुरादाबाद की शायरा तसनीम सिददीकी से बात करते हुए ,सफेद शॉल ओढ़े हुए लखनऊ के शायर कृष्ण बिहारी नूर साहब ,बराबर में बैठे  मक्खन मुरादाबादी जी ओर उनके पीछे माहेश्वर तिवारी जी ,काले सूट में बदायूं के उर्मिलेश शंखधार साहब, उर्मिलेश जी के दाहिने तरफ चश्मा लगाए मशहूर हास्य के शायर सागर ख़य्यामी । यह चित्र हमें मिला है हास्य कवि शरीफ भारती जी की फेसबुक वॉल से ।

रविवार, 30 अप्रैल 2023

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद संभल) निवासी साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम् के सात दोहे


मन  के  मंदिर में  रखे, धर्म ग्रंथ  से  आप।

जब जब भी देखूं तुम्हें,मिटे शाप अभिशाप।। 1।।


त्याग और बलिदान में,आस और विश्वास।

प्रेम समर्पण आपका,पतझड़ में मधुमास।।2।।


जितना आता पास में,जाती उतनी दूर।

फिर जीने को जिंदगी,क्यों करती मजबूर।।3।।


आना जाना बंद है,बोलचाल दी छोड़।

मगर न फिर भी टूटता,संबंधों का जोड़।।4।।


जोड़-तोड़ हर मोड़ की,सब तरकीबें फेल।

मन की पटरी दौड़ती,प्रेम नगर की रेल।।5 ।।


शक्कर से मीठे हुए,जब गुदड़ी के लाल।

जीवन रसमय हो गया,सुलझे सभी सवाल।।6 ।।


सपने जो देखे कभी,हुए सभी साकार।

परछाई को मिल गया,सुंदरतम् आकार।।7 ।।


✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्

कुरकावली, संभल 

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता .......झूठ की दुकान


आप सबकी

कृपा से श्रीमान

हमने खोल रखी है

झूठ की दुकान

हमारे पास 

एक झूठ का पुलंदा है

उसमे

तरह तरह के झूठ हैं

उनको जरूरतमंदों को

बेचना ही अपना धंधा है


सरकारी कर्मचारियों को

सच बोलने पर

छुट्टी नही मिल पाती है

किस समय

कौन सा झूठ बोला जाए

ये बात उनकी

समझ नही आती है

हम उनको

विशिष्ट झूठ 

ना केवल सप्लाई करते है

उसका पूरा रिकॉर्ड भी रखते है

घर के किस सदस्य की

मृत्यु कब और कैसे होनी है

हम सब जानते हैं

बड़े बड़े ज्योतिषी भी

हमारा लोहा मानते हैं

हम

सभी सरकारी संस्थानों से

मान्यता पाते हैं

हमारे द्वारा सत्यापित झूठ

आंख बंद कर स्वीकारे जाते हैं


ये आप सबका प्रारब्ध है

हमारे पास

पारिवारिक जीवन को

सूखी बनाने वाला

झूठ पैकेज भी उपलब्ध है

प्रेमी प्रेमिका से

चोरी छिपे मिलने जाना है

उसके लिए घर पर

कौन सा बहाना बनाना है

अपना वेतन

कैसे कम बताया जाए

कैसे यार दोस्तों के साथ

समय बिताया जाए

ये सब कुछ

विस्तार से समझाया जाता है

और शादीशुदा लोगों से

हमदर्दी जताते हुए

पचास प्रतिशत 

डिस्काउंट दिया जाता है

हमारे द्वारा बताए

झूठ की मजबूत बुनियाद पर

लाखों रिश्ते फल फूल रहे है

उनकी दुआओं से हम

सफलता के झूले में झूल रहे हैं


लेकिन 

पिछले कुछ समय से

हमारा आत्मविश्वास हिल रहा है

हमको

राजनैतिक नेताओं से

तगड़ा कंपटीशन मिल रहा है


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार संतोष कुमार शुक्ल संत की रचना .....बस हमें वोट दीजिए


सभी कुछ मुफ्त लीजिये।

बस हमें वोट दीजिए।।

कहीं साड़ी का लालच, कहीं चावल खैराती। 

मुफ्त लो बिजली- पानी, कहीं पैसे अनुपाती ।।

मुफ्त में है मोबाइल, लपक कर जल्द लीजिये। 

बस हमें वोट दीजिए ।। 


मिल रहा लैपटॉप भी, साइकिल भी बटती है। 

मिल रही केवल उसको, जहां जिसकी पटती है।। 

साथ में मुफ्ती राशन, बढ़ा कर हाथ लीजिये।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


कर्ज माफी का शोषा, किसानों को भी धोखा। 

लगे न हरड़ फिटकरी, है धंधा कितना चोखा ? 

बढ़ा कर फिर मंहगाई, चौगुना चूस लीजिये।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


सभी महिलाओं को भी, बसों में मुफ्त सफर है। 

मिलेगा मासिक भत्ता, यही बस बची कसर है।। 

संस्था सब सरकारी, इस तरह लूट लीजिये।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


धता हमको बतलादी, नया अध्याय जोड़ कर । 

मुनादी भी पिटवादी, कान उसके मरोड़कर  ।। 

यही तो राजनीति है, ठीक से समझ लीजिए।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


लूट हर ओर मची है, यह कैसी डैमोक्रेसी ? 

जहाँ जनता के द्वारा, स्वयं की ऐसी तैसी।। 

मियां का ही जूता है, मियां की चांद लीजिये।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल "सन्त"

ग्राम-झुनैया, तहसील - मिलक, 

जनपद - रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल : 9560697045

गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल निवासी साहित्यकार अतुल कुमार शर्मा की रचना....मत का प्रयोग जरूर करो


लोकतंत्र के महापर्व में, 

हम आज तैयार खड़े हैं।

 'वोट हमें दो'-'वोट हमें दो' ,

इसी बात पर सभी अड़े हैं।।

लेकिन आज वक्त हमारा है,

आओ मिलकर विचार करें।

जो भी ठीक लगे हमको,

उसका फिर प्रचार करें।।

जाकर स्थल मतदान के,

हाजिरी जरूर लगाना तुम।

जो भी करीब दिल के हो,

उस पर मुहर लगाना तुम।।

वरना होगा पछतावा तुमको,

मताधिकार प्रयोग न करने का।

होगा पछतावा पांच वर्ष तक,

एक गलत काम को करने का।।

मानो मेरी नेक सलाह तुम,

मत का प्रयोग जरूर करो।

मित्र-मंडली को समझाकर,

मत देने को मजबूर करो।।


✍️ अतुल कुमार शर्मा 

सम्भल

उत्तर प्रदेश, भारत

बुधवार, 26 अप्रैल 2023

मुरादाबाद जनपद के ठाकुरद्वारा निवासी साहित्यकार नृपेंद्र शर्मा सागर की लघुकथा ....अपना बनता है

   


"यार एक डबल बैड बनवाना था, तुम्हारी कोई जानपहचान वाला हो तो बताओ जो ठीक-ठीक लगा ले और अच्छी चीज दे।" सुरेंद्र ने अपने दोस्त असद से कहा।

 "हाँ-हाँ क्यों नहीं, चलो मेरे साथ आज ही बात करवा देता हूँ।" असद ने अपनेपन से कहा और बाइक स्टार्ट कर ली।

 "देखो ये दुकान अपनी ही समझो, बहुत अच्छी चीज देगा और दाम बिल्कुल बाजिब लगाएगा।" असद ने एक दुकान के बाहर बाइक रोकते हुए कहा।

 "ठीक है यार चलो फिर देख लेते हैं कोई अच्छा सा बैड।" सुरेंद्र ने कहा।

  "तुम जाकर देखो मुझे जरा आगे कुछ काम है, मैं अभी दुकानदार से कह देता हूँ।" असद ने बिना बाइक बन्द किये कहा और तेज़ आवाज में दुकानदार से कहा, "अरे भाई क्या हाल हैं? जरा इन्हें एक अच्छा सा बेड दिखाओ और ठीक-ठीक लगा लेना अपना बन्दा है।"

  सुरेंद्र ने डबलबेड पसन्द कर लिया सौदा भी हो गया और बेड घर आ गया।

 कुछ दिन बाद उनका एक दोस्त दानिश उनसे मिलने आया और पूछने लगा, "अरे सुरेंद्र भाई ये बेड कितने का लाये?

 "बारह हजार का लिया यार, दुकानदार तो पन्द्रह से नीचे नहीं आ रहा था वो तो असद भाई ने उससे कहा कि अपना बन्दा है तब उसने बारह लिए।

 सुरेंद्र की बात सुनकर दानिश जोर-जोर से हँसने लगा।

 "क्या हुआ दानिश! तुम ऐसे हँस क्यों रहे हो?" सुरेंद्र ने हैरान होते हुए पूछा।

 "अपना बन्दा नहीं अपना बनता है बोला होगा असद ने, वह तो कमीशन एजेंट है बोले तो दलाल। यही बेड कल ही मैंने दस हज़ार का अपने भाई को दिलाया है। तुमसे दुकानदार ने दो हजार असद के ले लिए।

 क्या करें उसका बनता है यार...!" दानिश ने कहा और फिर और तेज़ हँसने लगा।


  ✍️ नृपेंद्र शर्मा "सागर"

  ठाकुरद्वारा 

मुरादाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की कहानी.....'तिरस्कार' ​


नेहा सजी सँवरी अपनी भाभी के कमरे में बैठी हुई थी आज पापाजी ने सख्ती से कह दिया था कि नेहा आज ऐसे रंग की साड़ी पहने जिसमें उसका रंग निखरा सा लगे क्योंकि पिछली बार जब लड़के वाले आए थे तब उसको सलवार सूट में ही दिखा दिया था जिसमें लड़के ने साफ मना कर दिया कि नेहा मोटी लग रही है .

"​नेहा ...आ गए ?"भाभी चहकते हुए कमरे में आईं .सुनकर नेहा के दिल की धड़कन और चेहरे की उदासी बढ़ गई , क्योंकि यह तीसरी दफा है उसको इस तरह से सजाकर लड़के वालों के सामने ले जाने की .

​सबका हाल बुरा था दादी ने तो गणेश जी से मन्नत मांगी थी कि आज अगर उनकी पोती पास हो गई तो सवा कुन्तल लड्डुओं का प्रसाद बांटेंगी ...और माँ ने तो साईं बाबा का उपवास भी रखना प्रारम्भ कर दिया साथ ही पिछले सोमवार से नेहा से भी सोलह सोमवार का व्रत रखवाना शुरू कर दिया था दादी ने तो .

​लड़का भी देखने आया अच्छा मोटा काला सा था लेकिन अच्छा कमा रहा था .जब फोटो देखकर माँ और नेहा की छोटी बहन ने मूँह बिगाड़ा तो दादी ने फटकार लगाई कि लड़के तो जैसे भी हों काले गोरे मोटे पतले कोई फर्क नहीं पड़ता बस संस्कारी और कमाऊ हों .

​सुनकर नेहा के मन में सवाल आया कि वह भी तो पढ़ी लिखी संस्कारी लड़की है क्या वह अच्छी नहीं है क्यों समाज द्वारा दोहरे मापदंड बनाए गए है लड़कियों और लड़कों के लिए ?

​लड़के की माँ और बहन भी आईं थीं जो बातचीत से होशियार मगर देखने में तो ठीकठाक ही थीं ,उनको देखकर पूरे घर की जान में जान आ गई कि चलो ये ज्यादा खूबसूरत नहीं तो नेहा को भी पास कर ही देंगी . पानी पीने के बाद सभी ने भर पेट नाश्ता किया मिठाई शहर के नामी हलवाई के यहां से मंगाई .

​नेहा को भीतर ही भीतर बहुत बुरा लग रहा था .दादी पापा से कह रहीं थीं कि" जैसे भी हो वैसे रिश्ता कर ही देना अपने सिक्के में ही दोष है तो भला परखने वाले का क्या दोष ?"

​खुद को खोटा सिक्का  सुनना नेहा को भीतर तक उसके अस्तित्व को झकझोर गया .

​"दादी ऐसे क्यों बोल रही हो ...दीदी में क्या कमी है ..हर काम में तो परफेक्ट हैं फिर भी ?"छोटे भाई रजत ने गुस्सा करते हुए कहा .

​"अरे चुप हो जा तू क्या किसी मोटी काली लड़की से विवाह कर लेगा ?"

​"अगर दीदी जैसी हुई तो ज़रूर l"रजत ने गुस्से से कहा l

​'"अरे जा यहां से ....l"दादी ने रजत को फटकार दिया वह बुदबुदाता चला गया गया दादी ने अपनी छड़ी दीवार से टेक दी और पापा से कहा कि यह रिश्ता होना जरूरी है बड़ी मुश्किल से उनकी भतीजी जोकि लड़के वालों के शहर में ही रहतीं हैं और लड़के की दूर की मामी हैं उन्होने कराया है l

​"हाँ अम्मा ...मगर किसी से जबरदस्ती तो नहीं कर सकते ...लड़के वालों के पता नहीं कितने भाव बड़े हुए हुए हैं ...सबके रेट फिक्स हैं पता नहीं ...पता नहीं क्या होगा इस दुनियाँ का ?"पापा ने परेशान होते हुए कहा .

​"आज कर रहा है तू बड़ी बड़ी बातें मगर योगेश की शादी के वक्त तो तूने भी खूब नखरे दिखाए थे बहु के मायके वालों को ...भूल गया क्या ..वह तो खूबसूरत भी थी ...l"

​"अरे माँ आप भी गडे  मुर्दे उखेडने बैठ गई ....l"

​"गड़े  मुर्दों से डर लगता है तो ऐसे काम ही क्यों करते हो ?"गायत्री देवी ने गुस्से से कहा l

​"गायत्री यार तुम भी ....मैं तो बड़ा परेशान हूँ l"

​"हाँ हाँ सबको अपनी परेशानी ही बड़ी लगती है .....लड़की का बाप बनते ही लाचारी और लड़के का नंबरदारी ...वाह रे वाह समाज l"

​दादी अब ज्यादा आक्रमक हो चलीं थीं .

​फिर गायत्री देवी ने दोनों को चुप कराया .

​"देख ...लड़के वालों को लालच दे दे ...एक दो लाख रुपए उनकी हैसियत से ज्यादा का तभी बात बनेगी ...l"दादी ने फुसफुसाते हुए कहा .

​"हाँ , रजत की शादी में वसूल कर लेना l"गायत्री देवी ने पति पर व्यंग तीर छोड़ा .सुनकर उनकी त्यौरियां चढ़ गयीं l

​"पापा वो लोग नेहा को बुला रहे हैं  l"योगेश ने भीतर आकर कहा l

​"अगर इस बार नेहा को फेल कर गए तो बड़ी जग हँसाई होगी l"दादी ने चिंता जाहिर की l

​नेहा की धुकधुकी दोगुनी हो गई थी .वह बहुत ही घबरा रही थी .भाभी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और कहा ..."दीदी आप घबरा रही हो ...मुझे भी बहुत डर लगा था जब आप सब लोग ....l"

​"हाँ हाँ अब आप बीती मत सुनाओ जाओ भी इसको लेकर l"दादी ने भाभी की बात को बीच में ही काट दिया l

​नेहा सिर झुकाकर चुपचाप जाकर बैठ गई थी सर्दी के मौसम में भी उसके माथे पर पसीना आ गया था , सभी उसकी ओर घूर रहे थे और आपस में

​ इशारेबाजी भी .

​देखने आई तमाम महिलाएं अध्यापक या यूँ कही हस्ताक्षर कर्ता  बन चुकीं थी उन्होने सबसे पहले चूल्हे चौके के बारे में बात की ....कौन सी डिश बना लेती है ....सिलाई कढ़ाई बुनाई से लेकर कम्पूटर तक ...ढोलक से लेकर डांस हारमोनियम और तबला तक सबके बारे में पूँछ लिया कि आता है या नहीं .

​लग रहा था मानो उनको बहु नहीं चलता फिरता रोबोट या कामवाली चाहिए थी .

​लड़के का मूँह थोड़ा सिकुड़ा हुआ था , पहले से ही भालू जैसा था अब तो लंगूर को और लपेट लिया .अरे भई मिठाई खिलाइए आनंद जी नेहा पसंद है दादी की भतीजी ने हंसकर सबकी ओर देखते हुए कहा l

​"देखिए इन्हौने कहा था कि आप बहुत अच्छे इंसान हैं इसलिए रिश्ता तो कर रहे हैं हम मगर जो तय हुआ है उसमें थोड़ी बढ़ोत्तरी कर दीजिएगा ...वो क्या है न हमारे बेटे के बहुत अच्छे अच्छे रिश्ते आ रहे हैं ...अरे भई बैंक में बाबू है बाबू l"लड़के के पिता ने बेशर्मी से कहा l

​"हाँ हाँ ....आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा l"पापा ने खुश होते हुए कहा l आखिरकार नेहा की शादी हो ही गई . पापा ने पानी की तरह पैसा बहाया .कुछ लोग कह रहे थे कि लड़की ज्यादा खूबसूरत नहीं है इसलिए इतना दिखावा किया जा रहा है .

"​भाभी बाहर आ जाइए ....आपको कोई देखने आया है ...भैया के दोस्त विमल और उनकी पत्नी रंजना l"छोटी ननद पाखी ने भीतर आकर कहा तो नेहा की तंद्रा भंग हुई वह एकदम उठी और उठकर साड़ी ठीक करने लगी .

​"भाभी जी जरा अच्छे से मेकअप कर लेना रंजना भाभी बहुत खूबसूरत हैं l"पाखी ने थोड़ा नाक सिकोड़ते हुए कहा .सुनकर नेहा को अजीब सा लगा .पूरा घर दहेज के सामान से भरा हुआ था देखकर नेहा को बुरा भी लगा कि उसके पापा ने अपनी मेहनत से कमाई जमा पूंजी से इन लोगों का घर भर दिया और और यहां का माहौल बहुत ही भारी है ...ऐसा लग रहा था कि कोई खुश नहीं है ...अभी पिछले महीने ही तो बैंक का एग्जाम दिया है उसने अभी रिजल्ट आना बाकी है .सोच रही थी कि पता नहीं आगे क्या होगा ?खैर वह तैयार होकर ड्राइंग रूम में आ गई .उसकी सास ने पहले से ही सफाई देना शुरू कर दिया .

​"भई हमारी बहु तो सांवली है ....पाखी तो कहती थी कि रंजना भाभी जैसी भाभी लाना मगर कहीं बात जमी ही नहीं, इन्ही को आना था यहां ?"सास ने नेहा कि तरफ इशारा करते हुए कहा .

​"अरे सुचित्रा तू ....?"रंजना ने आश्चर्य से नेहा का हाथ पकड़ते हुए कहा .नेहा भी खुश होकर उससे लिपट गई , सभी आश्चर्य में पड़ गए .

​"तुम जानती हो इनको ?"विमल ने पत्नी से आश्चर्य से पूँछा  .

​"हाँ भई ....एमकॉम मैने और सुचित्रा ने एक ही कॉलेज से तो किया है ...मगर ...l"

​"मगर क्या ?"सब एक साथ बोले 

​"यह टॉपर और मैं ....पासिंग मार्क्स लाने वाली ही रही ....और देखो इतना अच्छा नाम बदलकर सुचित्रा क्यों रख लिया ?"रंजना ने ठहाका लगाते हुए कहा .नेहा मुस्करा भर दी .यह ससुराल वालों की मर्जी थी कि सुचित्रा ओल्ड फैशन्ड नेम है इसलिए .कई बार तो नेहा को जब कोई आवाज देता है तो वह भूल जाती है जवाब देना .

​तभी घर पर लगा लैंड लाइन फोन घनघना उठा l

​"हाँ ...भाभी आपका फोन है l"पाखी ने नेहा को बुलाया .

​"हाँ भैया नमस्ते .....क्या ...सच ....मैं बहुत खुश हूँ भैया l"नेहा चिल्ला पड़ी वह भूल गई कि वह ससुराल में आई है .सब चौंक गए .

​"क्या हुआ ...कोई सलीका नहीं है क्या ससुराल में रहने का l"उनकी बात सुनकर रंजना भी सकपका गई .

​"वो ....मम्मी जी मेरा बैंक में नंबर आ गया है ....भैया कह रहे थे l"

​"अच्छी बात है ....इसमें इतना कूदने की क्या आवश्यकता है ....यहीं ज्वाइनिंग करवा लेना ...सुबह को काम निपटाकर चली जाया करना ."सास ने फिर मूँह बिगाड़ा .

​"जी ...जी l"

​"मुबारक हो नेहा ही ही ही सुचित्रा  ....आखिर तुमको तुम्हारी मंजिल मिल ही गई l"रंजना ने नेहा को गले से लगाते हुए कहा .

​सुबह से कमरे में न झांकने वाला सुलभ यानि उसका पति भी पास आकर बैठ गया ...दोनों हाथों में लड्डू जो थे इतना सारा दहेज और ऊपर से कमाऊ घर के कामों में दक्ष बीवी .ताना मारने को उसकी साँवली सूरत .

​लेकिन नेहा अब मन में निश्चय कर चुकी थी ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिए कि इतनी ही बुरी थी तो लालचियो शादी ही क्यों की ?उसके चेहरे की चमक बढ़ चुकी थी अब वह आत्मविश्वास के साथ सबके सवालों का जवाब दे रही थी मगर उसका दिल अब तक लोगों द्वारा किए तिरस्कार से भर उठा था .

​✍️ राशि सिंह 

​मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत 


सोमवार, 24 अप्रैल 2023

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की बाल कविता ... दादा दादी , नाना नानी

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मुरादाबाद जनपद के ठाकुरद्वारा की साहित्यकार चक्षिमा भारद्वाज ’खुशी’ की रचना

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मुरादाबाद की साहित्यकार (वर्तमान में जकार्ता इंडोनेशिया निवासी ) वैशाली रस्तोगी के 101 दोहे