नेहा सजी सँवरी अपनी भाभी के कमरे में बैठी हुई थी आज पापाजी ने सख्ती से कह दिया था कि नेहा आज ऐसे रंग की साड़ी पहने जिसमें उसका रंग निखरा सा लगे क्योंकि पिछली बार जब लड़के वाले आए थे तब उसको सलवार सूट में ही दिखा दिया था जिसमें लड़के ने साफ मना कर दिया कि नेहा मोटी लग रही है .
"नेहा ...आ गए ?"भाभी चहकते हुए कमरे में आईं .सुनकर नेहा के दिल की धड़कन और चेहरे की उदासी बढ़ गई , क्योंकि यह तीसरी दफा है उसको इस तरह से सजाकर लड़के वालों के सामने ले जाने की .
सबका हाल बुरा था दादी ने तो गणेश जी से मन्नत मांगी थी कि आज अगर उनकी पोती पास हो गई तो सवा कुन्तल लड्डुओं का प्रसाद बांटेंगी ...और माँ ने तो साईं बाबा का उपवास भी रखना प्रारम्भ कर दिया साथ ही पिछले सोमवार से नेहा से भी सोलह सोमवार का व्रत रखवाना शुरू कर दिया था दादी ने तो .
लड़का भी देखने आया अच्छा मोटा काला सा था लेकिन अच्छा कमा रहा था .जब फोटो देखकर माँ और नेहा की छोटी बहन ने मूँह बिगाड़ा तो दादी ने फटकार लगाई कि लड़के तो जैसे भी हों काले गोरे मोटे पतले कोई फर्क नहीं पड़ता बस संस्कारी और कमाऊ हों .
सुनकर नेहा के मन में सवाल आया कि वह भी तो पढ़ी लिखी संस्कारी लड़की है क्या वह अच्छी नहीं है क्यों समाज द्वारा दोहरे मापदंड बनाए गए है लड़कियों और लड़कों के लिए ?
लड़के की माँ और बहन भी आईं थीं जो बातचीत से होशियार मगर देखने में तो ठीकठाक ही थीं ,उनको देखकर पूरे घर की जान में जान आ गई कि चलो ये ज्यादा खूबसूरत नहीं तो नेहा को भी पास कर ही देंगी . पानी पीने के बाद सभी ने भर पेट नाश्ता किया मिठाई शहर के नामी हलवाई के यहां से मंगाई .
नेहा को भीतर ही भीतर बहुत बुरा लग रहा था .दादी पापा से कह रहीं थीं कि" जैसे भी हो वैसे रिश्ता कर ही देना अपने सिक्के में ही दोष है तो भला परखने वाले का क्या दोष ?"
खुद को खोटा सिक्का सुनना नेहा को भीतर तक उसके अस्तित्व को झकझोर गया .
"दादी ऐसे क्यों बोल रही हो ...दीदी में क्या कमी है ..हर काम में तो परफेक्ट हैं फिर भी ?"छोटे भाई रजत ने गुस्सा करते हुए कहा .
"अरे चुप हो जा तू क्या किसी मोटी काली लड़की से विवाह कर लेगा ?"
"अगर दीदी जैसी हुई तो ज़रूर l"रजत ने गुस्से से कहा l
'"अरे जा यहां से ....l"दादी ने रजत को फटकार दिया वह बुदबुदाता चला गया गया दादी ने अपनी छड़ी दीवार से टेक दी और पापा से कहा कि यह रिश्ता होना जरूरी है बड़ी मुश्किल से उनकी भतीजी जोकि लड़के वालों के शहर में ही रहतीं हैं और लड़के की दूर की मामी हैं उन्होने कराया है l
"हाँ अम्मा ...मगर किसी से जबरदस्ती तो नहीं कर सकते ...लड़के वालों के पता नहीं कितने भाव बड़े हुए हुए हैं ...सबके रेट फिक्स हैं पता नहीं ...पता नहीं क्या होगा इस दुनियाँ का ?"पापा ने परेशान होते हुए कहा .
"आज कर रहा है तू बड़ी बड़ी बातें मगर योगेश की शादी के वक्त तो तूने भी खूब नखरे दिखाए थे बहु के मायके वालों को ...भूल गया क्या ..वह तो खूबसूरत भी थी ...l"
"अरे माँ आप भी गडे मुर्दे उखेडने बैठ गई ....l"
"गड़े मुर्दों से डर लगता है तो ऐसे काम ही क्यों करते हो ?"गायत्री देवी ने गुस्से से कहा l
"गायत्री यार तुम भी ....मैं तो बड़ा परेशान हूँ l"
"हाँ हाँ सबको अपनी परेशानी ही बड़ी लगती है .....लड़की का बाप बनते ही लाचारी और लड़के का नंबरदारी ...वाह रे वाह समाज l"
दादी अब ज्यादा आक्रमक हो चलीं थीं .
फिर गायत्री देवी ने दोनों को चुप कराया .
"देख ...लड़के वालों को लालच दे दे ...एक दो लाख रुपए उनकी हैसियत से ज्यादा का तभी बात बनेगी ...l"दादी ने फुसफुसाते हुए कहा .
"हाँ , रजत की शादी में वसूल कर लेना l"गायत्री देवी ने पति पर व्यंग तीर छोड़ा .सुनकर उनकी त्यौरियां चढ़ गयीं l
"पापा वो लोग नेहा को बुला रहे हैं l"योगेश ने भीतर आकर कहा l
"अगर इस बार नेहा को फेल कर गए तो बड़ी जग हँसाई होगी l"दादी ने चिंता जाहिर की l
नेहा की धुकधुकी दोगुनी हो गई थी .वह बहुत ही घबरा रही थी .भाभी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और कहा ..."दीदी आप घबरा रही हो ...मुझे भी बहुत डर लगा था जब आप सब लोग ....l"
"हाँ हाँ अब आप बीती मत सुनाओ जाओ भी इसको लेकर l"दादी ने भाभी की बात को बीच में ही काट दिया l
नेहा सिर झुकाकर चुपचाप जाकर बैठ गई थी सर्दी के मौसम में भी उसके माथे पर पसीना आ गया था , सभी उसकी ओर घूर रहे थे और आपस में
इशारेबाजी भी .
देखने आई तमाम महिलाएं अध्यापक या यूँ कही हस्ताक्षर कर्ता बन चुकीं थी उन्होने सबसे पहले चूल्हे चौके के बारे में बात की ....कौन सी डिश बना लेती है ....सिलाई कढ़ाई बुनाई से लेकर कम्पूटर तक ...ढोलक से लेकर डांस हारमोनियम और तबला तक सबके बारे में पूँछ लिया कि आता है या नहीं .
लग रहा था मानो उनको बहु नहीं चलता फिरता रोबोट या कामवाली चाहिए थी .
लड़के का मूँह थोड़ा सिकुड़ा हुआ था , पहले से ही भालू जैसा था अब तो लंगूर को और लपेट लिया .अरे भई मिठाई खिलाइए आनंद जी नेहा पसंद है दादी की भतीजी ने हंसकर सबकी ओर देखते हुए कहा l
"देखिए इन्हौने कहा था कि आप बहुत अच्छे इंसान हैं इसलिए रिश्ता तो कर रहे हैं हम मगर जो तय हुआ है उसमें थोड़ी बढ़ोत्तरी कर दीजिएगा ...वो क्या है न हमारे बेटे के बहुत अच्छे अच्छे रिश्ते आ रहे हैं ...अरे भई बैंक में बाबू है बाबू l"लड़के के पिता ने बेशर्मी से कहा l
"हाँ हाँ ....आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा l"पापा ने खुश होते हुए कहा l आखिरकार नेहा की शादी हो ही गई . पापा ने पानी की तरह पैसा बहाया .कुछ लोग कह रहे थे कि लड़की ज्यादा खूबसूरत नहीं है इसलिए इतना दिखावा किया जा रहा है .
"भाभी बाहर आ जाइए ....आपको कोई देखने आया है ...भैया के दोस्त विमल और उनकी पत्नी रंजना l"छोटी ननद पाखी ने भीतर आकर कहा तो नेहा की तंद्रा भंग हुई वह एकदम उठी और उठकर साड़ी ठीक करने लगी .
"भाभी जी जरा अच्छे से मेकअप कर लेना रंजना भाभी बहुत खूबसूरत हैं l"पाखी ने थोड़ा नाक सिकोड़ते हुए कहा .सुनकर नेहा को अजीब सा लगा .पूरा घर दहेज के सामान से भरा हुआ था देखकर नेहा को बुरा भी लगा कि उसके पापा ने अपनी मेहनत से कमाई जमा पूंजी से इन लोगों का घर भर दिया और और यहां का माहौल बहुत ही भारी है ...ऐसा लग रहा था कि कोई खुश नहीं है ...अभी पिछले महीने ही तो बैंक का एग्जाम दिया है उसने अभी रिजल्ट आना बाकी है .सोच रही थी कि पता नहीं आगे क्या होगा ?खैर वह तैयार होकर ड्राइंग रूम में आ गई .उसकी सास ने पहले से ही सफाई देना शुरू कर दिया .
"भई हमारी बहु तो सांवली है ....पाखी तो कहती थी कि रंजना भाभी जैसी भाभी लाना मगर कहीं बात जमी ही नहीं, इन्ही को आना था यहां ?"सास ने नेहा कि तरफ इशारा करते हुए कहा .
"अरे सुचित्रा तू ....?"रंजना ने आश्चर्य से नेहा का हाथ पकड़ते हुए कहा .नेहा भी खुश होकर उससे लिपट गई , सभी आश्चर्य में पड़ गए .
"तुम जानती हो इनको ?"विमल ने पत्नी से आश्चर्य से पूँछा .
"हाँ भई ....एमकॉम मैने और सुचित्रा ने एक ही कॉलेज से तो किया है ...मगर ...l"
"मगर क्या ?"सब एक साथ बोले
"यह टॉपर और मैं ....पासिंग मार्क्स लाने वाली ही रही ....और देखो इतना अच्छा नाम बदलकर सुचित्रा क्यों रख लिया ?"रंजना ने ठहाका लगाते हुए कहा .नेहा मुस्करा भर दी .यह ससुराल वालों की मर्जी थी कि सुचित्रा ओल्ड फैशन्ड नेम है इसलिए .कई बार तो नेहा को जब कोई आवाज देता है तो वह भूल जाती है जवाब देना .
तभी घर पर लगा लैंड लाइन फोन घनघना उठा l
"हाँ ...भाभी आपका फोन है l"पाखी ने नेहा को बुलाया .
"हाँ भैया नमस्ते .....क्या ...सच ....मैं बहुत खुश हूँ भैया l"नेहा चिल्ला पड़ी वह भूल गई कि वह ससुराल में आई है .सब चौंक गए .
"क्या हुआ ...कोई सलीका नहीं है क्या ससुराल में रहने का l"उनकी बात सुनकर रंजना भी सकपका गई .
"वो ....मम्मी जी मेरा बैंक में नंबर आ गया है ....भैया कह रहे थे l"
"अच्छी बात है ....इसमें इतना कूदने की क्या आवश्यकता है ....यहीं ज्वाइनिंग करवा लेना ...सुबह को काम निपटाकर चली जाया करना ."सास ने फिर मूँह बिगाड़ा .
"जी ...जी l"
"मुबारक हो नेहा ही ही ही सुचित्रा ....आखिर तुमको तुम्हारी मंजिल मिल ही गई l"रंजना ने नेहा को गले से लगाते हुए कहा .
सुबह से कमरे में न झांकने वाला सुलभ यानि उसका पति भी पास आकर बैठ गया ...दोनों हाथों में लड्डू जो थे इतना सारा दहेज और ऊपर से कमाऊ घर के कामों में दक्ष बीवी .ताना मारने को उसकी साँवली सूरत .
लेकिन नेहा अब मन में निश्चय कर चुकी थी ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिए कि इतनी ही बुरी थी तो लालचियो शादी ही क्यों की ?उसके चेहरे की चमक बढ़ चुकी थी अब वह आत्मविश्वास के साथ सबके सवालों का जवाब दे रही थी मगर उसका दिल अब तक लोगों द्वारा किए तिरस्कार से भर उठा था .
✍️ राशि सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
बहुत ही रोचक कहानी
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएं