लोकतंत्र के महापर्व में,
हम आज तैयार खड़े हैं।
'वोट हमें दो'-'वोट हमें दो' ,
इसी बात पर सभी अड़े हैं।।
लेकिन आज वक्त हमारा है,
आओ मिलकर विचार करें।
जो भी ठीक लगे हमको,
उसका फिर प्रचार करें।।
जाकर स्थल मतदान के,
हाजिरी जरूर लगाना तुम।
जो भी करीब दिल के हो,
उस पर मुहर लगाना तुम।।
वरना होगा पछतावा तुमको,
मताधिकार प्रयोग न करने का।
होगा पछतावा पांच वर्ष तक,
एक गलत काम को करने का।।
मानो मेरी नेक सलाह तुम,
मत का प्रयोग जरूर करो।
मित्र-मंडली को समझाकर,
मत देने को मजबूर करो।।
✍️ अतुल कुमार शर्मा
सम्भल
उत्तर प्रदेश, भारत
बहुत सुन्दर आदरणीय
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