रविवार, 30 अप्रैल 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता .......झूठ की दुकान


आप सबकी

कृपा से श्रीमान

हमने खोल रखी है

झूठ की दुकान

हमारे पास 

एक झूठ का पुलंदा है

उसमे

तरह तरह के झूठ हैं

उनको जरूरतमंदों को

बेचना ही अपना धंधा है


सरकारी कर्मचारियों को

सच बोलने पर

छुट्टी नही मिल पाती है

किस समय

कौन सा झूठ बोला जाए

ये बात उनकी

समझ नही आती है

हम उनको

विशिष्ट झूठ 

ना केवल सप्लाई करते है

उसका पूरा रिकॉर्ड भी रखते है

घर के किस सदस्य की

मृत्यु कब और कैसे होनी है

हम सब जानते हैं

बड़े बड़े ज्योतिषी भी

हमारा लोहा मानते हैं

हम

सभी सरकारी संस्थानों से

मान्यता पाते हैं

हमारे द्वारा सत्यापित झूठ

आंख बंद कर स्वीकारे जाते हैं


ये आप सबका प्रारब्ध है

हमारे पास

पारिवारिक जीवन को

सूखी बनाने वाला

झूठ पैकेज भी उपलब्ध है

प्रेमी प्रेमिका से

चोरी छिपे मिलने जाना है

उसके लिए घर पर

कौन सा बहाना बनाना है

अपना वेतन

कैसे कम बताया जाए

कैसे यार दोस्तों के साथ

समय बिताया जाए

ये सब कुछ

विस्तार से समझाया जाता है

और शादीशुदा लोगों से

हमदर्दी जताते हुए

पचास प्रतिशत 

डिस्काउंट दिया जाता है

हमारे द्वारा बताए

झूठ की मजबूत बुनियाद पर

लाखों रिश्ते फल फूल रहे है

उनकी दुआओं से हम

सफलता के झूले में झूल रहे हैं


लेकिन 

पिछले कुछ समय से

हमारा आत्मविश्वास हिल रहा है

हमको

राजनैतिक नेताओं से

तगड़ा कंपटीशन मिल रहा है


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें