रविवार, 3 अप्रैल 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में रविवार 3 अप्रैल 2022 को आयोजित मासिक काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हिंदी साहित्य संगम'  की मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन रविवार 3 अप्रैल 2022 को मिलन विहार स्थित मिलन धर्मशाला में किया गया। 

कवयित्री इंदु रानी द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा - 

किस्मत से अपनी ऐसे हम मजबूर हो गये। 

अब खेत में अपने ही हम मजदूर हो गये।।

 मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति इस प्रकार की -

अरुण को सवेरे नमन कर रहा हूँ,

मैं उर्जित स्वयं अपना तन कर रहा हूँ।।

 सभी को खुशी का उजाला जो बांटे, 

उसे जमाने का जतन कर रहा हूँ।।

 विशिष्ट अतिथि के रूप में  विकास मुरादाबादी ने कहा -

जिससे हो वैमनस्य वो जज्बात छोड़ दो। 

बहुत हुआ अब नफरतों की बात छोड़ दो।। 

डॉ. मनोज रस्तोगी की अभिव्यक्ति इस प्रकार रही - 

राह में कभी सीधा चलना 

हमें नहीं भाता है।

हमेशा उल्टा चलना ही 

सुहाता है।

नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने वर्तमान सामाजिक परिस्थिति का चित्र कुछ इस प्रकार खींचा - 

जनता-हित के नाम पर, दिखावटी परमार्थ।

 राजनीति गढ़ती रही, कैसे-कैसे स्वार्थ ।। 

इधर भूख से चल रहा, बाहर-भीतर द्वंद्व। 

उधर नये रचती रही, राजनीति छल-छंद ।।

 कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने कहा --

बहुत व्यस्त है जन-सेवा में, हर फरमाबरदार। 

बाहर बोझा ढोती मुनिया, भीतर है त्योहार। 

कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर ने अपनी अभिव्यक्ति करते हुए कहा - 

कल सपने में आई अम्मा, पूछ रही थी हाल। 

जबसे  दुनिया गई छोड़कर,

बदले घर के ढंग। 

दीवारों को भी भाया अब, 

बँटवारे का रंग। 

सांझी छत की धूप बँट गयी, बैठक पड़ी निढाल।  

इंदु रानी की अभिव्यक्ति इस प्रकार रही - 

मिले न बगुला भक्ति से, व्यर्थ करे अभिमान। 

जे मन चंगा राखिए, ह्रदय प्रभु विद्यमान।।

जितेंद्र जौली ने हास्य-व्यंग की फुहार छोड़ी -

 हम पर सारी रात ये, करते अत्याचार। 

लगता है अब चल रही, मच्छर की सरकार।। 

राशिद मुरादाबादी ने अपने भावों को अपने अशआर में  ढाला - 

नये झगड़े नई रंजिशें ईजाद करते हैं, 

अब कहाँ इन्सां मुहब्बत की बात करते हैं। 

 रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुॅंचा।












::::::प्रस्तुति:::::

जितेंद्र जौली 

महासचिव

हिन्दी साहित्य संगम

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत


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