शनिवार, 30 अप्रैल 2022

मुरादाबाद मंडल के चन्दौसी (जनपद सम्भल) निवासी साहित्यकार रमेश अधीर की रचना ---मेरे राम

 


शांति भी है साथ मेरे

अश्रुओं का नीर भी

सृष्टि का आनंद भी है

है जगत की पीर भी

मैं अकेला चल रहा हूँ

भावना की भीड़ में

रह रहा हूँ मस्त हो कर

यातना के नीड़ में

है नहीं मुझको शिक़ायत

अब किसी के काम से

चूँकि नाता जुड़ गया है

आज मेरा राम से !

लोग कहते हैं मुझे मैं

एक कुचला फूल हूँ

दौर के दरपन पे छायी

इक अभागी धूल हूँ

मैं मगर सब अनसुनी कर

मस्त रहता हूँ सदा

पूर्ण है आराम,पर मैं

व्यस्त रहता हूँ सदा

डर नहीं लगता मुझे अब

मौत के पैग़ाम से

चूँकि नाता जुड़ गया है

आज मेरा राम से !!

इस जहाँ से उस जहाँ तक

राम का ही रूप है

राम ही तारण तरण है

राम ही भवकूप है

पूछते हैं लोग मुझसे

राम तेरा कौन है

बोलता हूँ मैं सभी से

आत्मा है, मौन है

हो गया हूँ आज परिचित

आत्मिक आराम से

चूँकि नाता जुड़ गया है

आज मेरा राम से !!!

 ✍️ रमेश 'अधीर'

चन्दौसी, जिला सम्भल

उत्तर प्रदेश, भारत

       

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