गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

वाट्सएप समूह 'जागरूकता गोष्ठी' की ओर से मुरादाबाद में रविवार 12 अप्रैल 2020 को कोरोना जागरूकता पर ऑन लाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसमें मुरादाबाद के 17 साहित्यकारों सर्वश्री अंकित गुप्ता अंक, मोनिका मासूम , मनोज मनु , मयंक शर्मा, हेमा तिवारी भट्ट , राजीव प्रखर, डॉ अर्चना गुप्ता, जिया जमीर, योगेंद्र वर्मा व्योम , डॉ पूनम बंसल, शिशुपाल सिंह मधुकर, डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ मीना नकवी, डॉ अजय अनुपम, डॉ मक्खन मुरादाबादी, मंसूर उस्मानी और यश भारती माहेश्वर तिवारी ने रचनाओं के माध्यम से कोरोना महामारी के प्रति जागरूकता का संदेश देते हुए सभी से आवश्यक निर्देशों के पालन करने की अपील की। अध्यक्षता सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने की। मुख्य अतिथि प्रख्यात शायर मंसूर उस्मानी रहे । कार्यक्रम का संचालन ग्रुप एडमिन ज़िया ज़मीर द्वारा किया गया। प्रस्तुत हैं सभी साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत रचनाएं ------


हरेक सम्त ये कैसा अज़ाब तारी है
सभो के चेहरे पे'  दहशत का रक़्स जारी है

कभी ये शह्र इक बच्चे-सा खिलखिलाता था
ये क़हक़हों के उजालों से जगमगाता था

और अब ये हाल है सन्नाटे शोर करते हैं
कभी जो भीड़ थे वो भीड़ से ही डरते हैं

खड़े हैं दूर सभी, ख़ामशी को टाँगे हुए
है एहतियात कि साया भी न साये को छुए

हवा के हाथ में पोशीदा एक ख़ंजर है
नए बदन को तरसती वबा का मंज़र है

हरेक साँस ठिठकती हुई-सी चलती है
क़ज़ा हवा का बदन ओढ़कर निकलती है

बुना है जाल ये किसने समझ नहीं आता
अब और क़ैद घरों में रहा नहीं जाता

किसी को अपनी बलन्दी पे' कुछ समझते न थे
हम अपने सामने क़ुदरत का मोल रखते न थे

पर अब यही है मुनासिब कि हम घरों में रहें
किसी शरीर की नादानियों का दर्द सहें

वैसे इस दर्द में पिन्हां हैं सबक़ जीवन का
यही है वक़्त कि सब रक्खें ध्यान प्रियजन का
   
✍️ अंकित गुप्ता 'अंक'
मुरादाबाद 244001
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हमने सीखा है मुश्क़िल हालातों में खुश होना
बंद करो यह बात-बात पर कोरोना का.. रोना

छोटा-सा यह एक वायरस
पिस्सु जैसा प्यारे
इस को मूँह लगाकर कचरा
 इज्जत का कर... ना रे

मुंह पर मास्क लगाकर निकलो
 जब भी निकलो बाहर
हाथों को हर बीस मिनट में रगड़ रगड़ कर धोना
सीखा..….....

मेहनत से यह घर जोड़ा
अब कुछ दिन घर में रह लो
 कर लो मात पिता की सेवा
 बच्चों के संग खेलो

 मन को शांत रखो , तन कस
 लो ..कर लो थोड़ी कसरत
 साफ-सफाई करके घर का स्वच्छ रखो हर कोना

  हम ही नहीं अकेले
   सारी दुनिया पर संकट है
  इतना रखो यकीन समस्या
   का समाधान निकट है

लो संकल्प ,करो सहयोग,
धरो धर्य और संयम
जीतेंगे हम एक दिन हमसे हारेगा कोरोना

 ✍️ मोनिका मासूम
मुरादाबाद 244001
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क्यों न ऐसे भी बुरी साअतें टाली जाएं,
अब दुआओं से भी तरतीब निकली जाएं,,

लाख रुपयों की दवाएं जहां न काम करें,
ग़ैर मुमकिन है दुआएं वहां खाली जाएं,,
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सोचो फिर क्या होगा भाई?
अगर जान पे खुद बन आई?

फिर इसका उपचार नहीं है,
बचें  रहे बस  यही  भलाई ,,

कोरोना  से  दम  घुटता है ,
इससे  मौत  बड़ी  दुखदाई,,

एक तरीका  इसे  मात  का,
बस  बचाव  में रखो सफाई,

बहुत ज़रूरी अगर निकलना,
फॉलो  रूल  करो सब  भाई,,

जात पात ये नहीं  देखता,
थोड़ी भी मत करो ढिलाई ,,

घर के लोग भी साथ न होंगे,
हालत   गर  संदिग्ध   बताई ,,

घर से बाहर मत ही निकलो,
जिससे  खानी  पड़े  पिटाई,,

 ✍️ मनोज 'मनु'
मुरादाबाद 244001
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 देखकर अपनी उड़ानें और सुख से प्रीत,
लांघकर भी रेख को हम थे नहीं भयभीत।

अंध मद में दौड़ते थे त्यागकर सब धीर,
सामने था, न दिखा प्रकृति के नयन का नीर।

वेदना होती मुखर तो गूंजता है नाद,
संकटों में हैं घिरे तब कर्म आये याद।

रोग ने हमको दिया है संतुलन का मंत्र,
बाह्य जीवन देखते वे और हम परतंत्र।

स्वच्छ नभ में हो रही अब लालिमा सी प्रात,
हैं विचरते मग्न होकर जीव औ जलजात।

साफ है वातावरण कोई नहीं है शोर,
कूजती कोयल बताती है कि आई भोर।

पुष्प के अधरों पर खिली मंद सी मुस्कान,
और भ्रमरा छेड़ता है प्रीत की रस तान।

नीर नदियों का हुआ है आज ऐसा शुद्ध,
देख छवियां चाँद, तारे हो रहे हैं मुग्ध।

अब बताओ कि ये विपदा, या कि है वरदान?
लुप्त होती प्रकृति को जिसने दिया सम्मान।

है समझ आया अभी तक रोग का जो सार,
चेतने से ही बचेगा यह सकल संसार।

✍️ मयंक शर्मा
मुरादाबाद 244001
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संकट की आये घड़ी,हो ना वक्त मुफीद
माँ बेटी के रूप में,नारी तब उम्मीद।।१।।

कब करना है क्या सही,समय तराजू तोल।
होशियार होता नहीं,जोखिम ले जो मोल।।२।।

जब आहट हो मौत की,रही द्वार खटकाय।
भेदभाव हर भूल के,बढ़ें सभी  समुदाय।।३।।

    *कोरोना कुण्डलिया(हास्य)*

*कोरोना* ने देख लो,क्या कर दीन्हा हाल।
हुस्न छिपा है *मास्क* में,बन्दा छोंके दाल।।
बन्दा छोंके दाल,सीन बदला है भाई।
नार करे अपलोड,मियां की साफ *सफाई*
*घर* में गूँजे गान,'सनम जी' 'बाबू' 'शोना'
रार हुई घर बंद,कि जब आया *कोरोना*।।

✍️ हेमा तिवारी भट्ट
मुरादाबाद 244001
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साफ़-सफ़ाई-चौकसी, अनुशासित व्यवहार।
कोरोना से युद्ध में, यही प्रमुख हथियार।।

जब तक ढीली हो नहीं, कोरोना की पैठ।
सबसे अच्छा है यही, जमकर घर में बैठ।।

कोरोना से जंग में, एक बड़ी दरकार।
मास्क पहन कर ही करें, घर की हद को पार।।

प्राणों पर भी खेल कर, आयी सबके काम।
वर्दी तेरे शौर्य को, बारम्बार प्रणाम।।

-✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद 24400
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कोरोना का है कहर, जूझ रहा संसार
अनजाने में हो रहे, इसके लोग शिकार

रहो बनाकर दूरियाँ, मुँह पर पहनो मास्क
कोरोना का रोकना, ऐसे हमें प्रसार

सब खुद को कर लीजिये,अपने घर में बन्द
कोरोना का बस यही,  रोकथाम उपचार

पानी को करना नहीं, है हमको बर्बाद
हाथों को ये ध्यान रख, धोना बारंबार

हाथों को बस जोड़कर,  सबको करो प्रणाम
हाथ मिलाने के नहीं,अपने हैं संस्कार

करनी है उसकी मदद, पूरा रखकर ध्यान
आसपास में गर दिखे, भूखा या बीमार

इक दूजे से दूर रह, टूटेगी जब चेन
हो जाएगी पूर्णतः, कोरोना की हार

 कोरोना ने दी दिखा, मानव की औकात
धरती नभ भी जीतकर, आज खड़ा लाचार

नीला नभ निर्मल नदी,खिली चाँदनी धूप
कोरोना का ये कहर , लाया नई बहार

कोरोना से लड़ रहे, जो भारत के वीर
साधारण मानव नहीं, ईश्वर के अवतार

कोरोना की मार ने, दिया ‘अर्चना’ वक़्त
चिंताओं को छोड़कर, खुद से कर लो प्यार

✍️ डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
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'बाहर  न  निकलो'  नारा   लगाया  भी  जाएगा
और घर में  रह के  ख़ुद को  बचाया भी जाएगा

हाथों  को   धोया  जाएगा  साबुन  से  बार-बार
'ऐसा    सभी    करें'   ये    बताया भी    जाएगा

घर  में  ही  क़ैद  रह  के  कोरोना  से  होगी जंग
अपने   वतन   से  इसको  भगाया   भी  जाएगा

वैसे   तो   घर   में  रहना  है  लेकिन,  ज़रूरतन
बाहर   गए   तो   मास्क   लगाया   भी   जाएगा

ख़ुद हल्का-फुल्का खा के गुज़र की भी जाएगी
थोड़ा  सा मुफ़लिसों को   खिलाया भी  जाएगा

किस ने ये कह दिया कि ये लाज़िम है इन दिनों
फोटो  मदद  का  सबको  दिखाया  भी  जाएगा

जी   भर   के   दोस्तों  को   लगाऐंगे  भी   गले
लोगों  से  फिर   से  हाथ  मिलाया  भी  जाएगा

कट   कर   समाज  से  है  बचाना  समाज  को
मुश्किल  ये  काम  करके  दिखाया  भी जाएगा

मालिक  ने  कुछ  दिनों  को किया है जहां-बदर
लेकिन  जहां   में   लौट  के  जाया  भी  जाएगा

हर  रोज़  कुछ न कुछ  लिखा जाएगा इन दिनों
यह    वक़्त    यादगार    बनाया    भी   जाएगा

अब  फोन  पर  ही  शेर  सुनाते  हैं  हम  'ज़िया'
महफ़िल  का  लुत्फ़  जल्द  उठाया भी  जाएगा

✍️ ज़िया ज़मीर
मुरादाबाद 244001
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एक अजब-सा डर लिखता है
रोज़ नया अध्याय

जग के सम्मुख खड़ा हुआ है
जीवन का संकट
जिसे देख विकराल हो रही
पल-पल घबराहट
कैसे सुलझे उलझी गुत्थी
सभी विवश असहाय

सड़कों पर, गलियों में, घर में
चुप्पी पसरी है
कौन करे महसूस, सभी की
पीड़ा गहरी है
सूझ रहा है नहीं किसी को
कुछ भी कहीं उपाय

आने वाले कल की चिन्ता
व्याकुल करती है
अनदेखी अनचाही दहशत
मन में भरती है
कौन भला  छल भरे समय का
समझ सका अभिप्राय

-✍️ योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
मुरादाबाद 244001
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भूल गया इंसान था कुदरत का उपकार
कुदरत ने कैसा किया  देख पलट कर वार

आपदाएं न देखतीं कौन धर्म क्या जात
कोरोना ने दिखा दी मानव को औकात

समय बड़ा बलवान है गहरा इसमें राज
महाशक्ति को ला दिया घुटनों के बल आज

मानवता की त्रासदी ना समझो परिहास
जीवन टीला रेत का करा दिया एहसास
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आओ सब मिल कर करें कोरोना पर वार
जीवन जीने का मिला सबको है अधिकार
सबको है अधिकार रखनी है सावधानी
घर में ही बस रहो बाहर न निकलो जानी
सजग नागरिक बनो आज सबको समझाओ
दूर दूर से ही करें अब नमस्ते आओ

✍️ डॉ पूनम बंसल
मुरादाबाद 244001
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     कोरोना ने कर दिया ऐसा तगड़ा वार
     सारे जग में है मचा चहुं दिश हाहाकार

      कोरोना के वार से हुए सभी लाचार
      चौपट सब धंधे हुए चौपट सब व्यापार

       दवा नहीं उपलब्ध है कोरोना की आज
    स्वयं बचाव ही है यहां इसका एक इलाज
 
      है सोशल डिस्टेंसिग करना बहुत जरूर
      कोरोना मर जाएगा खुद होकर मजबूर

     सेनीटाइजर मास्क का करिएगा उपयोग
    पास नहीं फिर आएगा कोरोना का रोग

   जाएं तो जाएं कहां दीन हीन लाचार
   उधर कोरोना घूरता इधर भूख की मार

                       कुंडलियां

सारा जग अति त्रस्त है कोरोना से आज
राजा हो या रंक हो या हो आम समाज
या हो आम समाज करो ना तुम मनमानी
 मानो वे निर्देश कहें जो इसके ज्ञानी
 जीतेंगे यह युद्ध यही संकल्प हमारा
 देखेगा प्रयास हमारे यह जग सारा
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कोरोना से है मचा चहुं दिश हाहाकार
मगर लोग कुछ देखते इसमें भी व्यापार
इसमें भी व्यापार नियंत्रण नहीं है कोई
 बने हुए हैवान यहां मानवता सोई
खुद ही करो बचाव नहीं लापरवाह होना
कई सबक सिखलाएगा यह हमें कोरोना
                     
✍️ शिशुपाल "मधुकर"
मुरादाबाद 244001
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घर से बाहर  न  निकलिए  साहिब ।
चेहरे पर मास्क लगा मिलिए साहिब ।।

अपना घर परिवार ही है जन्नत ।                      कैदखाना इसे न समझिये साहिब ।।

यह न मौका है इल्जाम लगाने का ।
कुछ दिन तो मुंह को  सिलिए साहिब ।।

कुछ गलती तेरी थी कुछ थी मेरी।
भुलाकर इसे अब चलिए साहिब।।

एक दूसरे से बनाकर रखें फासला ।
 दिल में अपने दूरी न रखिए साहिब ।।

जलाएं मोहब्बत के दिये हर तरफ ।
नफरत का जहर न भरिए साहिब ।।

हम एक थे, एक हैं, एक ही रहेंगे ।
मिलकर कोरोना से लड़िये साहिब ।।

✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822
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कोरोना की यह महामारी बहुत गम्भीर है।
सारी दुनिया में यह व्याधि काल की तस्वीर है।।

चीन और इटली ने भेजा रोग यह संसार को।
किन्तु भारत फेंक देगा उसके इस उपहार को।।

ले के आये हैं विदेशों से इसे धनवान  लोग।
निर्धनों और बेकसूरों को दिये हैं दान लोग।।

आ गया है देश में ,तो कीजिये इसका इलाज।
फ़ासला रखकर ही बच पायेगा यह सारा समाज।।

सेनिटेशन और सफाई का भी रखना ध्यान है।
घर में रहना ही इलाज इसका बडा़ आसान है।।

ये नमाज़े ,ये भजन, ये कीर्तन निज तक रखें।
हर इबादत ,और पूजा का चलन निज तक रखें।।

लाक डाउन का करें पालन कि जीवन है अमोल।
याद रखें लाक डाउन में न आये कोई झोल।।

तोड़नी ज़ंजीर इसकी हम को है हर हाल में।
वरना संभव है समायें   काल के हम गाल मे।

इस तरह हो जायेगा इस रोग का निश्चित दमन।
लड़़ रहें  हैं जो करोना युद्ध  से उनको नमन।।

वक़्त है जिन पर कठिन उन कामगारों को सलाम।
 डाक्टर , नर्सेज़, पुलिस और पत्रकारों को सलाम।।
✍️  डॉ मीना नकवी
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जो रोये वो रोये हमको
कैसा रोना
चुपके-चुपके बात फियांसी फै़न कर रहे
दिल मसोस घरवाले भी
हैं देखभर रहे
अनुपम है कोरोना की
वर्चुअल फै़न्सिंग
अच्छे दिन आयेंगे
रख सोशल डिस्टैंसिंग।

✍️ डॉ अजय अनुपम
मुरादाबाद 244001
मोबाइल फोन नंबर -९७६१३०२५७७
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             मुक्तक
        =========
बहुत काम की बेहद सस्ती ,
भिजवा दो ये बस्ती- बस्ती ।
बाप  भगेगा   कोरोना  का ,
एक डोज़  पी  देखो मस्ती ।।
----------------------------------
          पांच दोहे
       ========
खालीपन शैतान घर,
          रक्खें खुद को व्यस्त।
स्वस्थ रहें इसके लिए,
             रहिए मन से मस्त।।

सावधानियां कुछ बरत,
                घर में रहें सतर्क।
कोरोना का आप ही,
              समझो बेड़ा ग़र्क।।

समझो लाॅकडाउन को
           बढ़िया एक किताब।
हुए सभी नुकसान का,
       पढ़ - पढ़ करो हिसाब।।

चेत - चेत  चेताइये ,
          जो जन मिले अचेत।
कोरोना  से जंग में ,
             चलो चलें समवेत।।

मास्क पहर कर राखिए,
         खुद को गज भर दूर।
इतने से हो जाएगा ,
                 कोराना काफूर।।
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और अंत में--आज की बात
==================
घर  सफाई  कोरोना,
और साथ में  मास्क।
आन लाइन पूरा हुआ
घर  पर  बैठे   टास्क ।।

 ✍️ डॉ मक्खन मुरादाबादी
मुरादाबाद 244001
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बारूद के एक ढेर पे बैठी हुई दुनिया
शोलों से हिफाजत का हुनर पूछ रही है
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जिनका दस्तूर था हर रोज़ सफर में रहना
पड गया उन को भी ए दोस्तो घर में रहना
इस करोना के झमेले से निकल कर देखो
कितना दुशवार है दुनिया की नजर में रहना
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  हर रोज़ नई तरह के गम टूट रहे हैं
महसूस ये होता है कि हम टूट रहे हैं। थी जिन के इशारों पे कभी गर्दिशे दुनिया। इस दौर में उनके भी भरम टूट रहे हैं

  ✍️ मंसूर उस्मानी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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 कांपते हैं लोग
दहशत से
पास आती हुई
आहट से

एक ज़हरीली घुटन में
कैद चारों ओर
हो रहीं किलकारियां
सब आज आदमखोर
हर छुअन में दंश सर्पीला
है गुजरता सरसराहट से

थे अभी कल गीत के
जो छन्द सारे लोग
हैं धुएँ की मुट्ठियों में
बंद सारे लोग
अब तक हम सब चले आये
एक जिंदा खिलखिलाहट से

✍️  माहेश्वर तिवारी
मुरादाबाद 244001
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🏵️ प्रस्तुति : डॉ मनोज रस्तोगी
 8,जीलाल स्ट्रीट, मुरादाबाद 244001 

मुरादाबाद के साहित्यकार जिया जमीर की गजल ---- जां बचाते हुए होते हैं फ़रिश्ते भी शिकार, उफ! ये मनहूस बिमारी नहीं देखी जाती ।


मेरे   मौला   तिरी    मर्ज़ी   नहीं   देखी   जाती
ये   जो  दुनिया  है  ये  ऐसी  नहीं  देखी  जाती

जां   बचाने   के   लिए  मास्क  लगाए   हुए  हैं
लेकिन  आँखो की  ख़मोशी  नहीं  देखी  जाती

हाथ  धोने   में   कहां  कोई   क़बाहत  है  मगर
हाथ   से   हाथ   की   दूरी  नहीं    देखी  जाती

सुनी  जाती  नहीं  सड़कों  की  ये  सांय - सायं
और  ये  सुनसान  गली  भी  नहीं  देखी  जाती

ऐसा लगता  है कि  रहता  नहीं  कोई  भी  यहां
हम   से   वीरान  ये  बस्ती   नहीं  देखी   जाती

पार्क  को तकती  इन आंखों  पे तरस  आता है
नन्हीं   आंखों   की   उदासी  नहीं  देखी  जाती

डस्टबिन  में  से  जो  चुपके   से  उठा  लेता  है
बूढ़े   हाथों   में   वो   रोटी  नहीं   देखी   जाती

पिटते   मज़दूरों   के   जत्थे   नहीं  देखे   जाते
भूखे   जिस्मों  पे   ये  लाठी  नहीं  देखी  जाती

देखा जाता नहीं मय्यत की ये तदफ़ीन का ढंग
बिना   कांधे   कोई   अर्थी   नहीं   देखी  जाती

है  ये  मालूम  नहीं  इसके  सिवा  कोई  इलाज
फिर भी  मख़लूक़  ये  क़ैदी  नहीं  देखी  जाती

जां  बचाते  हुए  होते  हैं  फ़रिश्ते  भी  शिकार
उफ!  ये   मनहूस   बिमारी   नहीं  देखी   जाती

ये  नहीं  हों  तो  बपा हशर्  कभी का  हो जाए
फिर क्यूं  ख़ुश हो के ये वर्दी नहीं  देखी जाती!

  ✍️ ज़िया ज़मीर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

बुधवार, 15 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार शचीन्द्र भटनागर का गीत---- उनको नमन हमारा


मुरादाबाद के समाजसेवी गुरविंदर सिंह की रचना --- कोरोना को दूर भगाना है ...


मुरादाबाद के साहित्यकार तहसीन अहमद मुरादाबादी की रचना --- मशवरा है घरों में ही रहना । घर से बाहर फिरे है करोना ।। देश से मोदी जी ने कहा है । लॉक डाउन में सबका भला है।।


मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष हुल्लड़ मुरादाबादी की 10 गजलें --- यह गजलें उनके काव्य संग्रह "इतनी ऊंची मत छोड़ो " से ली गई हैं । इस काव्य संग्रह का प्रकाशन लगभग 24 साल पहले वर्ष 1996 में पुस्तकायन नई दिल्ली द्वारा हुआ था ।













               ::::::::::::::प्रस्तुति ::::::::::::::

               डॉ मनोज रस्तोगी
               8, जीलाल स्ट्रीट
               मुरादाबाद 244001
               उत्तर प्रदेश, भारत
               मोबाइल फोन नंबर 9456687822

मुरादाबाद के साहित्यकार एवं संगीतज्ञ अमितोष शर्मा की ग़ज़ल --- घर से बाहर कोई जब जाए तो डर लगता है


मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर का गीत --- भागेगा डर के कोरोना मगर हमें घर में ही रहना है


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की कविता ----- हाथों की सफाई


मुरादाबाद के साहित्यकार शिशुपाल सिंह मधुकर की कुंडली -- सारा जग अति त्रस्त है कोरोना से आज


मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की रचनाएं


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मुजाहिद फराज की गजल----- चलो कि डिग्रियां हम भी खरीद लाते हैं


मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की रचना---- आओ मिलकर दीया जलाएं, कोरोना को दूर भगाएं


मुरादाबाद के साहित्यकार अखिलेश वर्मा की ग़ज़ल--- लुट जाएगा यह प्यार किसी रोज देखना, तुम किसी जिंदगी की हार किसी रोज देखना


मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार मनोरमा शर्मा की रचना --- रोशनी की जंग छिड़ गई


मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार ओंकार सिंह विवेक की गजल --- सुनीं सड़कें गलियां और बाजार नहीं रहने, और बहुत दिन तक धुंधले मंजर यार नहीं रहने


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना नकवी की ग़ज़ल ---


मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार सन्तोष कुमार शुक्ल संत की रचना -- रखें लॉक डाउन में खुद को यही आज पैगाम....


मुरादाबाद की साहित्यकार इंदु रानी की रचना --लड़ करके कोरोना को भारत से भगाना है


सोमवार, 13 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष डॉ शिवनाथ अरोरा के दो गीत--- ये लिए गए हैं लगभग 56 साल पूर्व सन 1964 में हिंदी साहित्य निकेतन द्वारा प्रकाशित साझा काव्य संग्रह 'तीर और तरंग 'से। मुरादाबाद जनपद के 39 कवियों के इस काव्य संग्रह का संपादन किया था गिरिराज शरण अग्रवाल और नवल किशोर गुप्ता ने । भूमिका लिखी थी डॉ गोविंद त्रिगुणायत ने ।





              :::::::::::::::प्रस्तुति ::::::::::::::::

               डॉ मनोज रस्तोगी
               8, जीलाल स्ट्रीट
               मुरादाबाद 244001
               उत्तर प्रदेश, भारत
               मोबाइल फोन नंबर 9456687822

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी की रचना--- घर से बाहर न निकलिए साहिब। चेहरे पर लगा मास्क मिलिए साहिब।।


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की ग़ज़ल---


मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का नवगीत ----- जग के सम्मुख खड़ा हुआ है जीवन का संकट ,जिसे देख विकराल हो रही पल-पल घबराहट, कैसे सुलझे उलझी गुत्थी सभी विवश असहाय


मुरादाबाद के साहित्यकार नृपेंद्र शर्मा सागर की रचना---


मुरादाबाद मंडल के हसनपुर (जनपद अमरोहा )के साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की ग़ज़ल ---- मुझे मंदिरों में ना ढूंढ तू ,ना ही मंदिरों में तलाश कर । जरा दिल की राहों को खोल दे , मुझे अपने दिल में तलाश कर।।


मुरादाबाद मंडल के चंदौसी( जनपद संभल ) की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की रचना--कैसा यह कोरोना आया -


मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार जितेंद्र कमल आनंद की गीतिका


मुरादाबाद के साहित्यकार फक्कड़ मुरादाबादी की कविता ---- विज्ञापन


जंगल से कुछ जानवर
चल दिए जानने यह भेद
अचानक आदमी क्यों हो गया
अपने घरों में कैद
हर घर से आवाज आ रही थी
हौसला रखो बिल्कुल डरोना
दुनिया में आ गया कोरोना
कोई कह रहा था वही होगा
जो है होना
कोई कह रहा था आत्मा से
परमात्मा तक जाने का मंत्र है
कोरोना ।

वक्त हो गया था बिल्कुल अंधा
लाशों को नहीं मिल पा रहा था कंधा
दुख की घड़ी में एकता थी बेमिसाल
डॉक्टर,नर्स छोड़कर भाग रहे थे
अस्पताल
बंद पड़े मस्जिद,मंदिर और
गुरुद्वारे में सन्नाटा
सभी जानवर भौचक्के थे कि
मानवता को किसने काटा।

चीख रहे थे मीडिया और अखबार
हर तरफ हाहाकार
दिन बड़ा रात हो गई छोटी
आदमी को खाने लगी रोटी
खोने लगी जीवन की आस
दिख रहीं लाश ही लाश ।

सारा जग दहशत में आ रहा
आदमी का बनाया हथियार ही
आदमी को खा रहा
इतने पर भी नहीं संभला
तो चला जाएगा विनाश की ओर
पृथ्वी पर से ऐसा लुप्त हो जाएगा
जैसे डायनासोर
सच मानो यह ऊपर वाले के द्वारा
नीचे वाले को दिया हुआ ज्ञापन हैं
अभी तो कहानी शुरू भी नहीं हुई
यह तो मात्र विज्ञापन है ।

  ✍️ फक्कड़ मुरादाबादी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 94102-38638

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार प्रीति चौधरी की कविता---- नारी अब तो खामोशी को तोड़ो


रविवार, 12 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष गिरधर गोपाल व्यास के छह गीत--- ये गीत उनके काव्य संग्रह ' चांदनी का राग' से लिए गए हैं । उनकी यह कृति वर्ष 1996 में व्यास बन्धु प्रकाशन पचपेड़ा कटघर मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित की गई थी। इस कृति में उनकी 63 रचनाएं संग्रहीत हैं । इस कृति की भूमिका लिखी है प्रख्यात साहित्यकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने ।











            ::::::::::::::::प्रस्तुति:::::::::::::::

             डॉ मनोज रस्तोगी
             8, जीलाल स्ट्रीट
             मुरादाबाद 244001
            उत्तर प्रदेश, भारत
             मोबाइल फ़ोन नम्बर 9456687822

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली ( जनपद सम्भल ) निवासी साहित्यकार स्मृति शेष रामावतार त्यागी की पुण्यतिथि 12 अप्रैल पर डॉ मक्खन मुरादाबादी का विशेष आलेख --- पीड़ा को गीत बनाने में सिद्धहस्त साधक थे रामावतार त्यागी


      आज 12 अप्रैल , 2020 की तारीख हिन्दी साहित्य के लिए बहुत अहम है।आज की ही तारीख को 1985 में आधुनिक हिंदी गीत के शिरोमणि आदरणीय रामावतार त्यागी ने पीड़ाओं को गाते - गाते इस संसार से विदा ली थी। वह मार्च 1925 में  तत्कालीन जनपद मुरादाबाद की सम्भल तहसील ( वर्तमान जनपद )के गांव कुरकावली में जन्में थे। कुरकावली सम्भल - हसनपुर मार्ग पर नौवें माइल स्टोन पर स्थित है ।
      रामावतार त्यागी की डेढ़ दर्जन से भी अधिक सृजित कृतियां हैं। देश भर में छोटी कक्षाओं से लेकर विश्वविद्यालय - कक्षाओं तक के पाठ्यक्रमों में उनकी रचनाओं ने आदर पाया है।वह दिनकर , बच्चन , नेपाली , नरेन्द्र शर्मा , शिवमंगल सिंह सुमन , बलवीर सिंह रंग , देवराज दिनेश , वीरेन्द्र मिश्र आदि की पीढ़ी के अनूठे गीतकार हैं और इन सभी से प्रदत्त अपने अनुपम और अद्भुत होने के प्रमाण -  पत्र भी उनके ललाट पर मुकुट - रूप में  शोभायमान हैं। आधुनिक हिन्दी गीत का इतिहास भी जब  कायदे से लिखा जायेगा तो हिन्दी गीत रामावतार त्यागी के नाम से ही करवट लेता हुआ दिखाई पड़ेगा।
        शिव विष पीकर उसको कंठ ही में सोखकर नीलकंठ हो जाते हैं । निराला पीड़ाओं को बिछा - ओढ़ कर महाप्राण हो जाते हैं तो रामावतार त्यागी पीड़ाओं को दुलार - पुचकार कर उनमें ही रमकर, उन्हीं को पी - जी कर आत्मसात करके उनके साथ सोकर और जागकर पीड़ा के महागायक होकर हिन्दी गीत के महानायक होकर सामने आते हैं -
     शिशुपालसिंह ' निर्धन ' जी की पंक्तियां याद आ रही हैं -
एक पुराने दु:ख ने पूछा क्या तुम अभी वहीं रहते हो ।
उत्तर दिया चले मत आना मैंने वह घर बदल दिया है ।।
       लेकिन रामावतार त्यागी तो इससे भी बहुत आगे निकल गए हैं--
मैं न जन्म लेता तो शायद
रह जातीं विपदाएं  क्वारीं
मुझको याद नहीं है मैंने
सोकर कोई रात गुज़ारी
 
इतना ही नहीं । अपनी पीड़ाओं को ऐसा सादर सम्मान देने वाला हिन्दी साहित्य जगत में कहीं नहीं मिलने वाला --
सारी रात जागकर मन्दिर
कंचन को तन रहा बेचता
मैं पहुंचा जब दर्शन करने
तब दरवाजे बन्द हो गये ।
छल को मिली अटारी सुख की
मन को मिला  दर्द का  आंगन
नवयुग के लोभी पंचों ने
ऐसा ही कुछ किया विभाजन
शब्दों में अभिव्यक्ति देह की
सुनती रही शौक से दुनिया
मेरी पीड़ा अगर गा उठी
दूषित सारे छन्द हो गये ।
 
    रामावतार त्यागी पीड़ा को गीत बनाने में सिद्धहस्त साधक थे।ध्यान से देखेंगे तो भी पता नहीं लगा पायेंगे कि उन्होंने अपनी पीड़ा को गाया है या उनकी पीड़ा ने उनको गाया है।उनके गीतों में यह तत्त्व गहरे शोध का विषय है। उनके गीत - गीत को बार-बार पढ़ कर देखिए तो सही , आपको लगेगा कि उन्होंने जो कहा है वह संभवतः पहली - पहली बार कहा गया है। कविता में  यह आभास रचनाकार की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है जो उसे वास्तव में अप्रतिम बनाती है।
     मध्यम कद और सांवली सूरत वाला  अक्कखड़, तुनकमिजाज , बेपरवाह, शुष्क - शुष्क सा , घमंडी कहा जाने वाला आत्माभिमान से लबालब दो टूक अपने को प्रस्तुत करने वाला अजीबोगरीब यह आदमी बड़ों - बड़ों का और अपने श्रोताओं तथा पाठकों का कितना प्रिय होकर उभरा है,यह तो किसी की भी सोच के परे की स्थिति है। रामावतार त्यागी के सामने मैंने स्वयं अच्छों - अच्छों को पानी भरते देखा है।क्यों ? क्योंकि पीड़ा का यह गायक पीड़ाओं में से जीवन का  यह दर्शन भी निकालना जानता है --       
गजब का एक सन्नाटा, कहीं पत्ता नहीं हिलता
किसी कमजोर तिनके का समर्थन तक नहीं मिलता
कहीं उन्माद हंसता है कहीं उम्मीद रोती है
यहीं से,हां यहीं से ज़िन्दगी प्रारंभ होती है।
     
     रामावतार त्यागी उस उदधि के जैसे हैं जिसकी तरंग - तरंग में पीड़ा ही पीड़ा है। तरंगों का उछाल वाष्पीकृत होकर जब बादलों में तब्दील होता है तब उससे मूसलाधार पीड़ाएं बरस कर रामावतार त्यागी का गीत हो जाती हैं।उनका गीत संसार पीड़ाओं की मूसलाधार बरसात से कमाई गई खेती है।   


✍️  डॉ मक्खन मुरादाबादी
झ-28, नवीन नगर, कांठ रोड
मुरादाबाद- 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9319086769

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार त्यागी अशोक कृष्णम की कविता - खून के आंसू बहाती मानवता पर,दया करो तरस खाओ...


परम आदरणीय कोविड 19 जी!
हमारा भी भूमि पर नाक रगड़न्तु पूंछ हिलन्तु प्रणाम स्वीकारें,
मार पछाड़ हाथापाई के बीच ही, हमारी व्यथा कथा प्रार्थना पर विचारें।
प्रातः स्मरणीय आप महाशक्तिशाली महान हो,
चलता फिरता आध्यात्मिक विश्वविद्यालय शमशान हो।
माना कि आपके चाल-चरित्र और विराट व्यक्तित्व के साथ,
भूलोकवासियों ने न्याय नहीं किया है,
तो आपने भी बड़े-बड़े तीरंदाजों का चुपके से
सूपड़ा साफ किया है।
देखो तो पूरा नाम भी सम्मान से नहीं ले रहे हैं,
काेविड 19 जी को कोरोना-कोरोना चिल्लाकर,आपके कोप का शिकार हो रहे हैं।
किंतु महोदय आपकी कार्यप्रणाली में भी
 बहुत बड़ा भेद है,
लोकतांत्रिक व्यवस्था में तानाशाही का छेद है।
हमारे यहां मकान में दरवाजे खिड़कियों से पहले,तैयार  बेसमेंट होता है,
आपके यहां तारीख,ना सम्मन,ना सुनवाई,ना बहस,सीधा जजमेंट होता है।
हमारे यहां घोर शत्रु को भी संभलने का भरपूर मौका देते हैं|
हमला बोलने से पहले,तैयारियों का बिगुल फूंक देते हैं|
आपके यहां तो बड़ा ही उल्टा-पुल्टा है हिसाब-किताब|
धोखे से आदमी की नाक में घुसते हैं,यह भी कोई तरीका है साहब।
आपने हमारे चिकित्सा शास्त्र की,दी पोल-पट्टी खोल,
एक डंके में ही फोड़ दिया,हमारे हवाई दावों का ढोल।
इतना सब कुछ होने के बाद भी आपकी नियत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता,
मानवता पर आपके उपकार को कभी नहीं
भुलाया जा सकता।
हमारी आंखों पर बंधी पट्टी,एक झटके में ही खोल दी|
''माया महाठगनी हम जानी''वाली बात कानों में घोल दी।
भीड़-भाड़ से निकाल कर,सिखा दिया एकांतवास|
आदमी अकेला है दुनिया में,करा दिया एहसास।
सारी शैतानियाें,मक्कारियों पर फिर गया पानी|
अहंकारियों का हो गया काम तमाम,याद आ गई नानी।
महाराज जी आप सृष्टि के अणु-अणु में,परम सत्ता का आभास हो।
कुंठित मन की उपज एक महाभारत जैसी भड़ास हो।
हानि लाभ जीवन मरण तुम हर्ष और वियोग हो,
श्रीमद्भागवतगीता की कार्यशाला,आप महाप्रयोग हो।
आपका संदेश  प्राप्त हुआ,अब स्वयं विसर्जित हो जाओ,
खून के आंसू बहाती मानवता पर,दया करो तरस खाओ।

     ✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
          कुरकावली संभल
           उत्तर प्रदेश, भारत
           मोबाइल फोन नंबर 9719059703

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का गीत --- पतझड़ आया है आए , आशा मधुमास न छोड़ो


मुरादाबाद मंडल के चन्दौसी,जनपद सम्भल ( वर्तमान में अलीगढ़ निवासी ) के साहित्यकार लव कुमार प्रणय की गजलें ---


शनिवार, 11 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार स्मृति शेष दिवाकर राही की कुछ रचनाएँ ---- ये ली गई हैं उनकी कृति गुलदस्ता से । इसका प्रकाशन मानव साहित्य सदन द्वारा हुआ था ।










         ::::::::::::::::प्रस्तुति:::::::::::::::::::::
     
         डॉ मनोज रस्तोगी
         8, जीलाल स्ट्रीट
         मुरादाबाद 244001
         उत्तर प्रदेश, भारत
         मोबाइल फोन नंबर 9456687822

मुरादाबाद के साहित्यकार श्याम सुंदर भाटिया की लघुकथा ----नि:शब्द



हिंदी के प्रो. राम नारायण त्रिपाठी को उनके सहपाठी और चेले पीठ पीछे प्रो.बक - बक त्रिपाठी कहते ... प्रो.त्रिपाठी के समृद्ध शब्दों के भंडार का कोई सानी नहीं था...लेकिन सवालों का पिटारा शब्द भंडार से भी संपन्न... कोरोना के चलते लाकडाउन तो बहाना था...बतियाने को किसी न किसी की रोज दरकार रहती... श्रीमती के इशारे पर तपाक से प्रो. त्रिपाठी मास्क लगाकर सब्जी खरीदने पहुंच गए...सोशल   डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए व्हाइट सर्किल में अनुशासित मुद्रा में खड़े होकर अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे...नंबर आते ही बाबू ने सवाल दागा...क्या - क्या दे दें प्रोफेसर साहिब... सवाल पूर्ण होने से पहले ही धारा प्रवाह  बोलना शुरु कर दिया... गोभी क्या रेट है...खराब तो नहीं...नहीं साहिब...बाबू ने रिस्पॉन्ड  किया... प्रो. त्रिपाठी बोले,क्या गारंटी है...बताओ... टमाटर, आलू,प्याज, लौकी से लेकर बैंगन,धनिया, पुदीना होते हुए खरबूजे और तरबूज तक पहुंच गए... प्रो. आदतन दो ही सवाल करते ...क्या रेट...और क्या  गारंटी...20 मिनट हो गए और व्हाइट सर्किल में कतार और लंबी हो गई तो प्रो. त्रिपाठी से बाबू ने थोड़ा रफ लहजे में कहा...आपसे भी साहिब हम एक सवाल पूछ लेता हूं...आप तो बड़ी क्लास के टीचर...पूरी दुनिया और उसके कायदे जानते हो ... हां ... हां ... बोलो ना... प्रो.साहब ने सोचा...ससुर क्या पूछेगा...   कोरोना महामारी से कब मुक्ति मिलेगी...या...यूनिवर्सिटी कब खुलेगी...वगैरह...वगैरह...आप हर सब्जी और फल की गारंटी तो पूछ रहे हो... प्रो.साहिब इंसान की भी आज कोई गारंटी है क्या...यह सुनते ही प्रोफेसर त्रिपाठी  नि:शब्द हो गए... आनन - फानन में एक झ्टके में थैला उठाया और घर की ओर तेज - तेज कदमों से कूच कर गए...                                     
                                                
✍️  श्याम सुंदर भाटिया 
 विभागाध्यक्ष
पत्रकारिता कॉलेज, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 7500200085

मुरादाबाद के समाजसेवी गुरविंदर सिंह की रचना ---कोरोना वायरस को मार भगाना है ....