रविवार, 12 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार त्यागी अशोक कृष्णम की कविता - खून के आंसू बहाती मानवता पर,दया करो तरस खाओ...


परम आदरणीय कोविड 19 जी!
हमारा भी भूमि पर नाक रगड़न्तु पूंछ हिलन्तु प्रणाम स्वीकारें,
मार पछाड़ हाथापाई के बीच ही, हमारी व्यथा कथा प्रार्थना पर विचारें।
प्रातः स्मरणीय आप महाशक्तिशाली महान हो,
चलता फिरता आध्यात्मिक विश्वविद्यालय शमशान हो।
माना कि आपके चाल-चरित्र और विराट व्यक्तित्व के साथ,
भूलोकवासियों ने न्याय नहीं किया है,
तो आपने भी बड़े-बड़े तीरंदाजों का चुपके से
सूपड़ा साफ किया है।
देखो तो पूरा नाम भी सम्मान से नहीं ले रहे हैं,
काेविड 19 जी को कोरोना-कोरोना चिल्लाकर,आपके कोप का शिकार हो रहे हैं।
किंतु महोदय आपकी कार्यप्रणाली में भी
 बहुत बड़ा भेद है,
लोकतांत्रिक व्यवस्था में तानाशाही का छेद है।
हमारे यहां मकान में दरवाजे खिड़कियों से पहले,तैयार  बेसमेंट होता है,
आपके यहां तारीख,ना सम्मन,ना सुनवाई,ना बहस,सीधा जजमेंट होता है।
हमारे यहां घोर शत्रु को भी संभलने का भरपूर मौका देते हैं|
हमला बोलने से पहले,तैयारियों का बिगुल फूंक देते हैं|
आपके यहां तो बड़ा ही उल्टा-पुल्टा है हिसाब-किताब|
धोखे से आदमी की नाक में घुसते हैं,यह भी कोई तरीका है साहब।
आपने हमारे चिकित्सा शास्त्र की,दी पोल-पट्टी खोल,
एक डंके में ही फोड़ दिया,हमारे हवाई दावों का ढोल।
इतना सब कुछ होने के बाद भी आपकी नियत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता,
मानवता पर आपके उपकार को कभी नहीं
भुलाया जा सकता।
हमारी आंखों पर बंधी पट्टी,एक झटके में ही खोल दी|
''माया महाठगनी हम जानी''वाली बात कानों में घोल दी।
भीड़-भाड़ से निकाल कर,सिखा दिया एकांतवास|
आदमी अकेला है दुनिया में,करा दिया एहसास।
सारी शैतानियाें,मक्कारियों पर फिर गया पानी|
अहंकारियों का हो गया काम तमाम,याद आ गई नानी।
महाराज जी आप सृष्टि के अणु-अणु में,परम सत्ता का आभास हो।
कुंठित मन की उपज एक महाभारत जैसी भड़ास हो।
हानि लाभ जीवन मरण तुम हर्ष और वियोग हो,
श्रीमद्भागवतगीता की कार्यशाला,आप महाप्रयोग हो।
आपका संदेश  प्राप्त हुआ,अब स्वयं विसर्जित हो जाओ,
खून के आंसू बहाती मानवता पर,दया करो तरस खाओ।

     ✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
          कुरकावली संभल
           उत्तर प्रदेश, भारत
           मोबाइल फोन नंबर 9719059703

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें