गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

वाट्सएप समूह 'जागरूकता गोष्ठी' की ओर से मुरादाबाद में रविवार 12 अप्रैल 2020 को कोरोना जागरूकता पर ऑन लाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसमें मुरादाबाद के 17 साहित्यकारों सर्वश्री अंकित गुप्ता अंक, मोनिका मासूम , मनोज मनु , मयंक शर्मा, हेमा तिवारी भट्ट , राजीव प्रखर, डॉ अर्चना गुप्ता, जिया जमीर, योगेंद्र वर्मा व्योम , डॉ पूनम बंसल, शिशुपाल सिंह मधुकर, डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ मीना नकवी, डॉ अजय अनुपम, डॉ मक्खन मुरादाबादी, मंसूर उस्मानी और यश भारती माहेश्वर तिवारी ने रचनाओं के माध्यम से कोरोना महामारी के प्रति जागरूकता का संदेश देते हुए सभी से आवश्यक निर्देशों के पालन करने की अपील की। अध्यक्षता सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने की। मुख्य अतिथि प्रख्यात शायर मंसूर उस्मानी रहे । कार्यक्रम का संचालन ग्रुप एडमिन ज़िया ज़मीर द्वारा किया गया। प्रस्तुत हैं सभी साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत रचनाएं ------


हरेक सम्त ये कैसा अज़ाब तारी है
सभो के चेहरे पे'  दहशत का रक़्स जारी है

कभी ये शह्र इक बच्चे-सा खिलखिलाता था
ये क़हक़हों के उजालों से जगमगाता था

और अब ये हाल है सन्नाटे शोर करते हैं
कभी जो भीड़ थे वो भीड़ से ही डरते हैं

खड़े हैं दूर सभी, ख़ामशी को टाँगे हुए
है एहतियात कि साया भी न साये को छुए

हवा के हाथ में पोशीदा एक ख़ंजर है
नए बदन को तरसती वबा का मंज़र है

हरेक साँस ठिठकती हुई-सी चलती है
क़ज़ा हवा का बदन ओढ़कर निकलती है

बुना है जाल ये किसने समझ नहीं आता
अब और क़ैद घरों में रहा नहीं जाता

किसी को अपनी बलन्दी पे' कुछ समझते न थे
हम अपने सामने क़ुदरत का मोल रखते न थे

पर अब यही है मुनासिब कि हम घरों में रहें
किसी शरीर की नादानियों का दर्द सहें

वैसे इस दर्द में पिन्हां हैं सबक़ जीवन का
यही है वक़्त कि सब रक्खें ध्यान प्रियजन का
   
✍️ अंकित गुप्ता 'अंक'
मुरादाबाद 244001
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हमने सीखा है मुश्क़िल हालातों में खुश होना
बंद करो यह बात-बात पर कोरोना का.. रोना

छोटा-सा यह एक वायरस
पिस्सु जैसा प्यारे
इस को मूँह लगाकर कचरा
 इज्जत का कर... ना रे

मुंह पर मास्क लगाकर निकलो
 जब भी निकलो बाहर
हाथों को हर बीस मिनट में रगड़ रगड़ कर धोना
सीखा..….....

मेहनत से यह घर जोड़ा
अब कुछ दिन घर में रह लो
 कर लो मात पिता की सेवा
 बच्चों के संग खेलो

 मन को शांत रखो , तन कस
 लो ..कर लो थोड़ी कसरत
 साफ-सफाई करके घर का स्वच्छ रखो हर कोना

  हम ही नहीं अकेले
   सारी दुनिया पर संकट है
  इतना रखो यकीन समस्या
   का समाधान निकट है

लो संकल्प ,करो सहयोग,
धरो धर्य और संयम
जीतेंगे हम एक दिन हमसे हारेगा कोरोना

 ✍️ मोनिका मासूम
मुरादाबाद 244001
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क्यों न ऐसे भी बुरी साअतें टाली जाएं,
अब दुआओं से भी तरतीब निकली जाएं,,

लाख रुपयों की दवाएं जहां न काम करें,
ग़ैर मुमकिन है दुआएं वहां खाली जाएं,,
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सोचो फिर क्या होगा भाई?
अगर जान पे खुद बन आई?

फिर इसका उपचार नहीं है,
बचें  रहे बस  यही  भलाई ,,

कोरोना  से  दम  घुटता है ,
इससे  मौत  बड़ी  दुखदाई,,

एक तरीका  इसे  मात  का,
बस  बचाव  में रखो सफाई,

बहुत ज़रूरी अगर निकलना,
फॉलो  रूल  करो सब  भाई,,

जात पात ये नहीं  देखता,
थोड़ी भी मत करो ढिलाई ,,

घर के लोग भी साथ न होंगे,
हालत   गर  संदिग्ध   बताई ,,

घर से बाहर मत ही निकलो,
जिससे  खानी  पड़े  पिटाई,,

 ✍️ मनोज 'मनु'
मुरादाबाद 244001
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 देखकर अपनी उड़ानें और सुख से प्रीत,
लांघकर भी रेख को हम थे नहीं भयभीत।

अंध मद में दौड़ते थे त्यागकर सब धीर,
सामने था, न दिखा प्रकृति के नयन का नीर।

वेदना होती मुखर तो गूंजता है नाद,
संकटों में हैं घिरे तब कर्म आये याद।

रोग ने हमको दिया है संतुलन का मंत्र,
बाह्य जीवन देखते वे और हम परतंत्र।

स्वच्छ नभ में हो रही अब लालिमा सी प्रात,
हैं विचरते मग्न होकर जीव औ जलजात।

साफ है वातावरण कोई नहीं है शोर,
कूजती कोयल बताती है कि आई भोर।

पुष्प के अधरों पर खिली मंद सी मुस्कान,
और भ्रमरा छेड़ता है प्रीत की रस तान।

नीर नदियों का हुआ है आज ऐसा शुद्ध,
देख छवियां चाँद, तारे हो रहे हैं मुग्ध।

अब बताओ कि ये विपदा, या कि है वरदान?
लुप्त होती प्रकृति को जिसने दिया सम्मान।

है समझ आया अभी तक रोग का जो सार,
चेतने से ही बचेगा यह सकल संसार।

✍️ मयंक शर्मा
मुरादाबाद 244001
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संकट की आये घड़ी,हो ना वक्त मुफीद
माँ बेटी के रूप में,नारी तब उम्मीद।।१।।

कब करना है क्या सही,समय तराजू तोल।
होशियार होता नहीं,जोखिम ले जो मोल।।२।।

जब आहट हो मौत की,रही द्वार खटकाय।
भेदभाव हर भूल के,बढ़ें सभी  समुदाय।।३।।

    *कोरोना कुण्डलिया(हास्य)*

*कोरोना* ने देख लो,क्या कर दीन्हा हाल।
हुस्न छिपा है *मास्क* में,बन्दा छोंके दाल।।
बन्दा छोंके दाल,सीन बदला है भाई।
नार करे अपलोड,मियां की साफ *सफाई*
*घर* में गूँजे गान,'सनम जी' 'बाबू' 'शोना'
रार हुई घर बंद,कि जब आया *कोरोना*।।

✍️ हेमा तिवारी भट्ट
मुरादाबाद 244001
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साफ़-सफ़ाई-चौकसी, अनुशासित व्यवहार।
कोरोना से युद्ध में, यही प्रमुख हथियार।।

जब तक ढीली हो नहीं, कोरोना की पैठ।
सबसे अच्छा है यही, जमकर घर में बैठ।।

कोरोना से जंग में, एक बड़ी दरकार।
मास्क पहन कर ही करें, घर की हद को पार।।

प्राणों पर भी खेल कर, आयी सबके काम।
वर्दी तेरे शौर्य को, बारम्बार प्रणाम।।

-✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद 24400
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कोरोना का है कहर, जूझ रहा संसार
अनजाने में हो रहे, इसके लोग शिकार

रहो बनाकर दूरियाँ, मुँह पर पहनो मास्क
कोरोना का रोकना, ऐसे हमें प्रसार

सब खुद को कर लीजिये,अपने घर में बन्द
कोरोना का बस यही,  रोकथाम उपचार

पानी को करना नहीं, है हमको बर्बाद
हाथों को ये ध्यान रख, धोना बारंबार

हाथों को बस जोड़कर,  सबको करो प्रणाम
हाथ मिलाने के नहीं,अपने हैं संस्कार

करनी है उसकी मदद, पूरा रखकर ध्यान
आसपास में गर दिखे, भूखा या बीमार

इक दूजे से दूर रह, टूटेगी जब चेन
हो जाएगी पूर्णतः, कोरोना की हार

 कोरोना ने दी दिखा, मानव की औकात
धरती नभ भी जीतकर, आज खड़ा लाचार

नीला नभ निर्मल नदी,खिली चाँदनी धूप
कोरोना का ये कहर , लाया नई बहार

कोरोना से लड़ रहे, जो भारत के वीर
साधारण मानव नहीं, ईश्वर के अवतार

कोरोना की मार ने, दिया ‘अर्चना’ वक़्त
चिंताओं को छोड़कर, खुद से कर लो प्यार

✍️ डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
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'बाहर  न  निकलो'  नारा   लगाया  भी  जाएगा
और घर में  रह के  ख़ुद को  बचाया भी जाएगा

हाथों  को   धोया  जाएगा  साबुन  से  बार-बार
'ऐसा    सभी    करें'   ये    बताया भी    जाएगा

घर  में  ही  क़ैद  रह  के  कोरोना  से  होगी जंग
अपने   वतन   से  इसको  भगाया   भी  जाएगा

वैसे   तो   घर   में  रहना  है  लेकिन,  ज़रूरतन
बाहर   गए   तो   मास्क   लगाया   भी   जाएगा

ख़ुद हल्का-फुल्का खा के गुज़र की भी जाएगी
थोड़ा  सा मुफ़लिसों को   खिलाया भी  जाएगा

किस ने ये कह दिया कि ये लाज़िम है इन दिनों
फोटो  मदद  का  सबको  दिखाया  भी  जाएगा

जी   भर   के   दोस्तों  को   लगाऐंगे  भी   गले
लोगों  से  फिर   से  हाथ  मिलाया  भी  जाएगा

कट   कर   समाज  से  है  बचाना  समाज  को
मुश्किल  ये  काम  करके  दिखाया  भी जाएगा

मालिक  ने  कुछ  दिनों  को किया है जहां-बदर
लेकिन  जहां   में   लौट  के  जाया  भी  जाएगा

हर  रोज़  कुछ न कुछ  लिखा जाएगा इन दिनों
यह    वक़्त    यादगार    बनाया    भी   जाएगा

अब  फोन  पर  ही  शेर  सुनाते  हैं  हम  'ज़िया'
महफ़िल  का  लुत्फ़  जल्द  उठाया भी  जाएगा

✍️ ज़िया ज़मीर
मुरादाबाद 244001
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एक अजब-सा डर लिखता है
रोज़ नया अध्याय

जग के सम्मुख खड़ा हुआ है
जीवन का संकट
जिसे देख विकराल हो रही
पल-पल घबराहट
कैसे सुलझे उलझी गुत्थी
सभी विवश असहाय

सड़कों पर, गलियों में, घर में
चुप्पी पसरी है
कौन करे महसूस, सभी की
पीड़ा गहरी है
सूझ रहा है नहीं किसी को
कुछ भी कहीं उपाय

आने वाले कल की चिन्ता
व्याकुल करती है
अनदेखी अनचाही दहशत
मन में भरती है
कौन भला  छल भरे समय का
समझ सका अभिप्राय

-✍️ योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
मुरादाबाद 244001
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भूल गया इंसान था कुदरत का उपकार
कुदरत ने कैसा किया  देख पलट कर वार

आपदाएं न देखतीं कौन धर्म क्या जात
कोरोना ने दिखा दी मानव को औकात

समय बड़ा बलवान है गहरा इसमें राज
महाशक्ति को ला दिया घुटनों के बल आज

मानवता की त्रासदी ना समझो परिहास
जीवन टीला रेत का करा दिया एहसास
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आओ सब मिल कर करें कोरोना पर वार
जीवन जीने का मिला सबको है अधिकार
सबको है अधिकार रखनी है सावधानी
घर में ही बस रहो बाहर न निकलो जानी
सजग नागरिक बनो आज सबको समझाओ
दूर दूर से ही करें अब नमस्ते आओ

✍️ डॉ पूनम बंसल
मुरादाबाद 244001
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     कोरोना ने कर दिया ऐसा तगड़ा वार
     सारे जग में है मचा चहुं दिश हाहाकार

      कोरोना के वार से हुए सभी लाचार
      चौपट सब धंधे हुए चौपट सब व्यापार

       दवा नहीं उपलब्ध है कोरोना की आज
    स्वयं बचाव ही है यहां इसका एक इलाज
 
      है सोशल डिस्टेंसिग करना बहुत जरूर
      कोरोना मर जाएगा खुद होकर मजबूर

     सेनीटाइजर मास्क का करिएगा उपयोग
    पास नहीं फिर आएगा कोरोना का रोग

   जाएं तो जाएं कहां दीन हीन लाचार
   उधर कोरोना घूरता इधर भूख की मार

                       कुंडलियां

सारा जग अति त्रस्त है कोरोना से आज
राजा हो या रंक हो या हो आम समाज
या हो आम समाज करो ना तुम मनमानी
 मानो वे निर्देश कहें जो इसके ज्ञानी
 जीतेंगे यह युद्ध यही संकल्प हमारा
 देखेगा प्रयास हमारे यह जग सारा
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कोरोना से है मचा चहुं दिश हाहाकार
मगर लोग कुछ देखते इसमें भी व्यापार
इसमें भी व्यापार नियंत्रण नहीं है कोई
 बने हुए हैवान यहां मानवता सोई
खुद ही करो बचाव नहीं लापरवाह होना
कई सबक सिखलाएगा यह हमें कोरोना
                     
✍️ शिशुपाल "मधुकर"
मुरादाबाद 244001
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घर से बाहर  न  निकलिए  साहिब ।
चेहरे पर मास्क लगा मिलिए साहिब ।।

अपना घर परिवार ही है जन्नत ।                      कैदखाना इसे न समझिये साहिब ।।

यह न मौका है इल्जाम लगाने का ।
कुछ दिन तो मुंह को  सिलिए साहिब ।।

कुछ गलती तेरी थी कुछ थी मेरी।
भुलाकर इसे अब चलिए साहिब।।

एक दूसरे से बनाकर रखें फासला ।
 दिल में अपने दूरी न रखिए साहिब ।।

जलाएं मोहब्बत के दिये हर तरफ ।
नफरत का जहर न भरिए साहिब ।।

हम एक थे, एक हैं, एक ही रहेंगे ।
मिलकर कोरोना से लड़िये साहिब ।।

✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822
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कोरोना की यह महामारी बहुत गम्भीर है।
सारी दुनिया में यह व्याधि काल की तस्वीर है।।

चीन और इटली ने भेजा रोग यह संसार को।
किन्तु भारत फेंक देगा उसके इस उपहार को।।

ले के आये हैं विदेशों से इसे धनवान  लोग।
निर्धनों और बेकसूरों को दिये हैं दान लोग।।

आ गया है देश में ,तो कीजिये इसका इलाज।
फ़ासला रखकर ही बच पायेगा यह सारा समाज।।

सेनिटेशन और सफाई का भी रखना ध्यान है।
घर में रहना ही इलाज इसका बडा़ आसान है।।

ये नमाज़े ,ये भजन, ये कीर्तन निज तक रखें।
हर इबादत ,और पूजा का चलन निज तक रखें।।

लाक डाउन का करें पालन कि जीवन है अमोल।
याद रखें लाक डाउन में न आये कोई झोल।।

तोड़नी ज़ंजीर इसकी हम को है हर हाल में।
वरना संभव है समायें   काल के हम गाल मे।

इस तरह हो जायेगा इस रोग का निश्चित दमन।
लड़़ रहें  हैं जो करोना युद्ध  से उनको नमन।।

वक़्त है जिन पर कठिन उन कामगारों को सलाम।
 डाक्टर , नर्सेज़, पुलिस और पत्रकारों को सलाम।।
✍️  डॉ मीना नकवी
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जो रोये वो रोये हमको
कैसा रोना
चुपके-चुपके बात फियांसी फै़न कर रहे
दिल मसोस घरवाले भी
हैं देखभर रहे
अनुपम है कोरोना की
वर्चुअल फै़न्सिंग
अच्छे दिन आयेंगे
रख सोशल डिस्टैंसिंग।

✍️ डॉ अजय अनुपम
मुरादाबाद 244001
मोबाइल फोन नंबर -९७६१३०२५७७
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             मुक्तक
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बहुत काम की बेहद सस्ती ,
भिजवा दो ये बस्ती- बस्ती ।
बाप  भगेगा   कोरोना  का ,
एक डोज़  पी  देखो मस्ती ।।
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          पांच दोहे
       ========
खालीपन शैतान घर,
          रक्खें खुद को व्यस्त।
स्वस्थ रहें इसके लिए,
             रहिए मन से मस्त।।

सावधानियां कुछ बरत,
                घर में रहें सतर्क।
कोरोना का आप ही,
              समझो बेड़ा ग़र्क।।

समझो लाॅकडाउन को
           बढ़िया एक किताब।
हुए सभी नुकसान का,
       पढ़ - पढ़ करो हिसाब।।

चेत - चेत  चेताइये ,
          जो जन मिले अचेत।
कोरोना  से जंग में ,
             चलो चलें समवेत।।

मास्क पहर कर राखिए,
         खुद को गज भर दूर।
इतने से हो जाएगा ,
                 कोराना काफूर।।
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और अंत में--आज की बात
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घर  सफाई  कोरोना,
और साथ में  मास्क।
आन लाइन पूरा हुआ
घर  पर  बैठे   टास्क ।।

 ✍️ डॉ मक्खन मुरादाबादी
मुरादाबाद 244001
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बारूद के एक ढेर पे बैठी हुई दुनिया
शोलों से हिफाजत का हुनर पूछ रही है
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जिनका दस्तूर था हर रोज़ सफर में रहना
पड गया उन को भी ए दोस्तो घर में रहना
इस करोना के झमेले से निकल कर देखो
कितना दुशवार है दुनिया की नजर में रहना
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  हर रोज़ नई तरह के गम टूट रहे हैं
महसूस ये होता है कि हम टूट रहे हैं। थी जिन के इशारों पे कभी गर्दिशे दुनिया। इस दौर में उनके भी भरम टूट रहे हैं

  ✍️ मंसूर उस्मानी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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 कांपते हैं लोग
दहशत से
पास आती हुई
आहट से

एक ज़हरीली घुटन में
कैद चारों ओर
हो रहीं किलकारियां
सब आज आदमखोर
हर छुअन में दंश सर्पीला
है गुजरता सरसराहट से

थे अभी कल गीत के
जो छन्द सारे लोग
हैं धुएँ की मुट्ठियों में
बंद सारे लोग
अब तक हम सब चले आये
एक जिंदा खिलखिलाहट से

✍️  माहेश्वर तिवारी
मुरादाबाद 244001
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🏵️ प्रस्तुति : डॉ मनोज रस्तोगी
 8,जीलाल स्ट्रीट, मुरादाबाद 244001 

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