सोमवार, 13 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार फक्कड़ मुरादाबादी की कविता ---- विज्ञापन


जंगल से कुछ जानवर
चल दिए जानने यह भेद
अचानक आदमी क्यों हो गया
अपने घरों में कैद
हर घर से आवाज आ रही थी
हौसला रखो बिल्कुल डरोना
दुनिया में आ गया कोरोना
कोई कह रहा था वही होगा
जो है होना
कोई कह रहा था आत्मा से
परमात्मा तक जाने का मंत्र है
कोरोना ।

वक्त हो गया था बिल्कुल अंधा
लाशों को नहीं मिल पा रहा था कंधा
दुख की घड़ी में एकता थी बेमिसाल
डॉक्टर,नर्स छोड़कर भाग रहे थे
अस्पताल
बंद पड़े मस्जिद,मंदिर और
गुरुद्वारे में सन्नाटा
सभी जानवर भौचक्के थे कि
मानवता को किसने काटा।

चीख रहे थे मीडिया और अखबार
हर तरफ हाहाकार
दिन बड़ा रात हो गई छोटी
आदमी को खाने लगी रोटी
खोने लगी जीवन की आस
दिख रहीं लाश ही लाश ।

सारा जग दहशत में आ रहा
आदमी का बनाया हथियार ही
आदमी को खा रहा
इतने पर भी नहीं संभला
तो चला जाएगा विनाश की ओर
पृथ्वी पर से ऐसा लुप्त हो जाएगा
जैसे डायनासोर
सच मानो यह ऊपर वाले के द्वारा
नीचे वाले को दिया हुआ ज्ञापन हैं
अभी तो कहानी शुरू भी नहीं हुई
यह तो मात्र विज्ञापन है ।

  ✍️ फक्कड़ मुरादाबादी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 94102-38638

1 टिप्पणी:

  1. सामयिक व्यंग रचना
    बहुत बहुत बधाई फक्कड़ जी

    डॉ पुनीत कुमार

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