सोमवार, 23 मार्च 2020

वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में रविवार 22 मार्च 2020 को आयोजित 194 वें वाट्स एप कविसम्मेलन एवं मुशायरे में 32 साहित्यकारों सर्वश्री राजीव प्रखर जी, वीरेंद्र सिंह बृजवासी जी, मुजाहिद चौधरी जी, रवि प्रकाश जी, ओंकार सिंह विवेक जी, इंदु रानी जी, नवाज अनवर खान जी, मीनाक्षी ठाकुर जी,कंचन खन्ना जी, नृपेंद्र शर्मा सागर जी, डॉ रीता सिंह जी, आमोद कुमार जी, संतोष कुमार शुक्ल जी, डॉ मक्खन मुरादाबादी जी, डॉ ममता सिंह जी, अशोक विद्रोही जी, शिशुपाल सिंह मधुकर जी, आदर्श भटनागर जी, डॉ पूनम बंसल जी, डॉ अर्चना गुप्ता जी, सीमा रानी जी, मनोरमा शर्मा जी, हेमा तिवारी भट्ट जी, डॉ मीरा कश्यप जी, मोनिका शर्मा मासूम जी, अभिषेक रुहेला जी, मनोज मनु जी, राशिद मुरादाबादी जी,श्री कृष्ण शुक्ल जी, डॉ प्रीति हुंकार जी, अखिलेश वर्मा जी और डॉ मनोज रस्तोगी ने अपनी हस्तलिपि में अपनी रचना साझा कीं .....




































मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कविता -- सैनिटाइज़

अमीरों की बीमारी ने छीन लिया
निवाला गरीबों का..
बुझ गये चूल्हे
रामधन और मुनिया के।
सोच रहे हैं.....
झोंपड़ी के तिनको को
शायद सैनिटाइज़
करने की ज़रूरत तो नहीं ...।
देहातियों को हिकारत से देखने वाले
बड़े लोग...
रखे जा रहे हैं
एकांतवास में..
समाज से पृथक,
क्योंकि... वो ऊँचे लोग हैं।
उन्हें प्रारम्भ से ही अकेला पन भाता
आया है।
अब लौट रहे है
वतन को
विदेश से...,
क्या वतन की याद आयी है
या कुछ और है....?
वातानुकूलित कमरों में रहने वाले
अचानक ही चाहने लगे
तपती जेठ की दुपहरियां
गँवार लोग सहमे हैं
पूछते हैं वैद्य जी से,
"ई अमीरों का खाँसी जुकाम भी
अलग होत  है का?"
खेतों में हल चलाता बुधिया पूछता है..
"ई ढोरों से दूर कैसन रहत बा...?
निशब्दः समाज..!!!
नाइट क्लबों में देर रात तक जागते युगल
अब कहाँ है?
सम्भवतः अनुशासन में रहेंगे कुछ देर के लिये,
जब तक महामृत्यु का तांडव चलेगा...!!
काँपती धरती...
विदीर्ण होते शरीर
आज शायद प्रकृति अपने आवरण से हटा रही है
दूषित तन और मन
सम्भवतः चाहती है करना
स्वयं को सैनिटाइज़....!!!!

***मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

रविवार, 22 मार्च 2020

मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार स्मृति शेष पंडित मदन मोहन व्यास का गीत -- भाव तेरे शब्द मेरे गीत बनते जा रहे हैं। यह गीत उनके गीत संग्रह भाव तेरे शब्द मेरे से लिया गया है ।यह संग्रह सन 1959 में व्यास बन्धु प्रकाशन, पचपेड़ा कटघर , मुरादाबाद से प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह की भूमिका प्रख्यात साहित्यकार डॉ हरिवंश राय बच्चन जी ने लिखी है। इस गीत संग्रह में उनके 21 गीत संगृहीत हैं ।












मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष बहोरी लाल शर्मा का गीत। यह उस समय लिखा गया था जब वह के जी के कालेज मुरादाबाद में एम ए हिंदी के छात्र थे। इसका प्रकाशन 1954 में कालेज की पत्रिका में हुआ था ।



शनिवार, 21 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ राकेश चक्र का गीत --कोरोना पर वार करो

देश हमें यदि प्यारा है तो
कोरोना पर वार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो


बचो-बचाओ मिलने से भी
घर से बाहर कम निकलो
भीड़-भाड़ में कभी न जाओ
कुछ दिन अंदर ही रह लो

हाथ मिलाना छोड़ो मित्रो
हाथ जोड़कर प्यार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो


साफ-सफाई रखो सदा ही
घर पर हों या बाहर भी
हाथ साफ करना मत भूलो
यही प्राथमिक मंतर भी

करना है तो मन से करना
सबका ही उपकार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो


मन को रखना बस में अपने
बाहर का खाना छोड़ें
घर में व्यंजन स्वयं बनाना
बाहर से लाना छोड़ें

शाकाहारी भोजन अच्छा
उसका ही सत्कार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो


अपने को मजबूत बनाओ
योगासन-व्यायाम करो
बातों में मत समय गँवाओ
दिनचर्या अभिराम करो


प्रातःकाल जगें खुश होकर
आदत स्वयं सुधार करो

हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
देश हमें यदि प्यारा है तो
कोरोना पर वार करो


**डॉ राकेश चक्र
90 बी, शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर - 9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ ममता सिंह के कोरोना पर कुछ दोहे


अपने भी बचने लगे, आने से अब पास।
कोरोना से हो रहा, दूरी का आभास।।

कोरोना है ला रहा, यह कैसा बदलाव।
जीवन में आने लगा, देखो अब ठहराव।।

नित्य संक्रमण बढ़ रहा, कैसे हो पहचान।
कठिनाई में  डाल दी, कोरोना ने जान।।

घर बाहर है हर तरफ, कोरोना की बात।
अपनायें सब स्वच्छता, सम्भव तभी निजात।।

मिटा रहा है ज़िन्दगी, कोरोना का कोढ़।
मिल जुल कर ढूंढे सभी ,इसका कोई तोड़।।

डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार अभिषेक रुहेला की कविता-- हाथों को साबुन से धोकर स्वच्छ सदा तुम रहना ....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की बाल कविता – क से कविता हो रही कोरोना पर आज ....


क से कविता हो रही कोरोना पर आज
ख से खत्म करना हमें कोरोना का राज
ग से गमन न कीजिये रखना इसका ध्यान
घ से घर पर बैठिये कहना लीजे मान
च से जमा न होइये कहीं लोग भी चार
छ से छुपाना  भी नहीं इसको देखो यार
ज से मुश्किल में पड़ी हम सबकी है जान
झ से झांक बालकनी से इतना कहना मान
ट के टकराना नहीं रखना बस अलगाव
ठ से कैसा आ गया दुनिया में ठहराव
ड से डरना भी नहीं बात रहे ये याद
ढ़ से ढकने से इसे होंगे हम बर्बाद
त से ताकतवर नहीं वैसे ये कमजोर
थ से थामना हमें इसका बढ़ता जोर
द से दवा से नहीं इसका चलता काम
ध से धर्म हमारा करनी इसकी  रोकथाम
न से नियमों को सभी देखो अब  लो मान
प से पाओगे बचा कोरोना से जान
फ से फल मीठा पाने का भी  सुन लो ये राज
ब से बरतो सावधानियां कुछ सब मिलकर  आज
भ से भूल न जाना धोना अपने अपने  हाथ
म से मलना भी सब उनको साबुन के साथ
य से यारों से अपने रहना होगा दूर
र से रोने के लिए हमें नहीं होना  मजबूर
ल से लानी नई क्रांति है  लोगों में आज
व से  वजह ढूंढकर करना हमें इलाज
स से सफाई का होगा रखना हमको ध्यान
ज्ञ से हमें बढाना होगा अपना अपना ज्ञान
श से मांसाहार छोड़ खाओ बस शाकाहार
ह से हाथ नहीं मिलाना करना  सिर्फ नमस्कार

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का गीत -- धन्य धन्य शत बार नमन है धन्य स्वास्थ्य सेनानी....



धन्य स्वास्थ्य सेनानी 
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धन्य धन्य शत बार नमन हे धन्य स्वास्थ्य सेनानी
                            (1)
विपदाओं के समय वीर तुम आकर हमें बचाते
हम घर में ही रहे सुरक्षित ,अस्पताल तुम जाते
सेवाएं  देने   में   तुमने  कब   की  आनाकानी
धन्य धन्य शत बार नमन हे धन्य स्वास्थ्य सेनानी
                          (2)
लड़े  रात - दिन  रोगों से तुमने परिवार न देखा
जाति धर्म निर्धन धनिकों की खींची कभी न रेखा
तुम सेवा की वह मिसाल हो जिसका कहीं न सानी
धन्य धन्य शत बार नमन हे धन्य स्वास्थ्य सेनानी
                           (3)
जोखिम दीखा कितना पर तुमने कर्तव्य निभाया
भूले  घर-परिवार  तुम्हें  रोगों  से लड़ता पाया
लक्ष्य  तुम्हारा रहा सदा रोगी की जान बचानी
धन्य धन्य शत बार नमन हे धन्य स्वास्थ्य सेनानी

 **रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल 999 7615451

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कविता -- कुछ हफ्तों तक घर ही रहना....

कोरोना से बचकर रहना,
हाथों को साबुन से धोना ।

करो नमस्ते बस दूरी से,
बंद करो अब हाथ मिलाना।

खाँसी के सँग साँस रुके तो
समझो रोग हुआ कोरोना

मुँह को रखना मास्क लगाकर
भीड़भाड़ में कहीं न जाना

कुछ हफ्तों तक घर ही रहना,
सबको ही संदेश ये देना।

चरण तीसरा कोरोना का
बढ़े संक्रमण, काट कोई ना

करने से जीवों का भक्षण,
मानव को अब पड़ा है रोना।

हे ईश्वर दुनिया के मालिक
खत्म करो अब ये कोरोना ।

**मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार यशभारती माहेश्वर तिवारी का नवगीत - काटना है गर अंधेरा तो रोशनी के बीज बो लें हम ....


मुरादाबाद की साहित्यकार रश्मि प्रभाकर की मां सरस्वती वंदना -- मां तेरे वंदन को मैं शत शत नमन अर्पित करूंगी ....



🎤✍️ रश्मि प्रभाकर
10/184 फेज़ 2, बुद्धि विहार, आवास विकास, मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
फोन नं. 9897548736

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का गीत -वह दिन अच्छे थे छोटा संसार था ...


मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की रचना -- कोरोना ने विश्व में मचा दिया कोहराम ....


मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का बाल गीत --छुक छुक गाड़ी


मुरादाबाद के साहित्यकार रवि चतुर्वेदी की रचना --सिंहनी का दूध पिये जान हथेली पर लिए ...


मुरादाबाद के साहित्यकार रघुराज सिंह निश्चल की गजल --जिंदगी भर चलोगे जो तुम प्यार से ....


मुरादाबाद के साहित्यकार शायर मुरादाबादी की गजल - चींटियों के भी पर निकल आये हैं ...