बुधवार, 31 जुलाई 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ राकेश चक्र के दस दोहे


रचकर सत्साहित्य से , किया प्रेम बलिदान।

प्रेमचंद की साधना, थी अनमोल महान।।1


प्रेमचंद से हम करें, मन से पावन नेह।

निर्धन के ही हित लड़े, बरसा करुणा मेह।। 2


रात-रात भर जागकर, सेवा करी अटूट।

सदा ऋणी हिंदी जगत, थे भारत के पूत।। 3


खेत और खलिहान की, बातें करीं अनन्त।

उर से पूजन कर रहा, सृजनोपासक  संत।। 4

 

प्रेमचंद की थी अमर,सारे जग में धाक।

ईश्वर का उपहार थे, बढ़ी हिन्द की साख।। 5


भाव सजाऊँ प्रेम के, चित निर्मल हो जाय।

प्रेमचंद की साधना, नैनन नीर बहाय।। 6


गबन और सेवासदन, और  लिखा गोदान।

कथा निरी उर में बसीं, कफन और वरदान।। 7


प्रेमचंद से सीख लूँ , हिंदी का गुणगान। 

प्रेम, पीर है बाँसुरी , परहित करूँ बखान।। 8


आडम्बर पर की सदा,गहरी तीखी चोट।

प्रबल रही थी लेखनी, कभी न चाहे नोट।। 9


गोरों से लड़ते रहे, सहे न अत्याचार।

किया लेखनी से सदा, अनाचार पर वार।। 10


✍️डॉ राकेश चक्र 

90 बी, शिवपुरी

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456201857

Rakeshchakra00@gmail.com



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