बुधवार, 31 जुलाई 2024

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा के मुक्तामणि छंद



पहले उर्दू में लिखा, फिर हिंदी में आये ।

'धनपत जी' यों ही नहीं, 'मुंशी जी' कहलाये ।।१।।


दूजों की पीड़ा तभी, भाव-विभोर लिखी थी ।

भावुक होकर जब कलम, घटना सत्य लिखी थी ।।२।।


जिसके जैसे कर्म थे, वाणी व्यंग्य चलायी ।

'प्रेम चन्द' ने प्रेम से, सबकी लोइ हटायी ।।३।।


'प्रेम चन्द' के कृत्य से, नाक जाति की ऊँची ।

हिंदी के सिरमौर हैं, पत्थर लकीर खींची ।।४।।

   ✍️राम किशोर वर्मा

रामपुर

उत्तर प्रदेश, भारत



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें