मुरादाबाद की संस्था उर्दू साहित्य शोध केंद्र की ओर से 26 सितंबर 2024 गुरुवार को हैविट मुस्लिम इंटर कॉलेज में आयोजित समारोह में मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन द्वारा संपादित पुस्तक दीवाने काफी का लोकार्पण किया गया। यह कृति 1857 के सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी किफ़ायत अली काफ़ी मुरादाबादी की नातों का संग्रह है जो प्रथम बार प्रकाशित हुआ है। इस अवसर पर राहत मौलाई मेमोरियल कमेटी की ओर से असद मौलाई ने डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन को सम्मानित भी किया गया।
फरहान राशिद द्वारा प्रस्तुत काफी मुरादाबादी की नात से शुरू हुए इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए शायर मंसूर उस्मानी ने कहा कि मुरादाबाद के स्वतंत्रता सेनानियों के साहित्य को संरक्षित रखने के क्रम में यह डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन का दूसरा प्रयास है। इससे पूर्व वह भगवत शरण अग्रवाल मुमताज के ग़ज़ल संग्रह जज्बाते मुमताज़ संपादित कर चुके हैं। मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन का यह प्रयास सराहनीय है, स्वतंत्रता सेनानियों के साहित्यिक कार्यों और उनसे जुड़ी चीजों को संरक्षित रखना हम सब की ज़िम्मेदारी है।
मासूम मुरादाबादी ने कहा कि किफायत अली काफी मुरादाबाद का एक बड़ा नाम है जिनके सम्बन्ध में अक्सर लोग जानना चाहते थे, डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन मुबारकबाद के पात्र हैं कि उन्होंने ऐसे व्यक्तित्व पर शोध कार्य किया।
जामिया मिल्लिया के पूर्व सब रजिस्टार अफ़ज़ालुर रहमान ने कहा कि खुशी की बात है कि ताज़ा प्रकाशित होने वाले डिविज़नल गजेटियर में भी किफायत अली काफी मुरादाबादी का उल्लेख किया गया है। ऐसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी की यादों को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी था और यह काम डॉक्टर मोहम्मद आसिफ हुसैन ने बहुत अच्छी तरह अंजाम दिया है।
इंजीनियर हयात उल नबी खान ने कहा कि मुरादाबाद वासियों की स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका रही है, लेकिन आज उन सेनानियों की निशानियां भी मौजूद नहीं है। ऐसी स्थिति में ढूंढ ढूंढ कर उनकी निशानियां और कार्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना हम सब की जिम्मेदारी है और यह काम डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन बड़ी दिलचस्पी के साथ कर रहे हैं।
डॉ अब्दुल रब उर्दू विभाग अध्यक्ष एम एच कॉलेज मुरादाबाद ने कहा कि काफी मुरादाबादी सिर्फ स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं बल्कि मुरादाबाद में गजल की परंपरा का एक स्तंभ भी हैं ।
डॉ आबिद हैदरी उर्दू विभाग अध्यक्ष एमजीएम कॉलेज संभल ने कहा कि काफी मुरादाबाद के साथ-साथ उन लोगों पर भी शोध करने की आवश्यकता है जो स्वतंत्रता संग्राम में उनके साथ रहे।
अमरोहा से आए प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ मिस्बाह अहमद सिद्दीकी ने कहा कि इस नाव प्रकाशित पुस्तक को देखकर मालूम होता है कि डॉक्टर मोहम्मद आसिफ हुसैन उर्दू भाषा के साथ-साथ अरबी और फारसी भाषा का भी अच्छा ज्ञान रखते हैं।
इंजीनियर फरहत अली खान ने लोकार्पित पुस्तक की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुस्तक का प्रकाशन करके डॉ आसिफ ने एक महत्वपूर्ण और दस्तावेजी कार्य किया है।
कार्यक्रम में मुफ्ती मुइज़ आलम, मुफ्ती फैज आलम, मुफ्ती दानिश कादरी, तनवीर जमाल उस्मानी, डॉ मुजाहिद फ़राज़, डॉ मनोज रस्तोगी, जिया जमीर आदि उपस्थित रहे। संचालन सैयद मोहम्मद हाशिम ने किया ।
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