मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से 14 जून 2022 को काव्यगोष्ठी का आयोजन श्री जंभेश्वर धर्मशाला में किया गया ।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा ---
मानव बन तू दीप समान।
दीपक सा तू जल जल के
कर कर्तव्य महान
मुख्य अतिथि वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने कहा ---
हर धर्म की इज्ज़त करें
बांटें नहीं भगवान को
पाठ पूजा के लिए
टोकें नहीं इंसान को
सत्य की पहचान हित
तालीम ज़रूरी है।
विशिष्ट अतिथि योगेन्द्र पाल विश्नोई ने कहा---
चलते चलते थक गये मंजिल नहीं मिली
बसंत की बयार में कलिका नहीं खिली
अशोक विद्रोही ने कहा--
करलो कितनी भी चालाकी,
हर जगह उसी को पाओगे
कंकर कंकर में शंकर है,
तुम कितने साक्ष्य मिटाओगे!
रामसिंह निशंक ने पढ़ा---
तू है जननी मेरी मां तुझे शत शत नमन
पहली सांस दायिनी मां तुझे शत शत नमन
योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा ----
व्यर्थ आपस में क्यों हम हमेशा
लड़ें,भेंट षड्यंत्र की क्यों हमेशा चढ़ें।
छोड़ कर नफरतें प्यार की राह पर
दो कदम तुम बढ़ो'दो कदम हम बढें
राजीव प्रखर ने कहा ----
स्वप्न सलोने सुन्दर युग की,
बीती एक कहानी हूॅं।
पढ़े-लिखे मानव के हाथों,
झेल रही मनमानी हूॅं।
मद में अन्धा जब करता हो
जलधारा का चीर-हरण,
मैं मछली तब कैसे खुद को,
कह दूॅं जल की रानी हूॅं।
प्रवीण राही ने कहा---
जो बंदे इधर से उधर जा रहे हैं,
सबब मैंने पूछा तो हकला रहे हैं
करें गर्व कैसे न उन सैनिकों पे,
तिरंगे में लिपटे जो घर जा रहे हैं
प्रशांत मिश्र ने पढ़ा-----
गम है जिंदगी तो रोते क्यों हो
नैनो के नीर से जख्मों का दर्द कम नहीं होता
नकुल त्यागी ने कहा -----
अपनी प्रतिभा से आलोकित पगडंडी और राह बनाएं,
अंधकार को क्यों धिक्कारें अच्छा है एक राह बनाएं
पूजा राणा ने पढ़ा-
पल दो पल का परिचय भी क्या,
प्रेम प्रसंग हुआ करता है!
तुलसी दल के सेवन से भी
क्या व्रत भंग हुआ करता है
काव्य गोष्ठी में रमेश गुप्ता, रवि शंकर चतुर्वेदी, चिंतामणि जी ने भी भाग लिया। रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने आभार अभिव्यक्त किया।
:::::::::प्रस्तुति:::::::
अशोक विद्रोही
अध्यक्ष
राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति मुरादाबाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें