सोमवार, 20 जून 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार का गीत ....बादल आए ,एक झलक दिखलाकर चले गए, बिन बरसे ही आँचल-से लहराकर चले गए


बादल आए ,एक झलक दिखलाकर चले गए।

बिन बरसे ही आँचल-से लहराकर चले गए ।।


बाँंध टकटकी रहे देखते, नीम और जामन, 

सूखे में ही बीत रहा है ,यह कैसा सावन  ।

रूठ गए हैं जिसके साजन, विपदा की मारी,

निष्ठुर बादल की चाहत में ,सूख गई क्यारी  ।

सपने में आए थे प्रीतम, आकर चले गए. ।।

बादल आए------


दरक गईं परतें धरती की ,सूख गया  सब जल,

नहीं परिंदों की होती है, झीलों पर हल-चल  ।

दाना-पानी फिरें ढूंढ़ते,  पागल-से सारस, 

भूखे पेट नहीं उनमें है ,उड़ने का साहस  ।

दूर देश के कुछ पंछी,  अकुला कर चले गए ।।

बादल आए---

 

हरियाली रितु के आने की,  आशा थी पूरी  ,

लेकिन बादल की धरती से ,बनी रही दूरी  ।

आज किसान दर्द से अपनी,  आँखें मींच रहा, 

श्रम की बूँदों से ही अपनी, फ़सलें सींच रहा  ।

बादल नभ में बिजली-सी, चमका कर चले गए. ।।

बादल आए------


✍️ओंकार सिंह 'ओंकार'

1-बी- 241 बुद्धि विहार, मझोला 

मुरादाबाद 244103

उत्तर प्रदेश, भारत

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