सोमवार, 4 मार्च 2024

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में रविवार 3 मार्च 2024 को आयोजित मासिक काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में रविवार तीन मार्च 2024 को मासिक  काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

ओंकार सिंह ओंकार द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने सुनाया .....

अब बसन्त पर क्या लिक्खूॅं मैं, 

खेत हरे खलिहान हट गये 

उन पर ऊॅंचे भवन पट गये 

दूर-दूर तक यही दीखते 

खेत दृष्टि से दूर कट गये।। 

मुख्य अतिथि के रूप में ओंकार सिंह ओंकार ने सुनाया....

मेरे भोलेपन का उसने कितना प्यारा मोल दिया। 

भेद-भाव की एक तोल में, मेरा सब कुछ तोल दिया। 

हमने जिसको सम्मानित कर, बैठाया अपने सिर पर, 

उसने हमको अपमानित कर, उल्टा सीधा बोल दिया।।

 विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेन्द्र वर्मा व्योम ने सुनाया.....

दोष गिना मत और के, अपने भीतर झाँक। 

रिश्तों में क्यों हो गया, अपनापन दो-फाँक।।

 बुरे स्वप्न-सा भूलकर, पिछला दुखद अतीत। 

चल आजा फिर से रचें, मुस्कानों के गीत।। 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव 'प्रखर' ने सुनाया....

थोड़ी सी हमको हिचक हुई, थोड़ा सा वो भी शर्माये।  

दोनों के तपते अन्तस में, उल्लास भरे घन घिर आये। 

छेड़ी कोयल ने सुर-लहरी, पाया लेखन ने नवजीवन, 

भावों के पुष्पों पर जब से, शब्दों के मधुकर मॅंडराए।। 

 जितेन्द्र कुमार जौली ने सुनाया.....

अपना उल्लू सीधा करते, करवाकर ये दंगे। 

राजनीति के इस हमाम में, सबके सब हैं नंगे।। 

संस्था के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।












::::::::प्रस्तुति:::::::::

जितेन्द्र कुमार जौली

 महासचिव

हिन्दी साहित्य संगम

 मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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