माँ वाणी वागीश्वरी,कलम हाथ में थाम।
नारी का वंदन करूं,लेकर तेरा नाम।।1।।
सह सह कर आघात भी,देती है आहार।
वंदनीय भगवान सा,नारी का किरदार।।2।।
शीतल सुंदर झील सी,शांत किंतु पुरजोर।
नारी है शक्तिश्वरी,बोल उठा हर छोर।।3।।
दुनिया में देखा नहीं,ऐसा रूप अनूप।
छाया बन संतान की,नारी सहती धूप।।4।।
राम-कृष्ण को पालती,दे आंचल की छांव।
देवपुरुष तक पूजते,हैं नारी के पांव ।।5।।
शक्ति स्वरूपा लक्ष्मी,सरस्वती का ज्ञान।
सर्वाधिक संसार में,नारी का सम्मान।।6।।
नारी घर की लक्ष्मी,आन बान है शान।
पूरी वसुधा कर रही,नारी का गुणगान।।7।।
रावण बाली कंस या,दुर्योधन बलवान।
नारी का अपमान कर,खो बैठे सम्मान।।8।।
मां,बेटी,पत्नी,बहन,सारे रूप अनूप।
नर को देती नारियां,नारायण का रूप।।9।।
✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
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