होली पर हुरियारों देखो, कसर न दमभर रखना,
रंगों का त्योहार है सबके तन संग मन भी रंगना,.
ठिठुरन भुला बसंत घोलता मन मादकता हल्की,
करती है किसतरह प्रकृति, रचना हर एकपल की,
फिर मन भावन फागुन खूब खिलाता टेसूअंगना. .
होली पर हुरियारों देखो.....
गेहूं-बाली पकी खेत ने ओढ़ी चुनर धानी
कोल्हु से उड़ती सुगंन्ध भीनी जानी पहचानी,
चहकेँ चिड़िया झुण्ड बनाए,संग गोरी के कंगना,,
होली पर हुरियारों......
देवर-भाभी जीजा साली की वो हँसी ठिठोली,
निगल रहा एकाकी पन रिश्तों से भरी रंगोली,,
चुल्ह भरी मनुहार उल्हानों का रीते वो ढंग ना,,....
होली पर हुरियारों,....
गुझिया,पापड़,कचरी,खजले की घर घर सौगातें,
ठन्डाई के कुल्हड़,.. मधु से कहीं चहकती रातें,
बैर भावना भुला प्रेम रस में चाहें सब पंगना,...
होली पर हुरियारों....
अपनों के संग बढ़ी दूरियाँ.. गैरों के संग यारी ,
आभासी दुनिया ने बदली सारी मिल्लत दारी,
हमजोली का मोबाइल ने आज भी छोड़ा संग ना,
होली पर हुरियारों
मनोज 'मनु'
6397093523
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