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सोमवार, 23 मार्च 2020
वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में रविवार 22 मार्च 2020 को आयोजित 194 वें वाट्स एप कविसम्मेलन एवं मुशायरे में 32 साहित्यकारों सर्वश्री राजीव प्रखर जी, वीरेंद्र सिंह बृजवासी जी, मुजाहिद चौधरी जी, रवि प्रकाश जी, ओंकार सिंह विवेक जी, इंदु रानी जी, नवाज अनवर खान जी, मीनाक्षी ठाकुर जी,कंचन खन्ना जी, नृपेंद्र शर्मा सागर जी, डॉ रीता सिंह जी, आमोद कुमार जी, संतोष कुमार शुक्ल जी, डॉ मक्खन मुरादाबादी जी, डॉ ममता सिंह जी, अशोक विद्रोही जी, शिशुपाल सिंह मधुकर जी, आदर्श भटनागर जी, डॉ पूनम बंसल जी, डॉ अर्चना गुप्ता जी, सीमा रानी जी, मनोरमा शर्मा जी, हेमा तिवारी भट्ट जी, डॉ मीरा कश्यप जी, मोनिका शर्मा मासूम जी, अभिषेक रुहेला जी, मनोज मनु जी, राशिद मुरादाबादी जी,श्री कृष्ण शुक्ल जी, डॉ प्रीति हुंकार जी, अखिलेश वर्मा जी और डॉ मनोज रस्तोगी ने अपनी हस्तलिपि में अपनी रचना साझा कीं .....
मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कविता -- सैनिटाइज़
अमीरों की बीमारी ने छीन लिया
निवाला गरीबों का..
बुझ गये चूल्हे
रामधन और मुनिया के।
सोच रहे हैं.....
झोंपड़ी के तिनको को
शायद सैनिटाइज़
करने की ज़रूरत तो नहीं ...।
देहातियों को हिकारत से देखने वाले
बड़े लोग...
रखे जा रहे हैं
एकांतवास में..
समाज से पृथक,
क्योंकि... वो ऊँचे लोग हैं।
उन्हें प्रारम्भ से ही अकेला पन भाता
आया है।
अब लौट रहे है
वतन को
विदेश से...,
क्या वतन की याद आयी है
या कुछ और है....?
वातानुकूलित कमरों में रहने वाले
अचानक ही चाहने लगे
तपती जेठ की दुपहरियां
गँवार लोग सहमे हैं
पूछते हैं वैद्य जी से,
"ई अमीरों का खाँसी जुकाम भी
अलग होत है का?"
खेतों में हल चलाता बुधिया पूछता है..
"ई ढोरों से दूर कैसन रहत बा...?
निशब्दः समाज..!!!
नाइट क्लबों में देर रात तक जागते युगल
अब कहाँ है?
सम्भवतः अनुशासन में रहेंगे कुछ देर के लिये,
जब तक महामृत्यु का तांडव चलेगा...!!
काँपती धरती...
विदीर्ण होते शरीर
आज शायद प्रकृति अपने आवरण से हटा रही है
दूषित तन और मन
सम्भवतः चाहती है करना
स्वयं को सैनिटाइज़....!!!!
***मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
निवाला गरीबों का..
बुझ गये चूल्हे
रामधन और मुनिया के।
सोच रहे हैं.....
झोंपड़ी के तिनको को
शायद सैनिटाइज़
करने की ज़रूरत तो नहीं ...।
देहातियों को हिकारत से देखने वाले
बड़े लोग...
रखे जा रहे हैं
एकांतवास में..
समाज से पृथक,
क्योंकि... वो ऊँचे लोग हैं।
उन्हें प्रारम्भ से ही अकेला पन भाता
आया है।
अब लौट रहे है
वतन को
विदेश से...,
क्या वतन की याद आयी है
या कुछ और है....?
वातानुकूलित कमरों में रहने वाले
अचानक ही चाहने लगे
तपती जेठ की दुपहरियां
गँवार लोग सहमे हैं
पूछते हैं वैद्य जी से,
"ई अमीरों का खाँसी जुकाम भी
अलग होत है का?"
खेतों में हल चलाता बुधिया पूछता है..
"ई ढोरों से दूर कैसन रहत बा...?
निशब्दः समाज..!!!
नाइट क्लबों में देर रात तक जागते युगल
अब कहाँ है?
सम्भवतः अनुशासन में रहेंगे कुछ देर के लिये,
जब तक महामृत्यु का तांडव चलेगा...!!
काँपती धरती...
विदीर्ण होते शरीर
आज शायद प्रकृति अपने आवरण से हटा रही है
दूषित तन और मन
सम्भवतः चाहती है करना
स्वयं को सैनिटाइज़....!!!!
***मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
रविवार, 22 मार्च 2020
मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार स्मृति शेष पंडित मदन मोहन व्यास का गीत -- भाव तेरे शब्द मेरे गीत बनते जा रहे हैं। यह गीत उनके गीत संग्रह भाव तेरे शब्द मेरे से लिया गया है ।यह संग्रह सन 1959 में व्यास बन्धु प्रकाशन, पचपेड़ा कटघर , मुरादाबाद से प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह की भूमिका प्रख्यात साहित्यकार डॉ हरिवंश राय बच्चन जी ने लिखी है। इस गीत संग्रह में उनके 21 गीत संगृहीत हैं ।
शनिवार, 21 मार्च 2020
मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ राकेश चक्र का गीत --कोरोना पर वार करो
देश हमें यदि प्यारा है तो
कोरोना पर वार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
बचो-बचाओ मिलने से भी
घर से बाहर कम निकलो
भीड़-भाड़ में कभी न जाओ
कुछ दिन अंदर ही रह लो
हाथ मिलाना छोड़ो मित्रो
हाथ जोड़कर प्यार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
साफ-सफाई रखो सदा ही
घर पर हों या बाहर भी
हाथ साफ करना मत भूलो
यही प्राथमिक मंतर भी
करना है तो मन से करना
सबका ही उपकार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
मन को रखना बस में अपने
बाहर का खाना छोड़ें
घर में व्यंजन स्वयं बनाना
बाहर से लाना छोड़ें
शाकाहारी भोजन अच्छा
उसका ही सत्कार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
अपने को मजबूत बनाओ
योगासन-व्यायाम करो
बातों में मत समय गँवाओ
दिनचर्या अभिराम करो
प्रातःकाल जगें खुश होकर
आदत स्वयं सुधार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
देश हमें यदि प्यारा है तो
कोरोना पर वार करो
**डॉ राकेश चक्र
90 बी, शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर - 9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com
कोरोना पर वार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
बचो-बचाओ मिलने से भी
घर से बाहर कम निकलो
भीड़-भाड़ में कभी न जाओ
कुछ दिन अंदर ही रह लो
हाथ मिलाना छोड़ो मित्रो
हाथ जोड़कर प्यार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
साफ-सफाई रखो सदा ही
घर पर हों या बाहर भी
हाथ साफ करना मत भूलो
यही प्राथमिक मंतर भी
करना है तो मन से करना
सबका ही उपकार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
मन को रखना बस में अपने
बाहर का खाना छोड़ें
घर में व्यंजन स्वयं बनाना
बाहर से लाना छोड़ें
शाकाहारी भोजन अच्छा
उसका ही सत्कार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
अपने को मजबूत बनाओ
योगासन-व्यायाम करो
बातों में मत समय गँवाओ
दिनचर्या अभिराम करो
प्रातःकाल जगें खुश होकर
आदत स्वयं सुधार करो
हम सबका जीवन अमूल्य है
मिलकर सभी प्रहार करो
देश हमें यदि प्यारा है तो
कोरोना पर वार करो
**डॉ राकेश चक्र
90 बी, शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर - 9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ ममता सिंह के कोरोना पर कुछ दोहे
अपने भी बचने लगे, आने से अब पास।
कोरोना से हो रहा, दूरी का आभास।।
कोरोना है ला रहा, यह कैसा बदलाव।
जीवन में आने लगा, देखो अब ठहराव।।
नित्य संक्रमण बढ़ रहा, कैसे हो पहचान।
कठिनाई में डाल दी, कोरोना ने जान।।
घर बाहर है हर तरफ, कोरोना की बात।
अपनायें सब स्वच्छता, सम्भव तभी निजात।।
मिटा रहा है ज़िन्दगी, कोरोना का कोढ़।
मिल जुल कर ढूंढे सभी ,इसका कोई तोड़।।
डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की बाल कविता – क से कविता हो रही कोरोना पर आज ....
क से कविता हो रही कोरोना पर आज
ख से खत्म करना हमें कोरोना का राज
ग से गमन न कीजिये रखना इसका ध्यान
घ से घर पर बैठिये कहना लीजे मान
च से जमा न होइये कहीं लोग भी चार
छ से छुपाना भी नहीं इसको देखो यार
ज से मुश्किल में पड़ी हम सबकी है जान
झ से झांक बालकनी से इतना कहना मान
ट के टकराना नहीं रखना बस अलगाव
ठ से कैसा आ गया दुनिया में ठहराव
ड से डरना भी नहीं बात रहे ये याद
ढ़ से ढकने से इसे होंगे हम बर्बाद
त से ताकतवर नहीं वैसे ये कमजोर
थ से थामना हमें इसका बढ़ता जोर
द से दवा से नहीं इसका चलता काम
ध से धर्म हमारा करनी इसकी रोकथाम
न से नियमों को सभी देखो अब लो मान
प से पाओगे बचा कोरोना से जान
फ से फल मीठा पाने का भी सुन लो ये राज
ब से बरतो सावधानियां कुछ सब मिलकर आज
भ से भूल न जाना धोना अपने अपने हाथ
म से मलना भी सब उनको साबुन के साथ
य से यारों से अपने रहना होगा दूर
र से रोने के लिए हमें नहीं होना मजबूर
ल से लानी नई क्रांति है लोगों में आज
व से वजह ढूंढकर करना हमें इलाज
स से सफाई का होगा रखना हमको ध्यान
ज्ञ से हमें बढाना होगा अपना अपना ज्ञान
श से मांसाहार छोड़ खाओ बस शाकाहार
ह से हाथ नहीं मिलाना करना सिर्फ नमस्कार
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का गीत -- धन्य धन्य शत बार नमन है धन्य स्वास्थ्य सेनानी....
धन्य स्वास्थ्य सेनानी
--------------------------------------------------
धन्य धन्य शत बार नमन हे धन्य स्वास्थ्य सेनानी
(1)
विपदाओं के समय वीर तुम आकर हमें बचाते
हम घर में ही रहे सुरक्षित ,अस्पताल तुम जाते
सेवाएं देने में तुमने कब की आनाकानी
धन्य धन्य शत बार नमन हे धन्य स्वास्थ्य सेनानी
(2)
लड़े रात - दिन रोगों से तुमने परिवार न देखा
जाति धर्म निर्धन धनिकों की खींची कभी न रेखा
तुम सेवा की वह मिसाल हो जिसका कहीं न सानी
धन्य धन्य शत बार नमन हे धन्य स्वास्थ्य सेनानी
(3)
जोखिम दीखा कितना पर तुमने कर्तव्य निभाया
भूले घर-परिवार तुम्हें रोगों से लड़ता पाया
लक्ष्य तुम्हारा रहा सदा रोगी की जान बचानी
धन्य धन्य शत बार नमन हे धन्य स्वास्थ्य सेनानी
**रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल 999 7615451
मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कविता -- कुछ हफ्तों तक घर ही रहना....
कोरोना से बचकर रहना,
हाथों को साबुन से धोना ।
करो नमस्ते बस दूरी से,
बंद करो अब हाथ मिलाना।
खाँसी के सँग साँस रुके तो
समझो रोग हुआ कोरोना
मुँह को रखना मास्क लगाकर
भीड़भाड़ में कहीं न जाना
कुछ हफ्तों तक घर ही रहना,
सबको ही संदेश ये देना।
चरण तीसरा कोरोना का
बढ़े संक्रमण, काट कोई ना
करने से जीवों का भक्षण,
मानव को अब पड़ा है रोना।
हे ईश्वर दुनिया के मालिक
खत्म करो अब ये कोरोना ।
**मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
हाथों को साबुन से धोना ।
करो नमस्ते बस दूरी से,
बंद करो अब हाथ मिलाना।
खाँसी के सँग साँस रुके तो
समझो रोग हुआ कोरोना
मुँह को रखना मास्क लगाकर
भीड़भाड़ में कहीं न जाना
कुछ हफ्तों तक घर ही रहना,
सबको ही संदेश ये देना।
चरण तीसरा कोरोना का
बढ़े संक्रमण, काट कोई ना
करने से जीवों का भक्षण,
मानव को अब पड़ा है रोना।
हे ईश्वर दुनिया के मालिक
खत्म करो अब ये कोरोना ।
**मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
शुक्रवार, 20 मार्च 2020
मुरादाबाद की साहित्यकार रश्मि प्रभाकर की मां सरस्वती वंदना -- मां तेरे वंदन को मैं शत शत नमन अर्पित करूंगी ....
🎤✍️ रश्मि प्रभाकर
10/184 फेज़ 2, बुद्धि विहार, आवास विकास, मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
फोन नं. 9897548736
गुरुवार, 19 मार्च 2020
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना नकवी की गजल --दिन ढले रोज बहा देती हैं काजल यादें....
बन के एहसास पे छा जाती हैं बादल यादें।
और फि़र आँखों को कर देती हैं जल-थल यादें।।
खुशबू माजी़ की मुझे रखती है महकाये हुये।
दिल के गुलशन में यूँ आती हैं मुसलसल यादें।।
रोज़ आँखों से मेरी नींद उडा़ देती थीं।
इसलिये कर दी हैं मैने भी मुक़फ़्फ़ल यादें।।
कितनी तस्वीरें सिमट आती हैं भूली बिसरी।
मुझ को तन्हाई में कर देती हैं पागल यादें।।
सुब्ह ता शाम तसव्वुर में सजा करती हूँ।
दिन ढले रोज़ बहा देती हैं काजल यादें।।
क़तरा क़तरा लहू जज़्बों में उतर आता है।
जैसे एहसास का बन जाती हैं मक़तल यादें।।
सच बताऊँ तो हैं जीने का सहारा 'मीना'।
जेह् न के गोशों में आबाद मुकम्मल यादें।।
***डॉ मीना नक़वी
और फि़र आँखों को कर देती हैं जल-थल यादें।।
खुशबू माजी़ की मुझे रखती है महकाये हुये।
दिल के गुलशन में यूँ आती हैं मुसलसल यादें।।
रोज़ आँखों से मेरी नींद उडा़ देती थीं।
इसलिये कर दी हैं मैने भी मुक़फ़्फ़ल यादें।।
कितनी तस्वीरें सिमट आती हैं भूली बिसरी।
मुझ को तन्हाई में कर देती हैं पागल यादें।।
सुब्ह ता शाम तसव्वुर में सजा करती हूँ।
दिन ढले रोज़ बहा देती हैं काजल यादें।।
क़तरा क़तरा लहू जज़्बों में उतर आता है।
जैसे एहसास का बन जाती हैं मक़तल यादें।।
सच बताऊँ तो हैं जीने का सहारा 'मीना'।
जेह् न के गोशों में आबाद मुकम्मल यादें।।
***डॉ मीना नक़वी
मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ राकेश चक्र की गजल -- खाते नमक देश का हम ,मत इससे गद्दारी कर
कुछ तो तू खुद्दारी कर
सदा देश से यारी कर।।
खाते नमक देश का हम
मत इससे गद्दारी कर।।
देश रहेगा ,हम भी होंगे
मिलकर पहरेदारी कर।।
इधर-उधर की फेंक न तू
कुछ तो राम सवारी कर।।
अन्तः को भी झाँक लिया कर
इसकी रोज बुहारी कर।।
"चक्र " चक्र में घूम रहा है
सबमें प्यार शुमारी कर।।
**डॉ राकेश चक्र
90 बी, शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उ.प्र ., भारत
9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com
सदा देश से यारी कर।।
खाते नमक देश का हम
मत इससे गद्दारी कर।।
देश रहेगा ,हम भी होंगे
मिलकर पहरेदारी कर।।
इधर-उधर की फेंक न तू
कुछ तो राम सवारी कर।।
अन्तः को भी झाँक लिया कर
इसकी रोज बुहारी कर।।
"चक्र " चक्र में घूम रहा है
सबमें प्यार शुमारी कर।।
**डॉ राकेश चक्र
90 बी, शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उ.प्र ., भारत
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मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार नाज की नज़्म : ज़रूरत और मुहब्बत
मुहब्बत का यहां पर, अजब दस्तूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
मचलती आरज़ूओ! ज़रा तो रहम खाओ
मेरे हालात पर यूं, ठहाके मत लगाओ
किसी से क्या करूं अब, कोई शिकवा-शिकायत
न छोड़ेगी कहीं का, मुझे मेरी शराफ़त
उफनती हसरतों को, बहुत मजबूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
नज़ारा तो यहां का, बड़ा ही दिलनशीं है
खिले हैं फूल लाखों, मगर ख़ुशबू नहीं है
पता क्या था लबों से हंसी भी छीन लेगा
ये मौसम खुदग़रज़ है, ये रोने भी न देगा
सहारा था जो दिल का, उसी को दूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
ख़यालों से मैं अपने, पुराना आदमी हूं
मुसलसल हूं सफ़र में, कोई बहती नदी हूं
कसे फ़िकरे किसी ने, किसी ने आज़माया
सफ़र की उलझनों ने, गले हंसकर लगाया
हर इक इंसां का चेहरा, यहां बेनूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
तुम्हीं क्या इस जहां में, ग़ज़ब की है ये फ़ितरत
कि जब तक है ज़रूरत, तभी तक है मुहब्बत
रखे क्यों ध्यान कोई, किसी की तिश्नगी का
ये रेगिस्तान ठहरा, हुआ ये कब किसी का
खरोंचों में भी दिल की, छुपा नासूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
**डॉ कृष्णकुमार 'नाज़'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार का गीत -हरियाली
मन- मोहक सुख देने वाली, होती धरती की हरियाली।
जो दुनिया के हर प्राणी के, जीवन की करती रखवाली। ।
ये हरी क्यारियां, घास हरी, इठलाती- बलखाती ऐसे,
मदमस्त हवा के झोंकों से, लहराता हो आँचल जैसे,
खुशबू से तर करती सबको, भर-भर देती मधु की प्याली।
जब पेड़ो पर बैठे पंछी ,मीठी लय में सब गाते हैं,
तो फूलों से लिपटे भौंरे , उनसे सुर-ताल मिलाते हैं,
यह दृश्य देखकर आंखें भी, होती जाती हैं मतवाली।।
मीठे फल लगते पेड़ों पर, जो भूख मिटाते जन-जन की,
रोगों को दूर भगाते हैं, हरते पीड़ाएँ तन-मन की,
सेवा में तत्पर रहते हैं , पत्ते- पत्ते, डाली-डाली।।
हरियाली कारण वर्षा का ,जलवायु विशुध्द बनाती है ,
हर जीव-जंतु को धरती के , माता बनकर सहलाती है ,
सिंचित करती रस से जीवन , बनकर माली यह हरियाली।।
हितकामी जन इस जगती के, सब मिलकर चिंतन-मनन करें,
हरियाली नष्ट न हो पाए , हम ऐसा कोई जतन करें ,
'ओंकार' तभी इस दुनिया में , सब ओर बढ़ेगी खुशहाली।।
**ओंकार सिंह 'ओंकार'
1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला,
दिल्ली रोड
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश,भारत
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की बाल कविता --- कोरोना पर निबंध
टीचर ने निबंध लिखवाया कक्षा में कोरोना पर
नया नया त्योहार इसे बच्चों ने बतलाया हँसकर
होली के ही आसपास ये तो आता है
छुट्टी भी लंबी लंबी ये करवाता है
पास बिना एग्जाम दिए ही करवा देता
हमको ये त्योहार बड़ा ही अच्छा लगता
बस थोड़ी सी बात यही न अच्छी लगती
कोई पार्टी पिकनिक नही करने को मिलती
बार बार ही हाथ धुलाती मम्मी रहती
बाहर मत जाना बस ये ही हमसे कहती
चाट पकौड़ी पिज़्ज़ा बर्गर छुट्टी सबकी
बात बात पर कोरोना की मिलती धमकी
लेकिन ये कोरोना अपने मन भाया है
छुट्टी का आनन्द इसी ने दिलवाया है
आज़ाद किया इसने बच्चों को टेंशन से
उतार पढ़ाई का बोझ दिया बिल्कुल मन से
पढ़कर इसको टीचर जी का सर चकराया
भूल गए वो अपना सारा पढ़ा पढ़ाया
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
बुधवार, 18 मार्च 2020
मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कहानी -- कोरोनासुर
किसी समय भरतपुर नामक एक राज्य में धर्मराज नाम के एक राजा राज करते थे।उसी राज्य के पड़ोस में एक अन्य राज्य नरकपुर की सीमा लगती थी।नरकपुर नाम के अनुरुप साक्षात नरक ही था।उस राज्य के निवासी अनेक जीव जंतुओं को पकड़ पकड़ कर भक्षण करते थे ।जहरीले जीव जंतु तो जैसे उनका प्रिय आहार थे। उस राज्य का स्वामी अत्यंत क्रूर व निर्दयी "दैत्यराज" नामक राजा था।दोनो राज्यों में कोई मेल मिलाप न था। दैत्यराज ने अनेक बार भरतपुर पर आधिपत्य करना चाहा,परंतु धर्मराज की शूरवीरता के सन्मुख रण में न टिक पाता था। दोनो राज्यों के निवासियों के खानपान और आचार विचार में धरती आकाश का अंतर था।धीरे धीरे समय बीतने के साथ साथ भरतपुर के निवासियों ने अन्य राज्यों में व्यापार के साथ साथ नरकपुर से भी व्यापारिक संबंध बढ़ाने प्रारम्भ कर दिये। दैत्यराज ने भी उन्हें प्रलोभन देकर सस्ते दामों में नरकपुर निर्मित वस्तुएं उपलब्ध करानी प्रारम्भ कर दीं। परंतु एक बार उन विषैले जीवों का भक्षण करते समय नरकपुर में उन विषैले जीवों के विष से एक अत्यंत विषैला राक्षस भयानक अट्टहास करता हुआ प्रकट हुआ और नरकासुर में महामारी का रूप लेकर सहस्त्रों मनुष्यों को लील करता हुआ बोला, "हाहाहाहाहा......मैं कोरोनासुर ....!.सबको .खा जाऊँगा..!..समस्त ब्रह्मांड .....मेरी मुठ्ठी में है...कोई नहीं बचेगा..."इतना कहकर उसने अपने मुख से विष वमन किया....और देखते ही देखते उस विष की बूँदे जहाँ जहाँ पड़ीं वहाँ दूसरा कोरोनासुर प्रकट हो गया,नरकपुर की सीमा को लाँघते हुए अब कोरोनासुर असंख्य रूपो में, अखिल विश्व में उत्पात मचाने लगे।समस्त विश्व में त्राहि त्राहि मच गयी। समस्त विश्व की सेनाऐं उस कोरोनासुर को हराने में असफल हो रही थीं। कोरोनासुर का विष मानवों के जीवन को बड़ी तेजी से समाप्त करने लगा।
अब समस्त संसार भरतपुर के राजा धर्मराज की ओर उन्मुख हो,इस विपदा का समाधान ढूँढने लगा।तब धर्मराज ने कहा,"हे मानवों !..प्रकृति की पूजा करने अर्थात प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का आदर व संरक्षण करने..,जीवों का संरक्षण करने..यज्ञ हवन के सुंगधित धुएँ... व ,शाकाहार से कोरोनासुर की शक्तियां क्षीण पड़ेंगी और उसका वध सम्भव हो सकेगा ।मेरे राज्य में हर माह असंख्य मानव एक साथ,एक ही स्थान पर कुंभ,गंगा स्नान ,गणपति उत्सव ,दशहरा व होली उत्सव जैसे आयोजन में सम्मिलित होते हैं परंतु हमारी संस्कृति व सभ्यता की विशेषता के कारण कोई विषैला दानव यहाँ आज तक नहीं हुआ है।इस कोरोनासुर के वध का रहस्य हमारे आयुर्वेद में निहित है।आप लोग निश्चिंत रहे...इस कोरोनासुर का वध भरतपुर अवश्य करेगा।यह मेरा वचन है...।"इतना कहकर राजा धर्मराज अपना वचन पूर्ण करने हेतु कोरोनासुर के वध हेतु उठ खड़े हुए।
**मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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